पड़ोसी की चुदाई

मकान मालिक कि बेटी को मूतते देख कर चोदा-1

Makan Malik Ki Beti Ko Mutate Dekh Kar Chod Diya-1

मैं 6 साल पहले जयपुर आया तो मैंने एक सुशिक्शित सदस्यों से भरपूर परिवार में किरायेदार की हेसियत से रहने लगा। उस परिवार में मेरे अलावा उनकी बड़ी लड़की शिखा और शिखा की मम्मी रजनी और पापा सुरेश अग्रवाल रहते है। शिखा के पापा जयपुर शहर में एक कॉटन कम्पनी में काम करने के कारण अधिकतर बाहर ही रहते हैं। Makan Malik Ki Beti Ko Mutate Dekh Kar Chod Diya

यह परिवार वाले मुझे अपने बेटे जैसा ही मान कर मेरी खिदमत करते थे और मुझे अपने परिवार का ही एक सदस्य समझते थे उनके घर का माहोल शुरु से ही बड़ा खुला हुआ था घर में शिखा की माँ को मैं आंटी कहँ कर पुकारता था और शिखा को दीदी। आमतोर पर शिखा ऐसे कपड़े पहनती थी जो की कोई और लोग शायद बेडरुम में ही पहनना अच्छा समझे। हालाँकी उसकी माँ रजनी हमेशा साड़ी-ब्लाउज पहनती थी।

आंटी और शिखा दीदी घर में मेरे सामने ही अपने मासिक (एम.सी) से सम्बधित बाते करती जैसे की आज मेरा पहला दिन है। या शिखा को बहुत परेशानी महसूस हो रही है या ज्यादा ब्लीडींग हो रहा है। आमतोर पर आंटी और शिखा दीदी मेरे सामने ही कपड़े बदलने में कोई ज्यादा शंकोच नहीं करती थी। एक बार शिखा दीदी की सभी सहेलियां होली खेलने हमारे घर आई तो में दुबक कर दरवाजे के पीछे छुप गया। तब किसी को नहीं मालूम था की में घर में ही छुपा हुआ हूँ।

खेर शिखा दीदी और उसकी सहेलियो ने वहाँ पर घर के हॉल और बाथरुम के पास में काफ़ी नंगापन मचाया। एक दूसरे के कपड़े फाड़ते हुये लगभग नगं दड़ंग पोजिशन में एक दूसरे के ऊपर रंग लगाया। होली की दोपहर को आंटी भी मोहल्ले वालो के घर से रंग में सराबोर होकर आई और मुझे बिना रंग के देख शिखा दीदी से कहने लगी की इस बेचारे ने क्या पाप किया है जो इसे सूखा छोड़ दिया। और शिखा दीदी को इशारा कर मुझे पकड़ कर गिरा दिया और मेरे पूरे शरीर पर रंग लगा दिया। शिखा दीदी ने तो रंग कम पड़ने पर अपने शरीर को ही मुझसे रगड़ना शुरु कर दिया।

मैं पहले नहा धोकर आया उसके बाद आंटी और शिखा दीदी दोनो एक साथ बाथरुम में नहाने लगी। मुझसे रहा नहीं गया और मैं चोरी छुपे बाथरुम में देखा तो दोनो केवल पेन्टी पहन कर एक दूसरे की चूचियों पर लगा रंग छुड़ा रहे थे यह देखा तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी। कुछ ही महीनो बाद शिखा दीदी की शादी कोटा में हो गयी और वह अपने ससुराल चली गयी। कुछ महीनो के बाद गमियो के महीनो में शिखा दीदी कुछ दिनो के लिये अपनी माँ के पास रहने के लिये आई। “Beti Ko Mutate Dekh Kar Chod Diya”

जीजाजी शिखा दीदी को छोड़ने के लिये दो दिनो के लिए आये थे। मैंने देखा की शिखा दीदी शादी के बाद अब और ज्यादा बिंदास सेक्सी और कामुक हो गयी है। और क्यों ना हो अब उसके पास लाइसेन्स जो था। मेने जीजाजी को भी काफ़ी खुले विचारो वाला पाया। शाम को खाने के बाद उन्होने अपने हनीमून के फोटो्स दिखाये जिसमे वह दोनो गोवा के समुन्द्र किनारे बिकनी और स्विविमिंग कॉस्टयू्म्स में ही नज़र आये।

