स्टूडेंट की मस्त मोटी मम्मी ट्यूशन में चोदने मिली
मेरा नाम अनिल है, उम्र 24 साल। मैं 5 फीट 8 इंच लंबा हूँ, गोरा, छरहरा बदन, और मेरा लंड 7 इंच का है। मैं एक टीचर हूँ। आज मैं आप लोगों को अपनी एक कहानी सुनाने जा रहा हूँ। ये मेरी सच्ची कहानी है, और ये मेरी पहली कहानी भी है।
ये बात आज से दो साल पहले की है। मेरे एक दोस्त ने मुझे ट्यूशन दिलवाया था, 800 रुपये महीने में। बात पक्की हो गई, और मैं वहाँ पढ़ाने जाने लगा। लड़का चौथी क्लास में पढ़ता था। उस लड़के की माँ करीब 32 साल की होगी। वो मोटी थी, गोरी थी, और सचमुच अच्छी लगती थी। जब भी वो मुझे चाय या पानी देने आती, तो झुकी हुई पोज में उसके दूध दिख जाते। बिल्कुल सफ़ेद, मस्त लगते थे। मेरा तो लंड खड़ा हो जाता था। वो हमेशा मुझसे ढंग से बात करती, सलीके से रहती।
एक दिन वो पूरी तरह तैयार होकर आई। चाय देकर चली गई। जब वो जा रही थी, तो मैंने उसकी मटकती हुई गांड देखी। आये हाय, कसम से ऐसा लगा कि पीछे से जाकर लिपट जाऊँ। मैं अक्सर उसे गांड मटकाते हुए जाते देखता। कितने बड़े कुल्हे, वाह! मेरी तो हालत खराब हो गई। मैंने लड़के से पूछा, “आज कुछ है क्या?” उसने कहा, “आज मम्मी-पापा की एनिवर्सरी है।” मैं मन ही मन सोचने लगा, अगर ऐसी बीवी मुझे मिल जाए, तो मैं रोज सुहागरात मनाऊँ। मैंने सोचा, आज रात ये चुदेगी। कोई भी उसे देखकर चोदने को तड़प उठे, कमाल लग रही थी।
इसी तरह दिन गुजरते रहे। मैंने मन ही मन उसे लाइन मारना शुरू कर दिया। जैसे उसकी तारीफ करना। वो सुनकर हँसती, अपने चेहरे से बाल हटाकर कानों पर चढ़ाती। चमकता हुआ चेहरा बहुत प्यारा लगता था। एक दिन वो मुझे चाय देने आई। मेरे बगल से आकर उसने चाय टेबल पर रखी। लेकिन जब वो चाय रखकर ऊपर हुई, तो उसके सूट का गला मरे कान में फंस गया। मैंने तुरंत ऊपर देखा, तो मेरा मुँह उसके दूध से टकरा गया। वो हँसी और चली गई। एक-दो दिन यही हुआ। मैं उसके इशारे समझ गया। तीसरे दिन मैं पढ़ाकर निकल रहा था। वो गेट बंद करने आई। वो बिल्कुल मुझसे सटकर चल रही थी। उसका पेट और दूध मेरी पीठ से टकरा रहे थे। मैंने गेट खोला। जब वो गेट पकड़ने को हुई, तो मैंने उसका दूध पकड़कर कहा, “बंद कर लीजिए।” उसने मेरा हाथ पकड़कर कहा, “हाँ, बंद तो हो जाएगा।”
अगले दिन वो बहुत मुस्कुराकर बातें कर रही थी। मैं उसे गौर से देख रहा था। खैर, दो-तीन दिन इसी में निकल गए। एक दिन वो पढ़ाते वक्त आई और बोली, “सर, जरा किचन में आइए। एक डब्बा रैक से उतारने में मदद कीजिए।” मैंने लड़के से कहा, “बेटा, तुम ये मैथ्स के सवाल लगाओ, मैं अभी आया।” उसने “यस सर” कहा। मैं फटाक से किचन में गया। वहाँ वो मुझसे बोली, “सर, मैं ऊपर वाला डब्बा निकाल लूँगी। क्या आप मुझे थोड़ा ऊपर उठाएँगे?” मैं उसकी बॉडी देखकर थोड़ा रुका, लेकिन उसे पकड़ने-छूने के ख्याल से ही मुझमें जोश आ गया। मैंने हाँ कहा और उसकी कमर पकड़कर उठाने लगा।
