हिंदी सेक्स स्टोरी

सेक्स की पाठशाला

हाय दोस्तों, मेरा नाम राजू है, और मैं नवी मुंबई का रहने वाला हूँ। आज मैं आपके सामने अपनी ज़िंदगी की वो कहानी लाया हूँ, जो ना सिर्फ़ मेरे दिल को छू गई, बल्कि मेरी रातों को भी रंगीन कर गई। ये कहानी उस वक्त की है, जब मैं 18 साल का था—जवानी की दहलीज़ पर कदम रखते हुए, जब हार्मोन्स उफान पर थे और हर लड़की का चेहरा दिल में आग लगा देता था। अब मैं 20 साल का हूँ, इंजीनियरिंग के थर्ड ईयर में हूँ, लेकिन वो दिन मेरे ज़हन में ऐसे बसे हैं, जैसे कल की बात हो। तो चलिए, शुरू करते हैं मेरी इस हॉट और सेक्सी कहानी को, जो आपकी रातों को और भी मसालेदार बना देगी।

हर साल गर्मियों में मैं अपने गाँव जाता था। वहाँ का माहौल, खेतों की हरियाली, और परिवार का साथ—सब कुछ बड़ा सुकून देता था। मेरी फूफी की फैमिली भी छुट्टियों में गाँव आती थी। उनकी बेटी ज्योति, जो मेडिकल कॉलेज में पढ़ती थी, और उनका बेटा अमित, जो उस वक्त एच.एस.सी. की पढ़ाई कर रहा था, दोनों भी साथ होते थे। हम सब मेरे चाचा के बड़े से घर में एक साथ रहते थे। ज्योति के साथ मेरी खूब जमती थी। वो 22 साल की थी, उसका फिगर—उफ्फ! 34-28-36 का परफेक्ट बॉडी, गोरा रंग, और वो कातिलाना मुस्कान। उसकी हर अदा मुझे दीवाना बनाती थी। उसकी बातों में एक अजीब सा जादू था, जो मेरे दिल को बेकाबू कर देता था।

रात को हम सब आँगन में सोते थे। मैं हमेशा ज्योति के पास ही अपनी चटाई बिछाता था। देर रात तक हम सेक्सी बातें करते—कभी मज़ाक में, कभी छेड़-छाड़ में। वो अपनी कॉलेज की हॉट स्टोरीज़ सुनाती, और मैं बस सुनता रहता। लेकिन वो हमेशा नॉर्मल बिहेव करती थी, और मैं डर के मारे कभी आगे नहीं बढ़ पाता था। मेरे दिल में आग तो थी, लेकिन हिम्मत नहीं थी कि उसे छू लूँ।

एक रात मेरे भाग्य ने करवट ली। सोते वक्त मुझे अचानक एहसास हुआ कि कोई मेरे लंड को पैंट के ऊपर से सहला रहा है। मैं थोड़ा हिला, लेकिन चारों तरफ़ सन्नाटा था। सब सो रहे थे। मेरा 8 इंच का लंड तो जाग चुका था, और अब वो बेकाबू हो रहा था। मैंने कंट्रोल करने की कोशिश की, लेकिन वो कहाँ मानने वाला था। आखिरकार, मैं बहाना बनाकर उठा और चुपके से खेत की तरफ़ चला गया। वहाँ अंधेरे में, एक पेड़ के पीछे छुपकर मैंने मुठ मारना शुरू किया। उत्तेजना अपने चरम पर थी, और मैं बस ज्योति के बारे में सोच रहा था—उसका गोरा बदन, उसकी गुलाबी होंठ, और वो कातिलाना फिगर।

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तभी मुझे लगा कि कोई मेरे पीछे है। शायद ज्योति थी, लेकिन मैंने पलटकर नहीं देखा। डर और शर्मिंदगी के मारे मैंने जल्दी से काम ख़त्म किया और वापस जाकर सो गया। लेकिन मेरा दिमाग उस एहसास से बाहर नहीं निकल पा रहा था।

अगले दिन दोपहर को मैं और ज्योति एक पेड़ के नीचे बैठे थे। वो अपने कॉलेज की बातें बता रही थी, लेकिन मेरे दिमाग में तो बस रात की बात घूम रही थी। अचानक उसने पूछा, “रात को तुम उठकर कहाँ गए थे?” उसकी आँखों में एक शरारत थी, जो मेरे दिल को धड़का गई। मैं कुछ बोल पाता, तभी अमित आ गया, और बात वहीं रुक गई। लेकिन उसकी वो मुस्कान, वो नज़र—मुझे यकीन हो गया था कि कुछ तो चल रहा है।

उस रात हम फिर आँगन में सोए। देर रात मुझे फिर वही एहसास हुआ। कोई मेरे लंड को पैंट के ऊपर से सहला रहा था। इस बार मैंने हिलना-डुलना बंद रखा, बस आँखें बंद करके उस पल को महसूस करने लगा। फिर किसी ने मेरा लंड पकड़ लिया और धीरे-धीरे हिलाने लगा। मेरा लंड अब पूरी तरह से टाइट हो चुका था, और मेरे बदन में करंट दौड़ रहा था। कुछ देर बाद वो हाथ हटा, और मैंने चुपके से आँखें खोलीं। ज्योति उठकर घर के अंदर जा रही थी। मैं चुपके से खिड़की के पास गया और झाँका। उसने अपनी मैक्सी ऊपर की थी और अपनी चूत को सहला रही थी। उसकी सिसकारियाँ, उसका गोरा बदन—मेरा दिमाग घूम गया। मैं वापस जाकर सो गया, लेकिन नींद कहाँ आने वाली थी।