अचानक बिजली गुल हो गयी और काफ़ी देर तक नहीं आई इसलिये उस रात हमने ऊपर छत पर सोने का प्लान बनाया। छत पर एक लोहे का पलंग पड़ा हुआ था जिस पर जीजाजी ने मुझे सुला दिया। और वह दोनो इतनी गर्मीं में अंधेरे में चिपक कर सो गये। थोड़ी देर बाद जब अंधेरे में दिखने लगा तो मेने देखा की शिखा दीदी जीजाजी के उनका 7 इंच लंबा लंड पकड़कर मस्ती से हिला रही थी और बार-बार उनका लंड चूस रही थी। “Beti Ko Mutate Dekh Kar Chod Diya”

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उनकी सेक्सी चूमा चाटी और होने वाली खुस्फ़ुसाहट के कारण मेरा 6 इंच लंबा लंड भी तंबू जैसे तना हुआ था। और फट कर बाहर आ जाने को हो रहा था। तभी दीदी बोली की उसे बाथरुम आ रही है तो जीजाजी ने मुझे आवाज़ लगाई। लेकिन में आँखें बंद किये हुये नींद आने का बहाना बनाये पड़ा रहा तो दीदी बोली की शायद सो गया होगा। तब शिखा दीदी उठी और बेड पर से ही अपनी पेन्टी को नीचे उतारती हुई छत के कोने में पेशाब करने बेठ गयी।

आसमान की हल्की रोशनी में उसके गोरे-गोरे और बड़े-बड़े चूतड़ चमक रहे थे जिनको देख कर जीजाजी भी उठे और अपनी लूँगी एक और फेक कर वी शेप की चड्डी में से अपना लंड निकाल कर पूनम दीदी के चूतडो के ठीक पीछे लंड लगा कर पेशाब करने बेठ गये। और अपने दोनो हाथो से सेक्सी दीदी की चूचियों को दबाने लगे। इसके बाद तो वो दोनो खड़े-खड़े ही अंधेरे में चुदाई करने लगे शिखा दीदी की मदहोशी में कामुक साँसे और आवाज़े मुझे पागल बना देने के लिये काफ़ी थी। “Beti Ko Mutate Dekh Kar Chod Diya”

मैं अपनी आधी आखें बंद कर यह सब देख रहा था। और ना जाने कब मेरी आंखँ लग गयी। सुबह लगभग 5 बजे छत पर ठंडी हवाओं के कारण मेरी आँख खुली तो मेने देखा की शिखा और जीजाजी एक दूसरे पर चढ़ कर सोये हुये थे। शायद सेक्स करने के बाद उनकी नींद लग गयी और वो अपने आप को सही भी नहीं कर पाये। शिखा दीदी की पेन्टी तो पेरो में पड़ी थी और उसकी नाईटी उसके नंगे कमर पर पड़ी हुई थी।

जीजाजी भी पूरे नंगे थे और उनका सिकुडा लंड दीदी की हल्के काले बालो वाली चूत में से बाहर लटक रहा था। ऐसा सीन देख मेने सबसे पहले तो लपक कर मूठ मारी और उसके बाद अपनी सेक्सी दीदी की चूचियों को देखने की कोशिश की लेकिन जीजाजी के सीने से दबे होने के कारण मुझे कुछ ज्यादा नहीं देखने को मिला। सुबह करीब 9 बजे मैं उठा तो देखा दीदी और जीजाजी उठ चुके थे मैं नहा धोकर फ़्रेश होकर हम सब ने साथ में नाश्ता किया। “Beti Ko Mutate Dekh Kar Chod Diya”

दीदी और जीजाजी आने के कारण आंटी जी ने मुझे कहा अंकल नहीं है घर में तो जीतू तुम एक हफ़्ते की दफ़्तर से छुटी ले लो इसलिये मैंने एक हफ़्ते की छुटी ले ली थी। सुबह दिन भर हम तीनो ने पिक्चर हॉल में पिक्चर देखी और कई जगह घूमने भी गये जब शाम को 7 बजे हम घर लोटे तो मैंने और जीजाजी ने विस्की पीने का प्लान बनाया और जब विस्की पी रहे थे की अचानक जीजाजी के ऑफ़ीस से फोन आया की उन्हें कल किसी भी हालत में आकर रिपोट करनी है तो जीजाजी ने सुबह जल्दी जाने का प्रोग्रराम बना लिया।

