पड़ोस वाली लड़की की चुदाई
पढ़ें राहुल और प्रिया की हॉट और सेक्सी कहानी, जहाँ पड़ोस की मासूम लड़की के साथ शुरू हुई बातचीत जुनून और वासना के चरम तक पहुँची। टाइट चूत, रसीले होंठ और सिसकारियों से भरी इस स्टोरी में जानें कैसे राहुल ने प्रिया को जन्नत की सैर कराई।
मेरा नाम राहुल है। मैं हमेशा से ही हॉट और सेक्सी स्टोरीज का दीवाना रहा हूँ। मैं सेकंड ईयर का स्टूडेंट हूँ और मेरा दिल तो भाभियों पर लट्टू है, लेकिन अब जो हाथ लगे, उसी में मज़ा लेना पड़ता है। मेरे पड़ोस में एक लड़की रहती थी, उसका नाम था प्रिया। वो एकदम कमसिन, नाज़ुक और हसीन कली थी। उसका फिगर था 30-28-32, एकदम परफेक्ट और कातिलाना। वो सचमुच एक गज़ब का माल थी। उसके होंठ तो ऐसे जैसे रसीली रस्मलाई, जिन्हें देखकर कोई भी बेकाबू हो जाए। वो अभी तक अनछुई थी, एकदम कच्ची कली, और बारहवीं क्लास में पढ़ती थी।
एक दिन की बात है, मैं कॉलेज से थका-हारा घर लौट रहा था। तभी प्रिया ने मुझे आवाज़ दी, “राहुल, इधर आ सकते हो?” मैं बिना कुछ सोचे-समझे उसके पास चला गया और बोला, “हाँ प्रिया, बोलो क्या हुआ?” उसने थोड़ा हिचकते हुए कहा, “मुझे कुछ एंट्रीज़ समझ नहीं आ रही हैं, क्या आप मुझे समझा सकते हैं?” मैंने कहा, “रुक जाओ, मैं पहले घर जाकर चेंज कर लूँ, फिर आता हूँ।” वो बोली, “ठीक है, जल्दी आना।” मैं घर गया, जल्दी से फ्रेश होकर कपड़े बदले और बिना वक्त गंवाए उसके घर पहुँच गया।
मैंने बेल बजाई, और उसने तुरंत दरवाज़ा खोला। जैसे ही मेरी नज़र उस पर पड़ी, मेरा दिल धक-धक करने लगा। वो एकदम माल लग रही थी। उसने टाइट पिंक टॉप पहना था, जो उसके कर्व्स को हाइलाइट कर रहा था, और नीचे ब्लू जीन्स, जो उसके हिप्स को और सेक्सी बना रही थी। उसकी मासूमियत और हॉटनेस का कॉम्बिनेशन देखकर मेरा दिमाग़ घूम गया। मैं अंदर गया और पूछा, “आंटी नहीं हैं क्या घर पर?” उसने कहा, “नहीं, वो चाचा के घर गई हैं। आज मैं अकेली हूँ।” ये सुनते ही मेरे दिमाग़ में लड्डू फूटने लगे। मैंने सोचा, “आज तो मौका है, इसे चखने का सुनहरा चांस मिल गया।”
मैंने उससे पूछा, “तो बताओ, कौन-सी एंट्री समझ नहीं आ रही?” उसने मेरी आँखों में आँखें डालकर कहा, “ये सब छोड़ो राहुल, मैंने तुम्हें एंट्री समझाने के लिए थोड़े ही बुलाया है।” मैं थोड़ा कन्फ्यूज़ हुआ और बोला, “तो फिर किस लिए बुलाया?” वो थोड़ा शरमाते हुए बोली, “जब घर पर कोई लड़की अकेली हो, तो तुम उसके साथ क्या करोगे?” उसकी बात सुनते ही मुझसे रहा नहीं गया। मैंने बिना वक्त गंवाए उसके रसीले होंठों पर अपने होंठ रख दिए। वो तुरंत मुझसे लिपट गई और बोली, “राहुल, मुझे इसी दिन का इंतज़ार था।”
उसके मुलायम और गोल-मटोल बूब्स मेरे सीने से टकराने लगे। उसकी साँसें तेज़ हो गईं और वो मुझसे चिपक गई। मैंने उसे अपनी बाहों में कस लिया और उसके होंठों को चूमते हुए उसकी जीभ से खेलने लगा। उसका जिस्म गर्म हो रहा था, और मेरे हाथ उसके टॉप के अंदर घुस गए। उसकी कमर को सहलाते हुए मैंने उसका टॉप ऊपर किया और उसके सॉफ्ट, क्रीमी बूब्स को आज़ाद कर दिया। वो सिसकारियाँ लेने लगी, “आह्ह राहुल… क्या कर रहे हो?” मैंने कहा, “वही जो तुम चाहती हो, प्रिया।”
फिर क्या था, मैंने उसे सोफे पर लिटा दिया। उसकी जीन्स उतारते वक्त उसकी गोरी टाँगें देखकर मेरा जोश और बढ़ गया। उसकी पैंटी भीग चुकी थी, जो बता रही थी कि वो कितनी उत्तेजित हो चुकी है। मैंने धीरे-धीरे उसकी पैंटी उतारी और उसकी चिकनी, गुलाबी चूत को देखकर मुझसे रहा नहीं गया। मैंने अपनी जीभ से उसे चाटना शुरू किया, और वो पागलों की तरह सिसकारियाँ लेने लगी, “उम्म्म… राहुल… आह्ह… मत रुको।” उसका स्वाद मेरे लिए जन्नत से कम नहीं था।
फिर मैंने अपने कपड़े उतारे और उसे अपनी गोद में उठाकर बेडरूम में ले गया। उसकी आँखों में वासना साफ झलक रही थी। मैंने उसे बेड पर लिटाया और धीरे-धीरे उसके अंदर प्रवेश किया। वो चीख पड़ी, “आह्ह… राहुल… धीरे…” लेकिन कुछ ही पलों में उसका दर्द मज़े में बदल गया। हम दोनों एक-दूसरे में खो गए। उसकी टाइट चूत और मेरे लंड का मिलन एक परफेक्ट रिदम में चल रहा था। वो बार-बार मेरे नाम की सिसकारियाँ ले रही थी, “राहुल… और तेज़… आह्ह… मुझे जन्नत दिखा दो।”
करीब आधे घंटे तक हम दोनों उस सेक्सी खेल में डूबे रहे। आखिरकार, जब हमारा जोश चरम पर पहुँचा, तो हम दोनों एक साथ झड़ गए। वो मेरे सीने पर सर रखकर हाँफ रही थी, और मैं उसके बालों में उंगलियाँ फेर रहा था। उसने कहा, “राहुल, ये मेरी ज़िंदगी का सबसे हसीन दिन था।”
वो दिन मुझे आज भी याद है। उस पल की गर्मी, उसकी सिसकारियाँ, और हमारा वो जुनूनी मिलन—सब कुछ मेरे ज़हन में ताज़ा है। आपको ये कहानी कैसी लगी? अगर मज़ा आया तो तुरंत मेल करो!