गाँव की जरीना के साथ पहली चुदाई की हॉट कहानी – 12वीं की छुट्टियाँ
पढ़ें एक 12वीं क्लास के लड़के की गर्मियों की छुट्टियों में गाँव की खूबसूरत जरीना के साथ पहली चुदाई की रोमांचक कहानी। गोरी त्वचा, भरे हुए मम्मे और टाइट चूत के साथ इस सेक्सी स्टोरी में जानें कैसे चौराहे से शुरू हुआ प्यार बंद मकान में जाकर पूरा हुआ।
बात उस समय की है जब मैं 12वीं क्लास में था। गर्मियों की छुट्टियों में मैं अपने गाँव लौटा था, जहाँ दिन ढलते ही मेरी आदत बन गई थी कि दोस्तों के साथ चौराहे पर जाकर बैठ जाऊँ। वहाँ से गुजरने वाली हवाएँ और गाँव की सादगी मुझे सुकून देती थी, लेकिन एक दिन सब कुछ बदल गया। मेरे गाँव की एक लड़की, जरीना, जिसकी खूबसूरती और जिस्म की बनावट ऐसी थी कि उसे देखते ही दिल में आग सी भड़क उठे। उसका फिगर इतना मदहोश करने वाला था कि कोई भी उसे देखे बिना रह न पाए—गोरी चमकती त्वचा, भरे हुए कूल्हे, और वो उभरे हुए सीने का उभार, जो हर कदम के साथ लय में थिरकता था। मैं तो बस उसे देखने का बहाना ढूंढने लगा, और हर रोज उसके आने से पहले ही चौराहे पर डेरा डाल देता।
शुरुआत में तो बस नजरें मिलती थीं। फिर धीरे-धीरे वो मुझे देखकर हल्की सी मुस्कान देने लगी, और मैं भी जवाब में शरमाते हुए मुस्कुरा देता। ये सिलसिला कुछ दिनों तक चला, और फिर हिम्मत करके मैं उसके साथ-साथ चलने लगा। पहले तो सिर्फ हल्की-फुल्की बातें होती थीं, लेकिन जल्द ही हमारी हँसी-मजाक में एक अलग सा रंग घुलने लगा—एक ऐसा रंग जो शरारत और चाहत से भरा था।
एक रात की बात है, चाँदनी हल्की-हल्की बिखरी हुई थी, और मैं चौराहे पर अकेला बैठा एक सेक्सी किताब पढ़ रहा था—“मस्तराम की कहानियाँ”—जिसके पन्नों में लिखी हर पंक्ति मेरे जिस्म में सिहरन पैदा कर रही थी। मैं कहानी के नशे में इतना खोया हुआ था कि मुझे जरीना के आने का पता ही नहीं चला। अचानक वो मेरे सामने आकर रुक गई। उसकी आँखों में शरारत चमक रही थी, और मैं हड़बड़ा गया। मेरे हाथ-पैर ठंडे पड़ गए, और मुँह से एक शब्द भी न निकला।
उसने मेरी ओर झुकते हुए पूछा, “क्या पढ़ रहे हो?” उसकी आवाज में एक मादक सी मिठास थी। मैं कुछ बोल पाता, इससे पहले ही उसने मेरे हाथ से किताब छीन ली। उसने दो-तीन पन्ने पलटे, और फिर होंठों पर हल्की सी मुस्कान लाते हुए बोली, “मैं इसे ले जा रही हूँ।” मैं तो बस उसे देखता रह गया, और बिना कुछ कहे हाँ में सिर हिला दिया।
अगले दिन जब वो फिर आई, तो उसकी आँखों में एक नया जोश था। उसने मुझसे कहा, “बहुत मस्त किताब थी। तुम्हारे पास और है क्या?” मैंने थोड़ा झिझकते हुए कहा, “नहीं, पर मंगवा सकता हूँ।” वो मुस्कुराई और चली गई। उस दिन के बाद हमारी बातों में एक नई खुलापन आ गया। अब मजाक में हल्की-हल्की छुअन और इशारों का खेल भी शुरू हो गया था।
ईद का दिन था। मैं चौराहे पर बैठा अपने मोबाइल में एक सेक्सी मूवी देख रहा था। स्क्रीन पर उभरती नंगी तस्वीरें मेरे जिस्म में गर्मी भर रही थीं। तभी जरीना वहाँ से गुजरी और रुक गई। उसने मुझसे मोबाइल माँगा। मैंने बिना सोचे उसे दे दिया—मूवी वैसे ही चलती रही। वो उसे देखने लगी, और उसकी साँसें थोड़ी भारी होने लगीं। मैंने मौका देखकर कहा, “चलो, कहीं अकेले में देखते हैं।” वो थोड़ा हिचकिचाई, लेकिन फिर मान गई।
