माँ की चुदाई

सेक्सी धोबन और उसका बेटा-12

Sexy Dhoban Aur Uska Beta-12

“तो ले ये है मेरे पेटिकोट का नाड़ा . खुद ही खोल के माँ को नंगा कर दे और देख ले”
“हाय , माँ मेरे से ऩही होगा, तुम खोलो ना”
“क्यों ऩही होगा, जब तू पेटिकोट ऩही खोल पाएगा तो आगे का काम कैसे करेगा”
” माँ आगे का भी काम करने दोगी क्या?”
मेरे इस सवाल पर माँ ने मेरे गालो को मसलते हुए कहा , “क्यों आगे का काम ऩही करेगा क्या, अपनी माँ को ऐसे ही प्यासा छोड़ देगा, तू तो कहता था कि तुझे ठंडा कर दूँगा, पर तू तो मुझे गरम कर छोड़ने की बात कर रहा है”
” माँ , मेरा ये मतलब ऩही था, मुझे तो अपने कानो पर विश्वास ऩही हो रहा कि तुम मुझे और आगे बढ़ने दोगी ”
“गधे के जैसा लंड होने के साथ साथ तेरा तो दिमाग़ भी गधे के जैसा ही हो गया है, लगता है सीधा खोल के ही पुछना पडेगा , बोल चोदेगा मुझे? , चोदेगा अपनी माँ को, माँ की बुर चाटेगा ? , और फिर उसमे अपना लंड डालेगा, बोल ना.”

“हाँ माँ , सब करूँगा, सब करूँगा जो तू कहेगी वो सब करूँगा, है मुझे तो विश्वास ऩही हो रहा की मेरा सपना सच होने जा रहा है, ओह मेरे सपनो में आने वाली परी के साथ सब कुछ करने जा रहा हू”
“क्यों सपनो में तुझे और कोई ऩही मैं ही दिखती थी क्या”
“हा माँ , तुम्ही तो हो मेरे सपनो की परी, पूरे गावं में तुमसे सुंदर कोई ऩही”
“है, मेरे 16 साल का जवान छोकरे को उसकी माँ इतनी सुंदर लगती है क्या?”
“हा माँ , सच में तुम बहुत सुंदर हो और मैं तुम्हे बहुत दिनों से चोदना चाहता हूँ ….पर कह ऩही पाता था”
“कोई बात ऩही बेटा अभी भी कुछ ऩही बिगड़ा है.. वो भला हुआ कि आज मैने खुद ही पहल कर दी, चल आ देख अपनी माँ को नंगा और आज से बन जा उसका सैयां ”

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कह कर माँ बिस्तर के नीचे उतर गई और मेरे सामने आके खडी हो गई और धीरे धीरे करके अपने ब्लाउज के एक बटन को खोलने लगी. ऐसा लग रहा था जैसे चाँद बादल में से निकल रहा है. धीरे धीरे उसकी गोरी गोरी चुचिया दिखने लगी. ओह गजब की चुचिया थी, देखने से लग रहा था जैसे की दो बड़े बड़े नारियल हों . दोनो तरफ लटक रहे हो. एकदम गोल और आगे से नुकीले तीर के जैसे. चुचियों पर नसों की नीली रेखाएं स्पष्ट दिख रही थी. निपल थोड़े मोटे और एकदम कड़े थे और उनके चारो तरफ हल्का गुलाबीपन लिए हुए गोल गोल घेरा था. निपल भूरे रंग के थे.

माँ अपने हाथो से अपने चुचियों को नीचे से पकड़ कर मुझे दिखाती हुई बोली “पसंद आई अपनी माँ की चूची , कैसी लगी बेटा बोल ना, फिर आगे का दिखाउंगी ”
“हाँ माँ तुम सच में बहुत सुंदर हो, ओह कितनी सुंदर चूची है …..ओह”

माँ ने अपने चुचियों पर हाथ फेरते हुए और अच्छे से मुझे दिखाते हुए हल्का सा हिलाया और बोली “खूब सेवा करनी होगी इसकी तुझे, देख कैसे शान से सिर उठाए खडा है इस उमर में भी, तेरे बाप के बस का तो है ऩही अब तू ही इन्हे संभालना” कह कर वो फिर अपने हाथो को अपने पेटिकोट के नाड़ा पर ले गई और बोली “अब देख बेटा तुझे जन्नत का दरवाजा दिखती हूँ , अपनी माँ का स्पेशल मालपुआ देख, जिसके लिए तू इतना तरस रहा था”.

