दीदी की ससुराल में उनकी सास कि चुदाई
अभी ही दीदी की शादी हुई है, मैं उनके घर गया था क्योंकि दीदी हनीमून के लिए बाहर गई थी। वहाँ देखभाल करने के लिए बुलाया गया था। जब मैं पहुँचा तो मेरी दीदी की सासू मां काफी खुश हुई। घर बड़ा था इसलिए एक ही कमरे में सोने का प्रोग्राम बना रात में सासू ने कहा, “बेटा थक गए होंगे, लाओ मैं बॉडी मालिश कर दूँगी”। मैंने कहा, “थके तो हैं, पूरे 300 किमी गाड़ी चलाकर आए हूँ।” लेकिन वो नहीं मानी और तुरंत तेल लेकर आई। मैं बिस्तर पर लेटा हुआ था, वह पहले मेरे सिर की मालिश करती थी फिर मेरे हाथों की। मेरी नज़र उसकी बड़ी-बड़ी चुचियों पर थी जो आधी बाहर दिख रही थीं। उसकी चुच्चियाँ वाकई अद्भुत थीं। फिर वो मेरे पैरों की मालिश करने लगी, उसकी नज़र मेरी कच्छो पर थी और वह जान बूझकर अपने हाथ को मेरे कच्छो तक ले आती थी। उसके स्पर्श से मेरा लंड खड़ा हो गया था। वह मुझे देख रही थी। अचानक सासू ने मेरे लंड को पकड़ कर बोली, “बेटा…”
“इसकी भी मालिश कर दो”।
मैं चुप रहने लगा तो वो मेरे कच्छो को सरकाकर मुझे नंगा कर दिया और मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगी। और धीरे-धीरे तेल लेकर मेरे लंड की मालिश करने लगी। मेरा लंड उसके हाथों में आते ही टाइट हो गया था। वह अपने हाथों से मेरे लंड को ऊपर-नीचे कर के मालिश करती थी। उसकी पेट की नाभि जो बड़ी और काफी गहरी थी, मुझे दिखाई दे रही थी। मैं महिलाओं की नाभि का दीवाना था चाहे कोई भी हो बस उसकी नाभि गहरी होनी चाहिए। फिर सासू उठकर मेरे कमर के नीचे आगल-बगल टांग कर बैठी। मेरा लंड उसके बुर की जंघन से स्पर्श होने लगा। अब वह मेरे शेनै पेट की मालिश करने लगी। उसकी हथेली की उंगलियाँ मेरे निप्पल्स को सहला रही थीं। फिर सासू एक बार उठकर पीछे सार्की करके मेरे लंड को सीधा चिकना होने से उसकी बुर में घुस गया जैसे ही मेरा लंड सासू की बुर में घुसा वो मुझे पागल की तरह मेरे होठों को चूमने लगी। फिर वह मेरे सिने की मालिश करने लगी। मेरा लंड पूरी तरह सासू की बुर में घुस गया था, वह अपने बुर को अंदर डाल रही थी।
बाहर कर रही थी पता नहीं क्या उसकी बुर बहुत टाइट लग रही थी। मेरा लंड इस समय काफी बड़ा और मोटा हो गया था। लगभग 5 मिनट के बाद उसने कहा, “अजय बेटा अब तुम मेरी बुर को चोद दो”। मैंने कहा, “तारा मैं कैसे चोदुंगा आपकी बुर?” वो बोली, “वाह बेटा मेरा नाम जानते हो अच्छा लगा”। वो 20 साल पहले भी ऐसे ही बुलाते थे तारा ने कहा, “सैयाँ आप अपने लंड से मेरी बुर पेलो ना”। मैंने कहा, “मैंने उन्हें पूरी तरह नंगा कर दिया था”। सासू की बुर में धीरे-धीरे जंघन को सहलाते हुए बोली, “तारा की बुर को सहलाना शुरू कर दो”।
“अरे तारा तुम क्या कहती हो?” उसने कहा, “ऐसी बात नहीं है जैसे तुम अपनी माँ की बुर को चोदते हो वैसे मेरा भी लंड मेरे बेटे से मुझे पसंद है”।
“यह इतना है तुम अपनी माँ की बुर को चोदते हो और रोज़ाना तुम्हारी माँ का गांड भी मारते हो।” उसने कहा, “वो साला गांड निकल गया था, मुहल्ले के कई लड़कों का गांड मार चुका था उसे गांड का चस्का लग गया था। एक दिन मैंने उसे काम करने वाली लड़की का गांड मारते हुए देखा था। वह उसको चिल्ला रही थी लेकिन वो उसके गांड को कस-कस कर मार रहा था।” उसने मुझे देखा तो मैं चुपके से उसे देख रहा था, वो अपने लंड को पूरी तरह बाहर निकालकर उसका गांड में डाल देता था। मेरा लंड भी काफी मोटा था, तुम्हारी तरह”।
