मामी की बहन के साथ रोमांचक सेक्स कहानी
पढ़ें एक रोमांचक सेक्स कहानी, जिसमें देव और मामी की छोटी बहन दिशा के बीच फ्लर्ट से शुरू होकर जुनूनी प्यार और हॉट मोमेंट्स की दास्तान है। इस कामुक कहानी में जानें कैसे दोनों ने अपने जज़्बात को कामसूत्र की राह पर ले जाकर मज़ा लिया।
हाय दोस्तों, मैं हूँ आपका देव, एक लंबे अंतराल के बाद फिर से आपके सामने… बात उन दिनों की है जब मैं अपने मामा की साली पर फिदा था। उसके साथ हल्का-फुल्का मज़ाक और फ्लर्ट तो चलता रहता था, लेकिन मुझे कभी नहीं लगा था कि हम एक दिन सेक्स का मज़ा भी लेंगे। हुआ कुछ यूँ कि मैं मामा जी से मिलने उनके घर गया हुआ था। अगले दिन वहाँ मामी की छोटी बहन दिशा भी आ गई उनसे मिलने के लिए, क्योंकि उसके कॉलेज की छुट्टियाँ थीं कुछ दिनों के लिए। वो एक आम भारतीय लड़की है, जो कॉलेज में पढ़ती है। रंग गोरा, भरा हुआ गदराया बदन, रसीले होंठ, लंबा ऊँचा कद, और उसके स्तन ऐसे कि जैसे अभी सीना फाड़कर बाहर निकल पड़ेंगे। बहुत बातें करती है और उसकी आवाज़ भी काफी चहकती हुई है। मन करता है कि बस उसके साथ बैठकर बातें करते रहो और उसकी सुरीली हँसी सुनते रहो।
हमारे बीच कुछ न कुछ तो सुलग रहा था, जो आग बनकर निकलने वाला था। मैं चोरी-छुपे उसकी कलाई पकड़ लेता, कभी उसे आँख मारता, कभी फ्लाइंग किस देता। वो भी कभी जवाब देती, तो कभी डर के मारे मुझे आँखें दिखाती। हम दोनों बस मज़े ले रहे थे। मैंने उसके हाथ को देखकर भविष्य बताने के बहाने से काफी देर तक उसे छुआ और उसका हाथ चूम भी लिया। जब मैं उसके स्तनों को निहारता, तो वो शरमा जाती। मैंने उससे उसकी ब्रा का साइज़ भी पूछा, जो उसने कई दिनों तक मुझे नहीं बताया। लेकिन एक दिन जब मामी बाथरूम में नहाने गईं और मामा जी ऑफिस गए, तो मैंने उसे पकड़ लिया और उसके कुर्ते के पीछे के हुक खोलकर उसकी ब्रा का साइज़, जो उस पर छपा था, देख लिया। वो मुझ पर गुस्सा दिखाने लगी।
उसी वक़्त मैंने उसकी नरम पीठ पर हाथ फेरना शुरू कर दिया, जिससे वो उत्तेजित होने लगी और आँखें बंद करके मज़ा लेने लगी। मैंने अपना हाथ उसकी ब्रा के अंदर डाल दिया और बड़े प्यार से उसके भरे हुए स्तनों को दबाने लगा। साथ ही उसकी कोमल, नरम पीठ की त्वचा को अपनी जीभ से चाटने भी लगा। एक मदहोशी थी हमारे बीच। हम दोनों ही सुलग रहे थे और इंतज़ार में थे कि कब मौका लगे और सब्र का बाँध तोड़कर कामसूत्र की नदी में डुबकियाँ लगाएँ। मैं उसे सहलाते और चाटते-चूमते हुए उसके गालों तक पहुँचा ही था कि तभी बाथरूम की कुंडी खुलने की आवाज़ हुई। मतलब मामी नहाकर बाहर आ रही थीं। हम दोनों जल्दी से एक-दूसरे से अलग हुए और मैं कमरे से बाहर जाकर सामने खुले आँगन में धूप सेंकने बैठ गया। दिशा भी खुद को सँभालते हुए किसी मैगज़ीन के पन्ने पलटने लगी। वो अपनी गीली चूत को और मैं अपने तने हुए खड़े लंड को सहलाते हुए अपनी आग को दबाकर एक-दूसरे को निहार रहे थे।
