देसी हसीना के साथ गर्म चुदाई की कहानी
मैं अभी 20 साल का हूँ, लेकिन जो कहानी मैं सुनाने जा रहा हूँ, वो मेरी ज़िंदगी का सबसे हसीन और कामुक पल है, जो आज से करीब चार साल पहले का है। उस वक्त मैं 18 साल का था और एक कंपनी में काम करता था। हर दिन काम खत्म करके जब मैं अपने किराए के कमरे की ओर लौटता, तो मुझे अहसास होता कि कोई मुझे चुपके से देख रहा है। उसकी नज़रें मेरे पीछे-पीछे चलती थीं, लेकिन मैं उसे कभी पकड़ नहीं पाया। दिन बीतते गए, और वो अहसास और गहरा होता गया।
एक दिन, आखिरकार, मुझे पता चला कि वो कौन थी। वो थी मेरे सामने वाले मकान मालिक की बेटी, लीला। उफ्फ! क्या माल थी वो! 19 साल की, गोरी-चिट्टी, कसी हुई जवानी, और आँखों में वो शरारत जो किसी को भी पागल कर दे। उसका फिगर तो बस कातिलाना था—36-28-36, एकदम परफेक्ट। जब वो चलती थी, तो उसकी कमर की लचक और चूतड़ों का उछाल किसी का भी दिल धड़का देता था।
एक शाम, मैं काम से लौट रहा था, तभी लीला ने मुझे आवाज़ दी, “जय, कहाँ से आ रहे हो?” उसकी आवाज़ में एक अजीब सी मादकता थी, जैसे वो जानबूझकर मुझसे छेड़खानी कर रही हो। मैंने कहा, “बस, काम से। क्या बात है?” वो हल्के से मुस्कुराई और बोली, “आज घर पर कोई नहीं है। चल, थोड़ी देर बैठकर बातें करते हैं।” मैंने मना करने की कोशिश की, लेकिन उसने मेरी बाँह पकड़कर मुझे अंदर खींच लिया। उसका स्पर्श ऐसा था, मानो बिजली सी दौड़ गई मेरे शरीर में।
अंदर जाकर उसने मुझे सोफे पर बिठाया और चाय बनाने चली गई। जब वो चाय लेकर आई, तो मैंने देखा कि उसकी साड़ी का पल्लू थोड़ा सा सरक गया था, और उसकी गहरी नाभि और कसी हुई कमर साफ दिख रही थी। मेरी नज़रें उस पर टिक गईं। हमने चाय पी, और जैसे ही मैं उठकर जाने लगा, मैंने देखा कि उसने अपनी ब्लाउज़ उतार दी थी। उफ्फ! वो दृश्य आज भी मेरी आँखों के सामने है—उसके गोरे-गोरे, रसीले स्तन, ब्रा में कसे हुए, मानो बाहर निकलने को बेताब हों।
“ये क्या, लीला?” मैंने हैरानी से पूछा, लेकिन मेरा लंड तो पहले ही खड़ा हो चुका था। वो शरारती अंदाज़ में बोली, “क्या? तुझे पसंद नहीं?” और फिर वो मेरे पास आई, अपनी बाँहें मेरे गले में डाल दीं। उसकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं, और उसकी खुशबू मुझे मदहोश कर रही थी। मैंने खुद को रोकने की कोशिश की, लेकिन आग के सामने घी तो पिघल ही जाता है। मैंने उसके रसीले स्तनों को अपने हाथों में लिया और जोर-जोर से मसलने लगा। वो सिसकारियाँ लेने लगी, “आह्ह… जय… उफ्फ…”
उसने मेरे लंड को पैंट के ऊपर से सहलाना शुरू किया, और जब उसने मेरी ज़िप खोलकर उसे बाहर निकाला, तो उसकी आँखें फट गईं। मेरा 8 इंच का मोटा लंड देखकर वो डर गई, “अरे, ये तो बहुत बड़ा है!” लेकिन अब रुकना मुमकिन नहीं था। मैंने उसे अपनी बाँहों में उठाया और उसके बेडरूम में ले गया। दरवाज़ा बंद करके मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया। वो ना-ना करती रही, लेकिन उसकी आँखों में वासना साफ झलक रही थी।