मैं उसे मोहल्ले के पीछे एक सुनसान, बंद पड़े मकान में ले गया। उस मकान की पीछे वाली खिड़की टूटी हुई थी, और हम दोनों चुपके से अंदर दाखिल हो गए। अंदर का सन्नाटा और अंधेरा हमें और करीब ले आया। हमने मूवी फिर से शुरू की। स्क्रीन की रोशनी में उसका चेहरा चमक रहा था, और धीरे-धीरे उसकी साँसें तेज होने लगीं। मैं अभी भी उसे छूने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था, लेकिन उसकी गर्माहट मेरे पास तक पहुँच रही थी।
मैंने पूछा, “कैसा लग रहा है?” उसने नशीली आवाज में कहा, “अच्छा लग रहा है।” उसकी ये बात सुनकर मेरे अंदर की आग और भड़क उठी। मैंने हिम्मत जुटाई और उसकी जाँघ पर हाथ रख दिया। उसने कोई विरोध नहीं किया। मेरी उंगलियाँ उसकी नरम त्वचा पर फिसलने लगीं, और मेरी हिम्मत बढ़ती गई। फिर मैंने धीरे से उसके उभरे हुए सीने पर हाथ रखा। उसने झट से मेरा हाथ हटा दिया, लेकिन उसकी आँखों में ना नहीं थी—बस एक हल्की सी झिझक थी।
थोड़ी देर बाद मैंने फिर कोशिश की। इस बार वो चुप रही। दोस्तों, क्या बताऊँ, उसके मम्मे इतने कड़क और भरे हुए थे कि मेरे हाथों में समा ही नहीं रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें कभी किसी ने छुआ तक न हो। जब मैंने उन्हें हल्के से दबाया, तो वो सिसकी और बोली, “क्या करते हो, दर्द होता है।” मैंने अपनी हरकत धीमी की और प्यार से उन्हें सहलाने लगा। उसकी साँसें अब उत्तेजना से भारी हो रही थीं, और मेरे जिस्म में भी एक तूफान सा उठ रहा था।
फिर मैंने उसकी कुरती में हाथ डाला और उसके नंगे मम्मों को छू लिया। उसने एक पल को मेरी ओर देखा, और फिर खुद ही अपनी कुरती उतार दी। अब वो सिर्फ ब्रा और सलवार में थी—एक ऐसी खूबसूरती जो किसी सपने से कम न थी। मैंने उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके मम्मों को दबाना शुरू किया। वो अब मस्ती में डूबने लगी थी। मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। वो बोली, “कोई आ जाएगा।” मैंने उसे समझाया, “यहाँ कोई नहीं आता।” और उसने मुझे ब्रा उतारने दी।
दोस्तों, ब्रा हटते ही जो नजारा सामने आया, उसे देखकर मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। उसके मम्मे इतने सख्त और उभरे हुए थे कि ब्रा के बिना भी जरा सा नहीं झुके। उनकी गोलाई और कड़कपन देखकर मैं हैरान था—ऐसे मम्मे तो मैंने किसी पोर्न मूवी में भी नहीं देखे थे। मैं बस उन्हें निहारता रहा। उसने शरारत से पूछा, “कभी देखे नहीं क्या?” मैंने जवाब देने की बजाय उसका चेहरा पकड़ा और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। वो मेरे अचानक हमले से हड़बड़ा गई और मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी, लेकिन मैंने उसे कसकर पकड़ रखा था।
थोड़ी देर बाद जब मैंने उसे छोड़ा, तो वो नाराजगी से बोली, “ऐसे भी कोई करता है क्या? मैं साँस भी नहीं ले पा रही थी।” मैंने उसे लिटा दिया और उसके एक मम्मे को मुँह में लेकर चूसने लगा। उसकी नरम त्वचा और उसकी गर्माहट मेरे होंठों को नशा दे रही थी। अब उसकी साँसें तेज और उत्तेजित हो गई थीं। उसने मेरा मोबाइल साइड में रखा और मेरा सिर पकड़कर अपने सीने पर दबाने लगी। वो पूरी तरह गरम हो चुकी थी। मैं एक मम्मे को चूस रहा था और दूसरे को जोर-जोर से दबा रहा था। उसकी मादक सिसकियाँ कमरे में गूँज रही थीं।