मैंने कमर से हाथ हटाया और उसके मोटे-मोटे कुल्हों को पकड़कर ऊपर किया। डब्बा उसके हाथ में आ गया। मैंने उसे नीचे उतारा, तो वो मुझे थैंक्स बोली। मेरे सामने आकर, और करीब आकर खड़ी हो गई। मैंने अंदर से ताकत जुटाई, मन में कहा, “बेटा, आज नहीं तो कभी नहीं।” और तुरंत उसके दूध पकड़ लिए। दबाकर कहा, “मैडम, यू आर सो हॉट!” वो बोली, “हाँ, अब जाओ, कृष को पढ़ाओ।” मैं आगे बढ़ा, उसे किस किया, “लव यू” कहा। तो वो मुझसे बोली, “अब जाओ ना।” मैं पढ़ाने आ गया। घर आने के बाद मैंने उसके लिए तीन बार मुठ मारी। मैं उसे चोदने के बारे में सोचने लगा था। मौका तलाश रहा था, लेकिन मौका नहीं मिल रहा था।
मेरी बेताबी बढ़ती जा रही थी। दूध दबाना, चूमना, कुल्हे दबाना, ये रोज का हो गया। किसी न किसी बहाने से हम इतना वक्त निकाल लेते थे। खैर, मेरी भगवान ने सुनी। एक दिन जब मैं पढ़ाने गया, तो वो लड़का नहीं था। मैंने उससे पूछा, “कृष कहाँ गया?” वो सोफे पर बैठकर बोली, “कृष और उनके पापा भोपाल गए हैं। दो दिन बाद आएँगे।” मैंने भगवान को थैंक्स कहा और उसके बगल में जाकर बैठ गया। उसकी जाँघ पर हाथ रखा और हाथ को ऊपर दूध तक ले जाकर दबाने लगा। वो कुछ विरोध नहीं कर रही थी। मेरी हिम्मत बढ़ी, तो मैं आगे से घूमकर उसकी जाँघों में बैठ गया। उसके दूध दबाते हुए चूमने लगा। कुछ सेकंड तक चूमने के बाद वो भी मुझे चूमने लगी, लिपटने लगी।
तभी उसने मुझे अपने ऊपर से हटाया और खड़ी हो गई। मैं डर गया कि शायद ये बखेड़ा खड़ा करेगी। लेकिन अगले ही पल वो बोली, “जल्दबाजी मत करो। गेट तक बंद करना भूल गई। पहले गेट तो बंद कर दूँ।” मैंने राहत की साँस ली। वो गेट बंद करने गई, तो मैं पीछे-पीछे गया। जब उसने गेट लगाया, तो मैंने पीछे से उसके कुल्हे दबा लिए। जोर से दबाने लगा। वो “स्स्स्स्स” बोली। मैंने कहा, “कितने मसालेदार कुल्हे हैं आपके!” वो ये सुनकर बोली, “हाँ यार, ये भी कहते हैं कि ये मस्त हैं।” मैंने कहा, “चलो ना अंदर।” वो अंदर आने लगी, तो मैं उसके कुल्हों को दबाता रहा। जब बिस्तर में आए, मैंने उसे लिटाया और खुद उसके ऊपर लेट गया। जी भरकर उसे चूमा। वो भी मुझे चूमती रही।
वो बोली, “तुम ऐसे पागलों की तरह क्यों चूम रहे हो?” मैंने जवाब दिया, “आप इतनी हॉट हो कि मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा।” वो सिर्फ हँस पड़ी। मैंने कहा, “आप कितनी मस्त हो, कमाल हो। मैंने न जाने कितनी बार आपके नाम की मुठ मारी है। जो सोचा, वो आज मिला है।” वो बोली, “कुछ ज्यादा नहीं सोच लिया?” मैंने कहा, “नहीं, ये तो कम है।” वो बोली, “तो ज्यादा कर लो।” मैं एक-एक करके उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिए।