तभी मैंने हल्के से अपनी ज़िप नीचे की, तो उसने भी मेरी तरफ आँख मारते हुए अपने रसीले होंठों पर अपनी गुलाबी जीभ को मादक अंदाज़ में घुमाया। ऐसा एक्शन देखकर ऐसी आग लग रही थी कि सब कुछ इग्नोर करते हुए उसे बाहों में भर लूँ और उसकी ज़बरदस्त चुदाई करूँ, और तब तक करूँ जब तक वो चीख न पड़े। उसके इस एक्शन के साथ ही मैंने भी अपनी जीभ से उसकी चूत की तरफ चाटने का इशारा किया, तो उसने शर्माकर मैगज़ीन में अपना चेहरा छुपा लिया।
मामी इन सब बातों से बेखबर अपने काम में लगी रहीं और फिर तैयार होकर पास ही एक मंदिर जाने लगीं। तभी मैंने उनसे कहा, “मामी, चलो मैं भी चलता हूँ तुम्हारे साथ।” मामी ने एक बार अपनी बहन की तरफ देखा और फिर मुस्कुराकर मुझे मना कर दिया। मैंने भी सोचा, चलो अच्छा मौका है दिशा के साथ मस्ती करने का। मामी चली गईं…
मैं झट से कमरे में घुसा और दिशा की तरफ लपका। वो मुझसे बचकर भागती हुई कभी सोफे पर चढ़ जाती, तो कभी बेड पर। तभी मैंने एक हाथ से उसकी टाँग पकड़कर उसे बेड पर गिरा लिया और उसके ऊपर चढ़ गया। मैंने उसे पूरी तरह अपनी गिरफ्त में लेकर चूमना और चाटना शुरू कर दिया। मैंने उसकी चुनरी को अलग फेंक दिया और उसके सूट के हुक खोल दिए। इस बार उसकी ब्रा की स्ट्रिप्स भी खोल दीं। अब उसकी पीठ, जो एकदम नरम थी, मुझे आमंत्रित कर रही थी कि मैं उसे चूमते-चाटते खा ही जाऊँ।
उसकी ब्रा खुलने की वजह से अब उसके स्तनों को पकड़ना और भी आसान हो गया था। मैं उसके निप्पल्स को पकड़कर छेड़ रहा था और वो “उफ्फ… म्म म्म… उफ्फ… आह… ओह्ह… स्स्स…” की कामुक आवाज़ें निकाल रही थी। साथ ही मैंने अब उसे सीधा लिटा लिया और उसे अपने नीचे दबाकर उसके रसीले होंठों की तरफ बढ़ा। आग तो उसमें भी पूरी थी। उसने झट से मेरे सिर को पकड़कर मेरे होंठों को अपने होंठों से चिपका लिया और फिर हम दोनों एक-दूसरे में खो गए। मैंने पहले उसके होंठों पर जीभ घुमाई, फिर उसके ऊपरी होंठ को चूसने लगा। लगभग 5 मिनट बाद मैंने उसके निचले होंठ को अपने होंठों में दबाकर चूसना और चाटना शुरू किया। वो सिसकियाँ ले-लेकर मज़ा ले रही थी और मुझे उत्तेजित कर रही थी। उसने भी इस चुंबन में पूरा साथ दिया। असली मज़ा भी तभी आता है जब सेक्स में दोनों पार्टनर एक-दूसरे को बराबरी से जवाब दें और आनंद का अनुभव कराएँ।
मैंने उसकी आँखों को चूमा, फिर गोरे नरम गाल, फिर उसकी गर्दन, कान के पास, माथा, फिर उसका क्लीवेज… उफ्फ, इतना सुकून मिल रहा था कि मन कर रहा था कि ये पल कभी खत्म न हो। समझ ही नहीं आ रहा था कि आगे बढ़ूँ या इसी हिस्से पर चूमता-चूसता रहूँ। और इसके साथ-साथ दिशा की मदहोश आवाज़ें – “ओह्ह… उम्म… आह्ह… ओह्ह देव… म्म्म… चोदो मुझे…” वाकई में कमाल था। मज़ा अपने चरम पर था। हम दोनों एक-दूसरे पर खुद को रगड़ रहे थे, मसल रहे थे, और बेड के एक कोने से दूसरे तक खुद को रोल करते हुए झूल रहे थे। सच में, सेक्स में जो मज़ा है, वो दुनिया में किसी और चीज़ में नहीं। बस इसे एंजॉय करना आना चाहिए। अभी हम कपड़ों में ही थे और कपड़ों के ऊपर से ही छूकर मज़ा ले रहे थे। मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी चूत की तरफ बढ़ाया और उसने मेरे लंड को पैंट के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दिया।
मैंने उससे पूछा, “दिशा, मज़ा आ रहा है?”