मैंने धीरे से अपना एक हाथ उसकी जाँघों के बीच ले गया। उसने पहले अपनी टाँगें सिकोड़ लीं, लेकिन मेरे कहने पर उसने उन्हें खोल दिया। जब मैंने उसकी चूत पर हाथ रखा, तो उसकी सलवार तक गीली हो चुकी थी। मैंने ऊपर से ही उसे सहलाना शुरू किया, और वो अजीब-अजीब सी मादक आवाजें निकालने लगी। मेरे अंदर का जुनून अब बेकाबू हो रहा था। मैंने उसके मम्मों को मुँह से छोड़ा और उसकी नाभि पर जीभ फिराने लगा। उसका पेट थरथराने लगा, और उसकी सिसकियाँ और तेज हो गईं।
फिर मैंने उसकी सलवार खींच दी। उसने जरा सा भी विरोध नहीं किया। सलवार हटते ही मैं दंग रह गया—उसने नीचे कुछ भी नहीं पहना था। उसकी चूत एकदम साफ और फूली हुई थी, जैसे कोई ताजा पावरोटी। मैं उसे देखता ही रह गया। फिर मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया। उसकी गर्मी और नमकीन स्वाद ने मुझे पागल कर दिया। मैं उसे चूसने लगा, और वो अपनी कमर उठाकर मेरे मुँह में अपनी चूत दबाने लगी। उसने कहा, “मुझे कुछ हो रहा है…” और अगले ही पल उसने एक तेज पिचकारी मेरे मुँह में छोड़ दी। मैं पूरा मदहोश हो गया।
मेरा लंड अब पैंट में तंबू बनाकर दर्द करने लगा था। उसने मेरी शर्ट के बटन खोलने शुरू किए और देखते ही देखते मेरी शर्ट और पैंट उतार दी। अब मैं सिर्फ अंडरवियर में था। उसने मेरा अंडरवियर खींचा, और मेरा 7 इंच का लंड उसके सामने लहराने लगा। उसकी आँखें चमक उठीं। मैंने उसे मुँह में लेने को कहा। वो थोड़ा हिचकिचाई, लेकिन फिर मान गई। हम 69 की पोजीशन में आ गए। वो मेरे लंड को मस्ती से चूस रही थी, और मैं उसकी चूत को चाट रहा था। करीब 15 मिनट तक ये सिलसिला चला। वो दो बार और मैं एक बार झड़ चुका था। उसने मेरा सारा पानी पी लिया।
अब मैं उसकी टाँगों के बीच आया और उसकी चूत को सहलाने लगा। जैसे ही मैंने उंगली अंदर डालने की कोशिश की, वो छटपटाने लगी। मैंने उसे समझाया और धीरे से एक उंगली अंदर डाली। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरी उंगली भी मुश्किल से जा रही थी। मैंने धीरे-धीरे उसे अंदर-बाहर करना शुरू किया। उसे मजा आने लगा। फिर मैंने उससे लंड डालने की बात की। वो डर गई और बोली, “कुछ होगा तो नहीं?” मैंने उसे भरोसा दिलाया और अपने लंड पर ढेर सारा थूक लगाकर उसकी चूत पर सेट किया।
मैंने एक जोरदार धक्का मारा। वो इतनी तेज चीखी कि मैं डर गया। मेरा आधा लंड उसकी चूत में था, और वो रोते हुए मुझसे निकालने की विनती करने लगी। लेकिन मैं अब रुकने वाला नहीं था। मैंने उसे चूमना शुरू किया और उसके मम्मों को दबाने लगा। जब वो थोड़ा शांत हुई, तो मैंने एक और धक्का मारा। इस बार मैंने उसका मुँह दबा रखा था, इसलिए उसकी चीख दब गई। जब मैंने देखा, तो मेरा लंड खून से सना हुआ था। वो रो रही थी, लेकिन मैंने धीरे-धीरे उसे चोदना शुरू किया। जल्द ही उसे भी मजा आने लगा, और वो मेरे धक्कों के साथ कमर हिलाने लगी।
करीब 10 मिनट बाद वो झड़ गई, लेकिन मेरा अभी बाकी था। मैंने तेज-तेज धक्के मारने शुरू किए। 5 मिनट बाद जब मैं झड़ने वाला था, वो भी फिर से अकड़ने लगी। हम दोनों एक साथ झड़ गए। मैंने उसकी चूत में ही सारा पानी छोड़ दिया। जब हमने कपड़े पहने, तो टाइम देखा—शाम के 4:45 बज रहे थे। वो बोली, “बहुत देर हो गई, अब मैं चलती हूँ।” और हम दोनों उस बंद मकान से निकल आए, लेकिन वो पल मेरे जिस्म और जहन में हमेशा के लिए बस गए।