तारा ने कहा, “तुम कैसे गांड मारवा?” उसने कहा, “एकदम आसान”। एक दिन वह उल्टे लेटी हुई थी अपनी बुर को नंगा कर रखा था। मेरा बेटा आया वो नशे में था। उसने मेरी गोलाई बड़ी बुर को देखा और मेरे ऊपर टूट पड़ा। मेरी बुर को देखते ही उसका लंड खड़ा हो गया। वह तुरंत नंगा होकर अपने लंड में वसलीन लगा के आया और मैं अपनी बुर को फैलाकर उसकी बुर में धीरे-धीरे 2 वसलीन डाल दिया और अपना लंड उसके गांड में घुसा कर उसपर लेट गया। मैं जाग गई और बोली, “गुड्डू क्या कर रहे हो?” उसने कहा, “माँ मेरी जान कितनी मस्त बुर है”।
“ले दो ना इतना कहकर जोर का धक्का मारा और उसका पूरा लंड मेरे गांड में घुस गया। वह मेरी बुर को जमकर चोदने लगा। मैंने कहा, “तारा चल अपनी बुर को फैलाओ तुम्हारी कहानी सुनकर मेरा लंड और टाइट हो गया है”। फिर मैंने अपना लंड सासू की बुर से निकाल कर उसकी गांड के छेद में डाल दिया। वह अपने गांड को चीर रही थी। मेरा लंड आसानी से उसके गांड में घुस गया और मैं उसका गांड सहलाने लगा। मेरा लंड सत-सत सासू की गांड को चोद रहा था। वो भी जमकर सहयोग दे रही थी। फिर मैंने सासू की गांड से लंड निकाल लिया और उसे डोगी स्टाइल में कर दिया और उसके गांड को पीछे से मारने लगा। मुझे बड़ी उम्र की महिलाओं का गांड बुर चोदना बहुत पसंद है। मैं उसका गांड खूब कस-कस कर मार रहा था। वो भी अपने गांड को हिला-हिला कर मरवा रही थी। “अजय मेरे बुर के राजा आज फड़ा दो मेरी बुर को और कस-कस कर मारो गांड”।
मेरी माँ एक दोनों हाथों को आगे ले जाकर उसकी चुचियों को पकड़ कर जोर से दबाने लगा और अपने लंड से उसका गांड मारने लगा। लगभग 40 मिनट सासू की गांड मारने के बाद मैंने अपना लंड उसके गांड में सारा रस गिरा दिया। फिर हम दोनों नंगे ही एक दूसरे की बाहों में चिपके हुए सो गए। रात ज्यादा होने की वजह से सुबह देर तक नींद में रहे। पहले मैं जाग गया दिन के उजाले में उसकी जंघन चमक रही थी। मैंने अपना सेविंग बॉक्स निकाला और उसकी जंघन पर क्रीम लगाने लगा। फिर मैंने रेजर से अपनी सासू की जंघन को साफ़ कर उसके बुर को चिकना कर दिया। उसकी गांड के बालों को भी साफ़ कर दिया। वो चुपचाप देख रही थी।
फिर हम दोनों बाथरूम में साथ-साथ गए और नहाने के बाद मैंने उसका बुर और गांड खूब साबुन लगाकर धो दिया। उसकी बुर और गांड चमक रहा था। मैं उसके बुर को हाथों से फैलाकर अपनी जीभ से चाटने लगा। वो मस्ती में मेरे सर को पकड़ कर अपने बुर को मेरे मुंह पर रगड़ने लगी। फिर मैंने उसे आगे झुकाकर उसकी चुचियों को फैलाकर उसके गांड के छेद को चाटने लगा। अब मेरा लंड अकड़ गया था वो भी गरम हो गई थी। फिर मैंने सीधा होकर खड़े-खड़े ही उसका बुर में लंड डालकर पेलने लगा। वह अपने दोनों हाथों से मेरे कंधे पर रख कर मुझे कस के पकड़ ली। मैं भी अपने दोनों हाथों से उसके गले में बहन डालकर उसे पकड़ लिया। फिर हम दोनों एक दूसरे को धक्का मारने लगे। ऊपर से सावर का पानी सीधे बुर और लंड पर गिर रहा था जिससे फट-फट की आवाज निकल रही थी। वाकई मजा आ रहा था। कुछ देर बुर चोदने के बाद मैंने अपना लंड उससे बाहर निकाला और लंड पर साबुन लगाकर उसे पीछे घुमाकर खड़े-खड़े ही उसके गांड में घुसकर उसके गांड मारना शुरू कर दिया। वो अपने गांड से मेरा लंड दबा रही थी। फिर मैंने उसके गांड को कस-कस कर मारना शुरू किया और जैसे ही मेरा लंड झरने वाला था उससे निकालकर उसे जमीन पर बिठाया और उसके मुंह में घुसा दिया और लंड का पानी उसके मुह में गिर गया। वो मेरे लंड का सारा रस चूसती रही और मेरे लंड को जीभ से चाटने लगी। फिर मैंने उसकी बुर में उंगली डालकर तब तक अंदर-बाहर करता रहा जब तक वो झर न गई। फिर हम बाहर आ गए। मुझे आज घूमने जाना था। मैं अपडेट होकर तुरंत बाहर गये और पूरे दिन आसपास के गांवों को देखने लगा।