जैसे-जैसे कपड़े उतरते जा रहे थे, उसका गोरा जिस्म चमकता हुआ दिख रहा था। मैंने उसे एकदम नंगा कर दिया। उसे देखने लगा। तभी मैं एकदम से उसके ऊपर टूट पड़ा और फिर से चूमने लगा, चाटने लगा। उसका पूरा जिस्म मैंने चूम-चूमकर लाल कर दिया। उसके चेहरे में लालिमा आ गई थी। उसका पूरा जिस्म गठीला था, मैं बयान नहीं कर सकता।
मैंने जी भरकर उसके दूध पिए, बॉडी को मसला। वो सिसकने लगी, “आ आ अस्स्स्स्स।” फिर जब मैं चूत के पास पहुँचा, तो पावरोटी जैसी फूली चूत को मैंने मुँह में भर लिया। चिकनी चूत चूस-चूसकर मजा लिया। मैं तो पूरी जीभ अंदर डाल रहा था। वो अपनी जाँघों में मुझे दबाए जा रही थी। मैंने अपनी जीभ निकाली और उंगली गांड तक ले जाकर चुभाई, तो वो “उम्म्ह” बोली। मैंने उसकी जाँघें हटाई और उसके बगल से लेटकर अपना लंड निकाला। वो गौर से देखने लगी। मैंने उसका हाथ पकड़ा और लंड पर रख दिया। वो लंड सहलाने लगी।
मैंने कहा, “मुँह में लो।” वो मना करने लगी, “नहीं, मुँह में नहीं। मुझे अच्छा नहीं लगता।” लेकिन मैंने थोड़ा जोर डाला, तो वो थोड़ा चूमने लगी। मैंने जीभ निकालकर चाटने को कहा। वो मुझे देखने लगी, लेकिन फिर चाटने लगी। थोड़ी ही देर में मेरे लंड उसके मुँह में जा चुका था। वो बड़े आराम से चूस रही थी। “पुच पुच” की आवाज आ रही थी। मैंने उसके मुँह में ही एक बार पानी टपकाने की सोची, लेकिन अगले ही पल सोचा कि काम न बिगड़ जाए। मैंने लंड निकलवा लिया और उसकी टाँगें फैलवाकर बीच में आ गया। उसकी चूत और अपने लंड पर थूक लगाया, फिर चूत में लंड रगड़ने लगा। लेकिन शायद वो ज्यादा उतावली हो चुकी थी। उसने लंड को पकड़कर चूत में टिकाया और मेरे कुल्हों को पकड़कर अपनी तरफ खींचा। मैंने भी इसका फायदा उठाया और थोड़ा खुद ही अंदर कर दिया। वो होंठ अपने दाँतों में दबाए थी और आँखें बंद किए थी। “उम्म्ह्ह्ह्म्ह्ह्ह” कहकर कराहने लगी। मैंने एक धक्का मारकर पूरा लंड अंदर डाल दिया। उसके ऊपर लेट गया। उसका दूध मुँह में लेकर चुदाई शुरू कर दी। वो “आह आह आआआआआह ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स्स्स उम्म्ह आआआह आआआआस अहा अहाहाह उम्म्ह सिसिसिसी आह” कह रही थी। लंड की चूत के साथ “चपड़ चपड़ थप थप थप” की आवाज आ रही थी। मैं चोदने में मस्त था। मैंने कहा, “मैडम, कैसा लग रहा?” वो अपना सर यहाँ-वहाँ “हाहाह हा हह हाह अच्छा लग रहा, चोदो तेजी से” कह रही थी। मैंने उसके मुँह से ये शब्द सुनकर और तेजी से चोदने लगा। वो “आह आह अह अहहहह उम्म्ह मुँहमुँहमुहम” कहकर चुद रही थी। करीब 7 मिनट तक मैंने चूत में चोदा। मैंने सोचा, अब न जाने कब इसे चोदने का मौका मिलेगा। बेटा, जो कर सकता है, कर ले।