दिशा: “अरे यार, तुमने तो आग लगा दी है… ज़बरदस्त मज़ा दे रहे हो तुम… उम्म… लगे रहो… जानू…”
मैं: “तो अब आगे का क्या इरादा है… बढ़ें आगे?”
दिशा: “हाय मेरे यार… जो करना है करो, अब सहा नहीं जाता। बहुत गीली हो रही हूँ… आह्ह…”
मैं: “चलो तो हो जाओ तैयार, आज तुम्हें जन्नत दिखाता हूँ…”
दिशा: “ओह्ह म्म्म… हाय मेरे स्वीटी पाई, बस शुरू हो जाओ… राइड मी बेबी… उम्म… उफ्फ…”
अब मैंने दिशा को उठाया और उसका कुर्ता उसकी बॉडी से निकालकर अलग कर दिया। हाय, क्या बताऊँ, क्या नज़ारा था। उसके स्तन ब्रा से आज़ाद होकर सामने तने हुए खड़े थे। उसका क्लीवेज मुझे आमंत्रित कर रहा था। मैं तो जोश में था ही, ये नज़ारा देखकर मैंने दिशा को फिर बेड पर लिटाया और उसके क्लीवेज को चूमता-चाटता हुआ आगे बढ़ा। मैंने उसके निप्पल्स को चूसना शुरू किया। एक को मुँह में लेकर चूस रहा था और दूसरे को हाथ से दबा रहा था।
दिशा मेरे बालों में उंगलियाँ घुमा रही थी और “उफ्फ… माँ… हुन्नम्म… आह्ह… श्ह्ह… लवली… ग्रेट… फक…” की आवाज़ें निकाल रही थी। जो माहौल था, उसे बयान करना सच में मुश्किल है। इसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है और एंजॉय किया जा सकता है। निप्पल्स के बाद मैंने उसके गोरे चिकने पेट को पहले खूब सहलाया, फिर उसे चूमा और चूसा, फिर चाटा। क्या मज़ा आ रहा था… आह्हा…
मैंने उसकी नाभि में जीभ डाल दी, तो वो उछल पड़ी। उसने अपनी कमर ऐसे उठाई जैसे शरीर को आर्च बना रही हो। उसे गुदगुदी हो रही थी और सेक्स की मादकता भी छा रही थी। अब मैंने आगे बढ़ते हुए अपने दाँतों से उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसे टाँगों से अलग कर दिया। उसकी मखमली टाँगें, जो अच्छी तरह वैक्स की हुई थीं, एकदम चिकनी, मेरे सामने थीं। मैंने जीभ से उन्हें काफी देर चाटा और कई बार जगह-जगह दाँतों से काटा भी। वो मेरी इस हरकत से चीख पड़ी और “ओह्ह… आह्ह… म्म्म… उई माँ…” की आवाज़ें निकालती हुई उछल-उछलकर मज़ा ले रही थी।
अब इतने फोरप्ले के बाद लंड को सँभालना मुश्किल था। मैंने झट से अपने सारे कपड़े उतार फेंके और लंड को आज़ाद कर दिया। वो टनकर खड़ा था और दिशा को सलामी दे रहा था। उसे देखकर दिशा की आँखों में चमक आ गई।
दिशा: “हाय… क्या चीज़ है यार… एकदम मस्त, कितना टाइट है और गर्म भी… उम्म माँ… वाह, मज़ा आएगा डार्लिंग…”
मैं: “‘डार्लिंग’… मतलब लिंग डालूँ?”