फिर जब शाम होने लगी तो मैं घर की तरफ चल पड़ा और अंधेरा होते-होते मैं घर लौट आया। जैसे ही मैं घर में कदम रखा मुझे घबराहट आई। मैंने देखा सासू जो विधवा थी वो सरलता से खड़ी थी और मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी। मैंने देखा लाल साड़ी हाथों में चूड़ियाँ, होठों पर लिपस्टिक, मांग में सिंदूर नहीं था। मैं जल्दी से फटकार बांध कर उसके पास आया तो वो मेरे पैर को छूने लगी। मैंने समझा वो मेरा लंड छूने वाली है। फिर मैंने उसे ऊपर उठाया और उसे बिस्तर पर घूँघट करके बैठा दिया। फिर मैं दीदी के कमरे में गया और वहाँ जाकर सिंदूर खोजना शुरू कर दिया। सिंदूर लेकर वापस आया तो देखा सासू डार्लिंग वैसी ही बैठी हुई थी। मैं उसके पास गया एक हाथ में चुटकी सिंदूर लेकर दूसरे हाथ से उसके घूँघट को खोल दिया और उसकी मांग में सिंदूर डाल दिया। वो मेरे गले लग गई फिर मैंने उसके लाल-लाल होठों को चूमने लगा और एक हाथ से उसके पेट के कोट में हाथ डालकर उसके बुर को सहलाने लगा। वो मेरी पैंट को खोल कर मेरे कच्छो को नीचे सरका कर मेरा लंड पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी। आज उसकी बुर चिकनी थी।
मैं उसका बुर को मसल रहा था और उसके होठों को चूस रहा था। मेरा लंड उसके हाथ में था और अकड़ के उसका बुर फाड़ने के लिए तैयार था। फिर हम दोनों 69 पोजीशन में लेट गए। मैं उसका बुर चूस रहा था, वो मेरे लंड को चूस रही थी। मैं अपनी पूरी जीभ उसका बुर में घुस कर उसके बुर के रस को पी रहा था। वो भी मेरा लंड जोर से चूस रही थी। फिर मैंने उसके गांड के छेद को चाटने लगा। वो भी अपने गांड के छेद को फैला देती थी क्योंकि उसका लड़का अपने मोटे लंड से उसका गांड मारकर गांड फैला रहा था। मेरी जीभ आसानी से उसके गांड के छेद में घुस रही थी। मैं मस्ती में उसका गांड चट रहा था। वो भी अपने गांड को मेरे मुह पे रगड़ रही थी। फिर मैंने कहा, “तारा डार्लिंग लोग बुर चोदकर सुहागरात मनाते हैं। मैं तुम्हारी गांड मारकर सुहागरात मनाऊंगा”। फिर मैंने उसे डोगी स्टाइल में झुका दिया।
उसकी साड़ी पेटिकोट को ऊपर उठा दिया और अपना लंड उसके गांड के छेद पर रगड़ने लगा। वो भी अपने दोनों हाथों से गांड पकड़ कर फैला लिया। मैं उसका लंड डालकर उसके गांड में घुस गया और उसे जमकर चोदना शुरू कर दिया। वो भी जोश दे रही थी “ओह सायाँ मेरे बुर को फड़ा दो और मेरे गांड मारो”। मेरा लंड की स्पीड बढ़ गई थी। मैं तेजी से उसका गांड मार रहा था। वो भी बोल रही थी और कसके, खूब पाइलो मेरे बालम अह ओह ओह हो हो हो”। फिर मैंने उसे खड़ा कर दिया और खड़े-खड़े उसके गांड को मारना शुरू कर दिया। मैं उसकी दोनों चुचियों को पकड़ कर जोर से सहलाने लगा और अपने लंड से उसके गांड की प्यास बुझाने लगा। एक घंटे के बाद मेरे लंड का रस उसके गांड में गिर गया। मैंने जल्दी से बुर से लंड निकालकर सासू के मुंह में डाल दिया और उसका मुह को चाटने लगा। दो-चार धक्कों के बाद मेरे लंड का सारा रस सासू के मुह में गिर गया। वो उसे पी गई और मेरे लंड को चूस कर चट कर साफ़ कर दी। फिर हम एक दूसरे से चिपके हुए नंगे ही सो गए। वो मेरे लंड को पकड़ी हुई थी। मैं उसके चुचियों और गांड के छेद को सहला रहा था। फिर हमें नींद आ गई।