जब दीदी को पता चला की जीजाजी कल सुबह ही जा रहे है तो वो उदास हो गई। हम लोग भी जल्दी से खाना खाकर जीजाजी का बेग तैयार कर कर छत पर सोने चले गये। कल रात की तरह हम लोगो ने अपना बिस्तर लगा कर सो गये। करीब एक घंटे बाद मैंने अंधेर में मेने देखा की आज भी शिखा दीदी जीजाजी को ज्यादा परेशान कर रही थी अपनी नाइटी नंगी जांघो पर चड़ा कर पेन्टी उतारकर अपनी रसीली चिकनी चूत को जीजाजी के मुहँ पर रख कर उनका लंड मुहँ में लेने की जिद कर रही थी। “Beti Ko Mutate Dekh Kar Chod Diya”

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लेकिन जीजाजी दिन भर की थकान के कारण सोने के मूड में थे। और उन्हें सुबह जल्दी जाना भी था। जीजाजी जब सो गये तो दीदी भी अपनी चूत को हाथ से रगडती हुई सो गयी। बेचारी या कर सकती थी। अगली सुबह जब आंटी ने मुझे उठाया और कहा जतिन तुम्हारे जीजाजी को ट्रेन में बैठा कर आ जाओ तो मैं जल्दी से फ़्रेश होकर नहा धोकर तैयार होकर जब दीदी के कमरे में गया तो देखा की शिखा दीदी जीजाजी से एक बार मज़े देने का कह रही थी और बोल रही थी।

की आपके बिना मेरा मन कैसे लगेगा तो जीजाजी बोले की तेरे जीतू भाई ने एक हफ़्ते की छुटी ले ली है इसीलिये जतिन का साथ रहेगा तो मुझे किसी बात की फ़िक्र नहीं रहेगी। और शिखा दीदी और मैं जीजाजी को ट्रेन में बैठाने के लिये चल पड़े। जब ट्रेन जाने लगी तो शिखा दीदी बड़ी उदास सी हो गयी। जब हम घर लोटे तो नाश्ता करने के बाद हम बोर हो रहे थे तो आंटी ने हमे सुझाव दिया की जतिन तुम और शिखा आज कमरे की सफाई कर लो तब तक मैं खाना बनाती हूँ इससे तुम्हारा मन भी लग जायेगा। “Beti Ko Mutate Dekh Kar Chod Diya”

मैंने पजामा और टी शर्ट पहन ली और शिखा दीदी ने सफ़ेद पतले कपड़े का कुर्ता पहन रखा था और नीचे लूँगी जिसमे से उसकी गोरी-गोरी सफेद जाघे दिख रही थी। वह लंबे वाले स्टूल पर खड़ी हुये थी। और में नीचे से उससे सामान लेता जा रहा था। दीदी का कुर्ता शॉट स्लीव का था जिसमे से दीदी के मोटे-मोटे स्तन कभी कभी दिख जाते थे। और काली-काली चुचियां बाहर से ही दिखाई दे रही थी उन्होने ब्रा नहीं पहनी थी।

कभी­ कभी वह मुझे देख कर अपने हाथो से अपनी चूत को रगड़ने लगती। जब वो सामान लेने के लिये हाथ उठाकर सामान उतार थी तो। हाथ उठाने से उसकी अंडर आर्मस के काले-काले घने बाल देख मेरा लंड टनटना शुरु हो गया। गनीमत थी की मेने पजामा पहन रखा था। कई बार भारी सामान होने के कारण दीदी का स्टूल पर बेलेन्स नहीं बनता तो वह अपने पेरो को चोड़ा कर पास की अलमारी पर पैर रखती तब तो उसकी पेन्टी जो की सफ़ेद कलर की थी ऐसी दिखती मानो अभी उसे खोल कर लंड डाल दूँ।

बीच-बीच में पानी पीते समय दीदी शायद जानबुझ कर अपनी सफेद महीन कुर्ते पर पानी डाल लेती जिससे उसकी चूचियों के निपल साफ दिखाई देने लगते खेर किसी तरह हम दोनो ने कमरे मैं साफ सफाई की और नाहकर खाना खाया। और दोपहर को थोड़ी देर आराम करके हम शाम के समय हम बाज़ार घूमने निकल पड़े “Beti Ko Mutate Dekh Kar Chod Diya”

