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प्यार से जिस्म लुटने तक का सफ़र

Pyar se jism lutne tak ka safar

हेलो फ्रेंड, मैं अमृता वैष्णव, ऐज २३ इयर्स. ये स्टोरी बिलकुल सच्ची है और मेरे साथ हुई घटना है. मैं एक पार्ट टाइम प्रोस्तितुट हु और फुल टाइम कॉल सेण्टर एग्जीक्यूटिव हु. पर मैं हमेशा से ऐसी नहीं थी, इन्फक्ट लडको से कोसो दूर रहती थी. मैं सबसे पहले आप लोगो को अपने बारे में बता दू. मेरी हाइट ५.५ है. रंग फेयर है और सुंदर लड़की हु. मुझे देख कर लड़के अपनी लार टपकाते है. स्कूल से लेकर कॉलेज तक, लडको ने मुझे प्रोपोज किया, मुझे छुना चाहा, मेरे साथ सोने तक की बात कही, पर मैंने अपने आप को बचा कर रखा. ये वो टाइम था, जब मैं अपने मॉरल्स की पक्की लड़की थी. फिर, मैंने किसी को चाहा, उसको अपना टाइम दिया, उसको अपना जिस्म दिया. लेकिन, उसने मेरी ऐसी मारी; कि वो दूसरी लडकियों को चोदने के लिए मेरी हेल्प मांगने लगा. बात उस समय की है, जब मैं कॉल सेण्टर में नई – नई थी. सब कुछ नया था मेरे लिए और बहुत नर्वस करने वाला भी. नया जॉब था, नए बॉस थे, नये पार्टनर्स थे. सब लोग बहुत ही अच्छे और फ्रेंडली थे.

उनमे एक लड़का था अनिल. वो बहुत ही हैण्डसम, ६ फिट टोल, फेयर और एकदम बेडमेन टाइप का लड़का था. बट हार्ड वोर्किंग था. सारा दिन स्मोक करता था और बॉस लोगो का फेवरेट था. जब हम पहले दिन मिले, तब उसने सिर्फ मुझको हेलो किया और काम में लग गया. मुझे उसकी पर्सनालिटी ने बहुत अत्त्रेक्ट किया फर्स्ट टाइम में ही. पर मैं उस से बात करते हुए डरती थी. मेरी बाकी फ्रेंड्स सारा दिन, उसके आसपास रहने की कोशिश करती, पर वो किसी पर ध्यान ही नहीं देता था. फिर धीरे – धीरे हमारी दोस्ती स्टार्ट हुई. हम साथ – साथ काम करते. डॉक्यूमेंट जमाते और फ्लिर्तिंग करते. बॉस हमारे काम से भी बहुत खुश रहते और वर्क असाइन करते. हम अब साथ काम करते थे और एक दुसरे के आदी हो चुके थे. फिर भी हमारे बीच ऐसा कुछ नहीं शुरू हुआ था. फिर एक दिन अचानक जब मैं ऑफिस नहीं आई, तबियत ख़राब होने की वजह से. उसका कॉल आया और उसने फोर्मली पूछा, नहीं आने का रीज़न. उसका पूछना मुझे बहुत अच्छा लगा.

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उस दिन हम पुरे दिन फ़ोन पर बात करते रहे. एक दुसरे के बारे में जानते रहे, फॅमिली के बारे में, काम के बारे में, उसके पास्ट के बारे में. ऐसे ही पूरा दिन निकल गया. दुसरे दिन, जब मैं ऑफिस हई. तो मैं उसे ढूंढने लगी. अगले दिन छुट्टी थी और ऑफिस में एक क्लाइंट आने वाला था. बॉस ने हमने ड्यूटी असाइन की और उसे अटेंड करने को बोला. उस ऑफिस में ज्यादा लोग नहीं थे और हम क्लाइंट का वेट कर रहे थे. तभी उसने एक फाइल मांगी और वो मेरे हाथ से फिसल गयी. मैं डर के मारे उसे उठाने के लिए नीचे झुकी, तो उसने मुझे मना कर दिया और खड़ा होने को बोला. पर मैं पेपर्स उठाने लगी. मैंने डर के मारे ऊपर देखा, तो लगा वो शायद मेरे बूब्स को देख रहा था. मुझे अजीब लगा और मैं चुपचाप खड़ी हो गयी. फिर मैं जितना उस से दूर रहने की कोशिश कर सकती थी, उतना रहने की कोशिश करती. पर मैं उस से दूर होने की बजाये उसकी तरफ उतना ही अट्रेक्ट होने लगी थी. उसका केयर करना, स्माइल देना, मुझे हर समय देखते रहना. मुझे बार – बार गलती से छु देना और फिर प्यार से सॉरी बोलना, ये सब मुझे बहुत अच्छा लगता था.