कह कर मा ने अपने पेटिकोट के नाड़ा को खोल दिया. पेटिकोट उसके कमर से सरसरते हुए सीधा नीचे गिर गया और माँ ने एक पैर से पेटिकोट को एक तरफ उछल कर फेंक दिया और बिस्तर के और नज़दीक आ गई फिर बोली ” बेटा तूने तो मुझे एकदम बेशरम बना दिया”, फिर मेरे लंड को अपने मुट्ठी में भर के बोली “ओह तेरे इस सांड जैसे लंड ने तो मुझे पागल बना दिया है, देख ले अपनी माँ को जी भर के”

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मेरी नज़रे माँ के जाँघों के बीच में उसकी मस्त चूत पर टिकी हुई थी. माँ की गोरी गोरी चिकनी रानों के बीच में काले काले झाटों का एक तिकोना बना हुआ था. झांट बहुत ज्यादा बड़े ऩही थे. झांटों के बीच में से उसकी गुलाबी चूत की हल्की झलक मिल रही थी, मैने अपने हाथो को माँ के जाँघों पर रखा और थोडा नीचे झुक कर ठीक चूत के पास अपने चेहरे को ले जा के देखने लगा. माँ ने अपने दोनो हाथ को मेरे सिर पर रख दिया और मेरे बालो से खेलने लगी फिर बोली “रुक जा ऐसे ऩही दिखेगा तुझे आराम से बिस्तर पर लेट के दिखाती हूँ ”
“ठीक है, आ जाओ बिस्तर पर,माँ एक बार ज़रा पीछे घुमो ना”

“ओह, मेरा राजा मेरा पिछवाडा भी देखना चाहता है क्या, चल गांड तो मैं तुझे खड़े खड़े ही दिखा देती हूँ . ले देख अपनी माँ के बुर और गांड को”. इतना कह कर वो पीछे घूम गई.

ओह कितना सुंदर दृश्य था वो. इसे मैं अपनी पूरी जिंदगी में कभी ऩही भूल सकता. उस के चूत सच में बड़े खुबसूरत थे. एकदम मलाई जैसे, गोल-मटोल, गुदज, मांसल. और उस चूत के बीच में एक गहरी लकीर सी बन रही थी. जो कि उसके गांड की खाई थी. मैने उसे को थोडा झुकने को कहा तो वो झुक गई और मै आराम से दोनों मक्खन जैसे चूतडों को पकड के अपने हाथो से मसलते हुए उनके बीच की खाई को देखने लगा. दोनो चूतडों को बीच में गांड की भूरे रंग की छेद फुकफुका रही थी. एकदम छोटी सी गोल छेद, मैने हल्के से अपने हाथ को उस छेद पर रख दिया और हल्के हल्के उसे सहलाने लगा, साथ में मैं चूतडों को भी मसल रहा था. पर तभी माँ आगे घूम गई.

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“चल मैं खड़े खड़े थक गई. अब जो करना है बिस्तर पर करेंगे”. और वो बिस्तर पर चढ़ गई. पलंग की पुष्ट से अपने सिर को टिका कर उसने अपने दोनो पैरो को मेरे सामने खोल कर फैला दिया और बोली “अब देख ले आराम से, पर एक बात तो बता तू देखने के बाद क्या करेगा कुछ मालूम भी है तुझे या ऩही” ”
हाँ , माँ तुझे चोदुंगा ”
“अच्छा चोदेगा? , पर कैसे ज़रा बता तो सही कैसे चोदेगा ”
” मैं पहले तुम्हारी चूत चुसना चाहता हू”

कहानी जारी है……