दिशा: “हाय बदमाश, क्या मतलब निकाला है डार्लिंग का… इन्हीं अदाओं पर तो हम तुम पर मरते हैं… हाय सेक्सी…” इतना कहकर उसने लंड को अपने नरम हाथों में थाम लिया और उसे अपने गुलाबी होंठों पर रगड़ने लगी। मैं तो जैसे जन्नत में था। क्या मज़ा आ रहा था। फिर उसने लंड की स्किन को आगे-पीछे किया और उसे मुँह में ले लिया। ऐसी फीलिंग तो गज़ब की होती है। इतना मज़ा आ रहा था कि क्या बताऊँ। मेरा लंड एकदम रॉक हार्ड हो चुका था और अब उसे चूत चाहिए थी।
मैं: “जाना, अब चूत के दर्शन करा दो, अब कंट्रोल नहीं हो रहा…”
दिशा: “ओके गुरु, हो जा शुरू… जी ले अपनी ज़िंदगी… मार ले बिल्ली…”
उसकी इन बातों को सुनकर तो जोश और बढ़ गया। मैंने उसे सीधा लिटाया, उसकी टाँगों को फैलाया और पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत में उंगली घुसा दी। वो चिहुँक पड़ी, “उम्म… उफ्फ… क्या कर दिया, करंट लग गया… जानू… उई माँ…” मैंने उसकी पैंटी उतार दी, जो काफी गीली हो चुकी थी। उसकी महक बड़ी मादक थी। फिर मैंने उसकी सफेद चूत की गुलाबी पंखुड़ियों को छेड़ना शुरू किया। उसमें तीन उंगलियाँ घुसा दीं और उन्हें ज़ोर से अंदर-बाहर करने लगा। वो सिसकारियाँ भरने लगी, चिल्लाने लगी, “प्लीज़ डार्लिंग रुक जाओ… गुदगुदी हो रही है… मैं मर जाऊँगी… मुझे अब उंगली से नहीं, उस मोटे मूसल से चोदो प्लीज़…”
मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में दबाते हुए अपने नंगे बदन को उसके नंगे बदन के ऊपर चढ़ाते हुए उसे अपने नीचे दबा लिया। नंगे बदन जब एक-दूसरे से चिपकते हैं, तो उत्तेजना और बढ़ जाती है… ओह्ह… आह्ह… मैंने अपने लंड को पकड़कर उसकी चूत के छेद पर रखा और आँखों से उसे सिग्नल दिया कि वो तैयार है। उसका इशारा मिलते ही मैंने एक झटका दिया, तो आधा लंड अंदर घुस गया। वो चीख पड़ी, “ओह्ह माँ… मर गई… हाय मार डाला… उई… म्म्म… श्ह्ह…”
दिशा: “देव, तुमने मुझे चीरकर रख दिया है… मैं तो मर गई… मिर्ची लग रही है… ऊऊ म्म्म… श्ह्ह…”
मैं: “अभी ठीक हो जाएगा, थोड़ी देर बाद तुम जन्नत में होगी…”
अब मैंने उसकी गर्दन को चूमते हुए उसके स्तनों को दबाया भी और चूसा भी। उसे थोड़ी राहत महसूस हो रही थी। फिर मैंने आगे बढ़ने के लिए लंड को बाहर खींचा और एक बार फिर शॉट मारा, जिसकी वजह से मेरा लंड उसकी चूत में जड़ तक समा गया। उसने मेरे दोनों होंठों को ज़ोर से अपने होंठों में भर लिया और “ऊँ ह्ह… आह्ह… म्म्म… मर गई…” जैसी आवाज़ें निकालने लगी।
अब जब वो कुछ शांत हुई, फिर तो रुकना मुश्किल ही था। मैंने ज़बरदस्त चुदाई शुरू की। अंदर-बाहर, इकशट-बाशट, डिंग-डॉन्ग… ओह-आह… लंड चिकनी चूत के अंदर फिसल रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे लंड जन्नत की सैर कर रहा हो। सच में, चूत से सही जगह कोई नहीं होती लंड के लिए। उसकी गर्म और चिकनी चूत में धक्के पे धक्का लगा रहा था मैं, और वो टाँगें और पिच्छवाड़ा उठा-उठाकर मेरे शॉट पर शॉट से जवाब दे रही थी।
दिशा: “ओह देव, मैं जन्नत में हूँ। इतना मज़ा आ रहा है कि मैं बता नहीं सकती… यू आर सो गुड… म्मुआ… लगे रहो मेरी जान। मेरी चूत के देवता… चढ़े रहो… लव यू स्वीटहार्ट… मज़ा आ रहा है… ओ ओ ओ… आ ह्ह ह्ह… उम्म म्म… मैं तो गई… ओफ्फ… हू ऊँम्म… वाह, कमाल था।” इतना कहकर वो झड़ चुकी थी। मेरा भी निकलने वाला था, तो मैंने दो-तीन धक्के और मारे, लंड को बाहर खींच लिया और फिर सारा वीर्य उसकी चूत पर झड़ दिया। वाह, क्या राहत थी… गज़ब… मैं लंड को झड़ते हुए उसके ऊपर लेट गया और वो मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगी। मैं उसे चूमता रहा।