अगले दिन मैंने ज्योति से पूछा, “रात को तुम घर में जाकर क्या कर रही थी?” उसने मुस्कुराते हुए कहा, “वही जो तुम खेत में कर रहे थे।” मेरे तो जैसे होश उड़ गए। फिर उसने धीरे से कहा, “जितना मज़ा अकेले करने में आता है, उससे कहीं ज़्यादा मज़ा साथ में करने में आएगा।” उसकी आँखों में शरारत थी, और मेरे बदन में आग लग गई। उसने कहा, “आज रात हम अंदर सोएँगे।” बस, फिर क्या था, मैं रात का इंतज़ार करने लगा।

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रात को हम घर के अंदर एक कमरे में सोए। सब सो चुके थे, और सन्नाटा छाया था। देर रात ज्योति ने मुझे जगाया और बोली, “अपनी पैंट उतारो।” मैंने फटाफट पैंट उतारी। उसने मेरा लंड अपने मुलायम हाथों में लिया और धीरे-धीरे सहलाने लगी। फिर उसने अपने गुलाबी होंठ मेरे लंड पर रखे और चूसना शुरू किया। उसका गर्म मुँह, उसकी जीभ का जादू—मैं तो सातवें आसमान पर था। मैंने उसके बाल पकड़े और धीरे-धीरे उसके मुँह में लंड अंदर-बाहर करने लगा। वो भी पूरे जोश में थी।

थोड़ी देर बाद उसने अपनी मैक्सी उतारी और पूरी नंगी हो गई। उसका गोरा बदन चाँदनी में चमक रहा था। उसके बड़े-बड़े मम्मे, गुलाबी निप्पल, और वो गुलाबी चूत—मैं पागल हो गया। उसने मुझे अपने मम्मे चूसने को कहा। मैंने लपककर उन्हें मुँह में लिया और चूसने लगा। वो सिसकारियाँ ले रही थी, और उसका बदन मेरे हाथों में थरथरा रहा था। फिर उसने मेरा मुँह नीचे ले जाकर अपनी चूत पर रख दिया। मैंने उसकी चूत चाटनी शुरू की। उसका नमकीन स्वाद, उसकी गर्मी—मैं जैसे जन्नत में था। वो मेरे बालों को पकड़कर अपनी चूत पर दबा रही थी, और उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं।

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कुछ देर बाद उसने मुझे लिटाया और मेरे लंड पर ऊपर से बैठ गई। उसकी टाइट चूत मेरे लंड को निगल रही थी। वो जोर-जोर से आगे-पीछे होने लगी, और उसके मम्मे मेरे सामने उछल रहे थे। मैंने उसके मम्मे पकड़े और उन्हें दबाने लगा। कुछ देर बाद वो झड़ गई, और उसकी गर्म चूत का पानी मेरे लंड पर बहने लगा। उसकी सिसकारियाँ, उसका थरथराता बदन—सब कुछ मुझे और जोश दे रहा था।

फिर उसने मुझे ऊपर आने को कहा और बोली, “जब तेरा जूस निकले, तो बाहर निकाल लेना।” मैंने अपना लंड उसकी चूत में डालने की कोशिश की, लेकिन वो फिसल रहा था। उसने मेरे लंड को पकड़कर अपनी चूत में डाला, और मैं उसे जोर-जोर से चोदने लगा। उसकी चूत की गर्मी, उसकी टाइटनेस—मैं जैसे जन्नत में था। उसकी सिसकारियाँ, उसका गोरा बदन, और वो कामुक नज़रें—सब कुछ मुझे और उत्तेजित कर रहा था। जब मेरा झड़ने वाला था, मैंने लंड बाहर निकाला। उसने फटाक से मेरा लंड मुँह में लिया और चूसने लगी। मैं उसके मुँह में ही झड़ गया। उसने सारा जूस पी लिया और मुस्कुराते हुए बोली, “मज़ा आया ना?” मैंने हाँ में सिर हिलाया।

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उस रात के बाद ज्योति मेरी सेक्स की पाठशाला बन गई। हम दोनों थककर सो गए, लेकिन वो पल मेरे दिल में हमेशा के लिए बस गया। अब जब भी हम गाँव जाते हैं, हमारी ये पाठशाला फिर से शुरू हो जाती है। ज्योति ने मुझे वो सुख दिया, जो मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। उसकी चूत का स्वाद, उसका गोरा बदन, उसकी सिसकारियाँ—सब कुछ मेरे ज़हन में बसा हुआ है।

तो दोस्तों, आपको मेरी ये सेक्सी कहानी कैसी लगी? क्या आपकी रातें भी ऐसी ही रंगीन होती हैं? अपने एक्सपीरियंस ज़रूर शेयर करें!