मैंने उसकी सलवार और पैंटी एक साथ उतार दी। वाह! क्या नज़ारा था—उसकी चूत बिल्कुल साफ, गुलाबी, और कसी हुई। मैंने अपनी उंगलियाँ उसकी चूत पर फेरीं, और वो सिहर उठी। उसकी चूत इतनी गीली थी कि मेरी उंगलियाँ आसानी से अंदर-बाहर होने लगीं। फिर मैंने उसकी चूत को चूमना शुरू किया, मेरी जीभ उसके दाने को छू रही थी, और वो पागल सी हो रही थी। “जय… आह्ह… मुझे भी चूसना है,” उसने कहा। फिर क्या, हम 69 की पोज़ीशन में आ गए। उसने मेरा लंड अपने मुँह में लिया, और मैं उसकी चूत को चाटने लगा। उसका मुँह मेरे लंड पर जादू कर रहा था, और मैं उसकी चूत की गहराइयों में खोया हुआ था।
जब वो पूरी तरह गर्म हो गई, तो उसने कहा, “जय, अब बस, डाल दे!” मैंने तेल लिया, अपने लंड पर लगाया, और उसकी चूत पर भी। फिर मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी चूत के मुँह पर रखा और हल्का सा धक्का दिया। वो चीख पड़ी, “आह्ह… धीरे!” मैंने उसके होंठों पर Kiss करके उसे चुप कराया और थोड़ा और धक्का दिया। मेरा सुपारा अब उसकी चूत में था। वो दर्द से कराह रही थी, लेकिन मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को और अंदर धकेला। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड जैसे फँस सा गया था।
“निकाल दे, जय… बहुत दर्द हो रहा है,” उसने कहा। मैंने लंड निकाला, और उसने राहत की साँस ली। लेकिन थोड़ी देर बाद उसका जोश फिर जागा, और वो बोली, “अब डाल दे, मैं तैयार हूँ।” मैं फिर उसकी जाँघों के बीच आया, तेल लगाया, और इस बार एक ज़ोरदार धक्का मारा। मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया। वो दर्द से चिल्ला उठी, लेकिन मैंने उसके मुँह को अपने होंठों से बंद कर दिया और एक और धक्का मारा। अब मेरा पूरा लंड उसकी चूत में था। वो छटपटा रही थी, लेकिन मैं रुकने वाला नहीं था। धीरे-धीरे मैंने धक्के मारने शुरू किए, और थोड़ी देर बाद उसे भी मज़ा आने लगा।
वो नीचे से अपनी चूत उछालने लगी, और मैं पूरी रफ्तार से उसे चोद रहा था। उसकी सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूँज रही थीं, “आह्ह… जय… और ज़ोर से… फाड़ दे मेरी चूत!” मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी। 20 मिनट बाद वो झड़ने लगी, उसने मुझे ज़ोर से जकड़ लिया और एक लंबी सिसकारी के साथ झड़ गई। लेकिन मैं अभी नहीं झड़ा था। मैंने उसे और चोदा, और वो फिर से मस्ती में आ गई। 45 मिनट की ज़बरदस्त चुदाई के बाद मैं भी झड़ गया, और उसके ऊपर ही ढेर हो गया।
थोड़ी देर बाद वो बोली, “जय, इतना मज़ा मुझे कभी नहीं आया।” मैंने उसके होंठों पर एक लंबा Kiss किया, अपने कपड़े पहने, और अपने कमरे की ओर चला गया। उस दिन के बाद, जब भी मौका मिलता, मैं उसे बुलाकर चोदता। वो भी मेरे साथ चुदाई का पूरा मज़ा लेती थी। आज भी वो मेरी ज़िंदगी का सबसे सेक्सी अनुभव है।