फिर एक इंसिडेंट हुआ, जब हमारी बात रेगुलर और बहुत डीप होने लगी थी. मुझे ऑफिस का एक लड़का परेशान करता था और अश्लील बातें करता था. वो अनिल का जूनियर था. मैंने उसे बताया और सजशन माँगा. उसने तुरंत जूनियर को चमकाया और उसकी कंप्लेंट करने की बात कही. मैं बहुत ज्यादा परेशान रहती थी और उस से अपनी परेशानी शेयर करती. ऐसे बात करते – करते हमने १ मंथ हो गया. एक दिन, हम ऑफिस में काम कर रहे थे और केबिन में कोई नहीं था. तभी बॉस ने मुझे कॉल किया और मैं उठ कर जाने लगी. तभी अचानक अनिल डोर के पास आया और डोर अन्दर से बंद कर दिया और अचानक से मेरे एकदम करीब आया. मैं नज़रे नीचे करके कांप रही थी. उसने मेरा चेहरा ऊपर उठाया और बोला – आज से पहले मेरे इतने करीब खड़ी हुई है तू? देख, लड़के के करीब खड़े होने पर कैसे लगता है? मुझे लगा, कि मेरे पैर सुन्न हो गये है. मुह से आवाज़ नहीं निकल रही थी. मेरी आँखों में आंसू आ गये थे. वो मुझे पसंद था, पर ऐसा कुछ मैंने नहीं सोचा था. उस दिन के बाद से वो मुझे अच्छा फील करवाने की कोशिश करता.

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मेरा हाथ पकड़ कर सहलाने लगता और विश्वास दिलाता, कि वो मेरे साथ गलत नहीं करेगा. मैं उस पर ट्रस्ट करने को मजबूर थी. क्योंकि उसने कभी मुझे फ़ोर्स नहीं किया था, किसी भी चीज़ के ले लिए. एक दिन, मेरा किसी साथ साथ झगड़ा हो गया और मैं केबिन में बैठ कर रो रही थी. मैंने उसे कॉल करके बताया और वो तुरंत आ गया, अपना सारा काम छोड़ कर. मुझे बहुत बुरा लग रहा था. मैंने चाहती थी, कि वो मुझे अपने करीब महसूस करने दे. फिर पता नहीं, शायद उसने मेरे दिल की बात समझ ली . वो खड़ा हुआ और अपना हाथ मेरी तरफ बढाया. मैंने डरते – डरते उसका हाथ पकड़ा. उसने धीरे से मुझे अपने करीब खीच लिया और मुझे अपने सीने से लगा लिया. मैं तो मानो सातवे आसमान में थी. मैंने उसे कस कर पकड़ लिया और अपना चेहरा उसके सीने में छुपाने लगी. उसने बहुत कोशिश की, मेरा चेहरा ऊपर करने की, पर मैं शर्म में गडी जा रही थी.

मेरी खुद की साँसे मुझे तेज होती महसूस हो रही थी और गरम भी. उसके हाथ मेरे शोल्डर पर कस रहे थे. फिर उसने धीरे से मेरी गर्दन पर किस किया और मुझे और जोर से जकड़ लिया. उसके साँसे मुझे अपनी गरदन पर फील हो रही थी. उस से एक अजीब सी खुशबु आ रही थी, जिस से मैं अपना होश खोने लगी थी. वो खुशबु उसके जिस्म और सिगरेट का मिक्सचर थी. मुझ पर नशा चड़ने लगा था. लग रहा था, कि वो मुझे आज चोद कर ही छोड़ेगा. उसकी पकड़ मुझ पर कसती ही जा रही थी. मुझे लग रहा था, कि वो आज मुझे चोद ही डालेगा. ये सारा इंसिडेंट एक केबिन में हो रहा था, जहाँ पर कोई भी कभी भी आ सकता था. डर और लस्ट की मिक्स फीलिंग मेरे मन में थे और मैं नेर्वेस हो रही थी. ऊपर से फर्स्ट टाइम किसी मेल के साथ टच करने से मैं पागल हो चुकी थी. मेरे चेहरे पर एक स्माइल थी, जिसे शायद उसने देख लिया था और अब उसे अब पता चल गया था, कि मैं उसके कण्ट्रोल में आ गयी हु.

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वो मेरे लिप्स को किस करने के लिए बार – बार मेरे फेस को ऊपर कर रहा था. पर मैं पता नहीं क्यों, अपना फेस ऊपर उठा नहीं पा रही थी. अब आगे क्या हुआ.. वो मैं आपको अगली स्टोरी में बताउंगी. उम्मीद करती हु, कि आपको मेरी स्टोरी पसंद आई होगी और मेरी चुदाई की स्टोरी का बेसब्री इंतज़ार रहेगा. मैं आपको बता नहीं सकती, कि अभी ये स्टोरी लिखते हुए, मेरे दिल – ओ –दिमाग की हालत क्या है? पर आपको मेरी कहानी पड़ कर मज़ा आएगा…