मैं उसके ऊपर से हटकर उसे उल्टा कर दिया और उसके मोटे-मोटे कुल्हे पकड़कर डॉगी स्टाइल में ले आया। वो खुद ही एडजस्ट हो गई। गोरे-गोरे कुल्हे एकदम खुल चुके थे। उसकी गांड दिखने लगी। मैंने गांड में किस किया और पीछे से चूत में डालकर चोदने लगा। 10-12 धक्के मारने के बाद मैंने लंड निकाला और गांड में सटा दिया। वो बोली, “ये भी मारोगे?” मैंने कहा, “हाँ, क्यों नहीं। आपकी गांड के लिए तो हम पागल हैं, मैडम।” वो बोली, “अच्छा, मार लो।”
मैंने लंड को सटाकर जोर लगाया, तो फिसल गया। मैंने हाथ से लंड पकड़कर धक्का मारा, तो लंड का मुँहाना घुस गया। वो “आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह sssssssss” बोली। लंड टाइट जार रहा था। कुछ ही पलों में पूरा लंड अंदर डाल दिया। मैंने आगे-पीछे करने शुरू कर दिया। उसकी गांड मारने में गजब का मजा आ रहा था। चोदते वक्त मैंने पूछा, “गांड इतनी कसी क्यों है? मारती नहीं हो क्या?” वो “हाहाहाहा” हँसते हुए बोली, “मारती तो तब जब मैं मरने देती हूँ। लेकिन जब कभी ये नहीं मानती, तो मार देती हूँ।” मैंने रगड़-रगड़कर गांड मारनी शुरू कर दी।
वो मस्ती में आ गई। अब लंड सटा-सटा रहा था। मुझे अपना काम पूरा करने का अहसास हुआ। मैंने जल्दी से ताबड़-तोड़ धक्के दिए। वो “आआआआआह ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह” कह रही थी। करीब 2 मिनट की जावर्जस्त धक्कों की बारिश के बाद मेरा लंड जवाब देने लगा। मैंने उसे जकड़ लिया, उसके ऊपर ही लिप गया। वो भी नीचे को होकर ले गई। मेरा पूरा माल अंदर गिर गया। हम दोनों कुछ देर तक ऐसे ही लेटे रहे, फिर अलग हुए। वो एकदम शांत हो गई थी।
मैंने उसके ऊपर हाथ रखा, किस किया और कहा, “माजा आया ना? आप कमाल की हो।” वो बोली, “मेरे इस तरह कर दिया तुमने। गांड फट गई होगी।” और अपने हाथ से अपनी गांड को छूकर टोल्नें लगी। मैंने कहा, “बेबी, क्यों घबरा रही हो?” और लिप गया। वो भी लिप गई। मेरे कान में बोली, “सचमुच मजा आया। तुमने बहुत मज़ा दिया। मैं खुश हूँ।” मैं ख़ुश था कि आज मन की मुराद पूरी हुई है। रात को करीब 8:25 पर उसका कॉल आया। वो बोली, “तुम आ सकते हो क्या?” मैंने कहा, “क्यों? क्या हुआ?” वो बोली, “याद आ रही है।” मैंने कहा, “किसी की?” तो वो बोली, “मेरी।” मैंने कहा, “आता हूँ।” खाना खाने के लिए। उसने कहा, “खाना यहीं खा लो।” मैं 10 मिनट में पहुँच गया। हम दोनों बिस्तर पर ही खाना खाया। मैंने उसे अपनी गोद में बिठाकर अपने हाथों से खिलाया और कहा, “अब खा लो फिर तुम…”
जैसे-तैसे खाना खाने के बाद फिर बिस्तर पर आते ही हम दोनों पति-पत्नी की तरह लिप गए। मैंने उस रात 2 बार उसकी चूत चुदाई की। बहुत मनने के बाद उसने एक बार गांड में चुदवाया। तब से आज तक जब भी हमें मौका मिलता है, हम दोनों एक हो जाते हैं। खुले में मजा लेते हैं। बस यही मेरी कहानी है। आपको कैसी लगी? मुझे जरूर बताइए ताकि मैं और कहानियाँ लिख सकूँ।