जब हम घर लोट रहे थे तो दीदी बोली जीतू भाई आज तुम्हारे जीजाजी गये तब से मेरा मूड कुछ उखड़ा उखड़ा हुआ है और मूड ठीक करने के लिए या तुम मेरे लिए बीयर ला सकते हो। फ़िर मैं दुकान जाकर करीब 5 बीयर की बोतल ले आया। और जब हम करीब 7:30 बजे घर पहुँचे तो आंटी खाना बना रही थी और मैं और दीदी छत पर जाकर बीयर पीने लगे। करीब एक दो बीयर पीने के बाद दीदी कहने लगी की मुझे ज़ोर से पेशाब आ रही है और बिना किसी शर्म या पर्दे के उसने मेरे सामने ही उसने अपनी पेन्टी खोल दी और नाइटी ऊँचा उठा कर अपनी मोटी-मोटी गांड दिखाती हुये वह छत के एक कोने में जाकर मूतने बेठ गयी। उसके मूतने से जो झर-झर की तेज अवाज़ हो रही थी वह सुन में बहक सा गया और उनकी मोटी- मोटी गांड को एकटक देखने लगा शायद दीदी समझ गयी थी की मैं उसकी और मुहँ करके उसको मूतते हुये देख रहा हूँ।

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तभी उसने मुहँ घूमाकर मेरी और देखा और एक आँख मारकर सेक्सी अवाज़ बना कर कहने लगी की आजा शरमाये मत मेरे पास आकर तू भी मूत ले। मैं जानती हूँ तुम ने उस रात चोरी चोरी चुपके चुपके मुझे और तेरे जीजाजी को मूतते हुये देखा था यह सुनकर मैं सकपका गया लेकिन फ़िर भी हिम्मत करके दीदी के ठीक पास में बेठ गया और अपने खड़े हुये मोटे और लंबे लंड को क़ैद से निकाल कर मूतने लगा। दीदी झुक-झुक कर मेरा लंड फटी-फटी आँखों से देखने लगी और बोली भैया तू तो वास्तव में पूरे मर्द हो मम्मी और मैं तुझे यू ही छोटा समझती थी।

तूने अभी तक अपने औज़ार को कहीं काम में लिया है या यूँ ही तेज़ धारदार हथियार लेकर घूमता रहता है। दीदी की ऐसी बातें सुन मैं चुप सा हो गया और इधर -उधर देखने लगा की कही कोई देख तो नहीं रहा है। लेकिन अंधेरा देख बेफ़िक्र हो मैं सीधा खड़ा हो गया। मूतने से बड़ा हल्कापन महसूस हो रहा था दीदी के मन में क्या है यह मैं अब तक समझ नहीं पाया था। योकि मेरे दिमाग़ ने तो दीदी के मोटे मोटे चूतडो को देख कर ही काम करना बंद कर दिया था। “Beti Ko Mutate Dekh Kar Chod Diya”

खेर किसी तरह खाना खाने के बाद वो आंटी को बोली मम्मी आज बड़ी गर्मीं है चलो छत पर जाकर सोते है। तब आंटी बोली नीचे कोई नहीं है मैं आँगन में सोती हूँ तुम भाई बहन ऊपर छत पर सो जाना। फ़िर हम छत पर आकर दोनो पलंगो को करीब करीब (थोड़ा सा गेप रख कर) सोने लगे तो दीदी बोली जीतू नींद नहीं आ रही है और दीदी ने अपना असली जलवा दिखलाना शुरु कर दिया। उसने बड़े सेक्सी अंदाज़ में मुझे देखते हुये अपने ब्लाउज को खोल दिया। जिसमे से उसके दोनो गरदाये हुये मस्त कबूतर फड़फडा कर बाहर आ गये। उनको हाथो से सहलाते हुये वह कहने लगी की देख भैया इनको बेचारे ये भी गर्मीं के कारण कैसे कुहँला गये है। आज तेरे जीजाजी होते तो अब तक तो इन्हें मुहँ में लेकर एकदम ताजा कर देते। ऐसी बात सुन मेरे को ऐसा करंट लगा की मेने भी सोचा की जब शिखा दीदी संकोच नहीं कर रही है तो यों ना दिखा दूँ अपनी मदानगी। “Beti Ko Mutate Dekh Kar Chod Diya”