माँ की चुदाई

सेक्सी धोबन और उसका बेटा-9

Sexy Dhoban Aur Uska Beta-9

तभी मेरे लंड का फ़ौवारा छुट पड़ा और. तेज़ी के साथ भालभाला कर मेरे लंड से पानी गिरने लगा. मेरे लंड का सारा सारा पानी सीधे मा के मुँह में गिरता जा रहा था. और वो मज़े से मेरे लंड को चूसे जा रही थी. कुछ ही देर तक लगातार वो मेरे लंड को चुस्ती रही, मेरा लंड अब पूरी तरह से उसके थूक से भीग कर गीला हो गया था और धीरे धीरे सिकुड़ रहा था. पर उसने अब भी मेरे लंड को अपने मुँह से ऩही निकाला था और धीरे धीरे मेरे सिकुड़े हुए लंड को अपने मुँह में किसी चॉक्लेट की तरह घुमा रही थी. कुछ देर तक ऐसा ही करने के बाद जब मेरी साँसे भी कुछ शांत हो गई तब मा ने अपना चेहरा मेरे लंड पर से उठा लिया और अपने मुँह में जमा मेरे वीर्या को अपना मुँह खोल कर दिखाया और हल्के से हंस दी.

फिर उसने मेरा सारा पानी गटक लिया और अपने सारी पल्लू से अपने होंठो को पोछती हुई बोली, ” मज़ा आ गया, सच में कुंवारे लंड का पानी बड़ा मीठा होता है, मुझे ऩही पाता था की तेरा पानी इतना मजेदार होगा” फिर मेरे से पुछा “मज़ा आया की ऩही”, मैं क्या जवाब देता, जोश ठंडा हो जाने के बाद मैने अपने सिर को नीचे झूका लिया था, पर गुदगुदी और सनसनी तो अब भी कायम थी, तभी मा ने मेरे लटके हुए लौरे को अपने हाथो में पकड़ा और धीरे से अपने साड़ी के पल्लू से पोछती हुई पूछी “बोल ना, मज़ा आया की ऩही,” मैने शर्माते हुए जवाब दिया “हाँ मा बहुत मज़ा आया, इतना मज़ा कभी ऩही आया था”,तब मा ने पुछा “क्यों? अपने हाथ से नही करता था क्या”,

“करता हूँ मा, पर उतना मज़ा ऩही आता था जितना आज आया है”

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“औरत के हाथ से करवाने पर तो ज़यादा मज़ा आएगा ही, पर इस बात का ध्यान रखियो की किसी को पता ना चले ”

“हा मा किसी को पता ऩही चलेगा”

तब मा उठ कर खडी हो गई, अपने साड़ी के पल्लू को और मेरे द्वारा मसले गये ब्लाउज को ठीक किया और मेरी ओर देख कर मुस्कुराते हुए अपने बुर के सामने अपने साड़ी को हल्के से दबाया और साड़ी को चूत के उपर ऐसे रगडा जैसे की पानी पोछ रही हो. मैं उसकी इस क्रिया को बरे गौर से देख रहा था. मेरे ध्यान से देखने पर वो हसते हुए बोली “मैं ज़रा पेशाब कर के आती हू, तुझे भी अगर करना है तो चल अब तो कोई शरम ऩही है” मैं हल्के से शरमाते हुए मुस्कुरा दिया तो बोली “क्यों अब भी शर्मा रहा है क्या”. मैने इस पर कुछ ऩही कहा और चुप चाप उठ कर खडा हो गया.

वो आगे चल दी और मैं उसके पीछे पीछे चल दिया. जब हम झाड़ियों के पास पहुच गये तो मा ने एक बार पीछे मुड कर मेरी ओर देखा और मुस्कुरई फिर झाड़ियों के पीछे पहुच कर बिना कुछ बोले अपने साड़ी उठा के पेशाब करने बैठ गई. उसकी दोनो गोरी गोरी जंघे उपर तक नंगी हो चुकी थी और उसने शायद अपने साड़ी को जान बुझ कर पीछे से उपर उठा दिया था जिस के कारण उसके दोनो चूतर भी नुमाया हो रहे थे. ये सीन देख कर मेरा लंड फिर से फुफ्करने लगा. उसका गोरे गोरे चूतर बड़े कमाल के लग रहे थे.

मा ने अपने चूतडों को थोरा सा उचकाया हुआ था जिस के कारण उसके गांड की खाई भी दिख रही थी. हल्के भूरे रंग की गांड की खाई देख कर दिल तो यही कर रहा था की पास जा उस गांड की खाई में धीरे धीरे उंगली चलाऊं और गांड की भूरे रंग की छेद को अपनी उंगली से छेड़ूँ और देखूं की कैसे पाक-पकती है. तभी मा पेशाब कर के उठ खडी हुई और मेरी तरफ घूम गई. उसने अभी तक साड़ी को अपने जाँघों तक उठा रखा था. मेरी ओर देख कर मुस्कुराते हुए उसने अपने साड़ी को छोड़ दिया और नीचे गिरने दिया, फिर एक हाथ को अपनी चूत पर साड़ी के उपर से ले जा के रगड़ने लगी जैसे की पेशाब पोछ रही हो और बोली “चल तू भी पेशाब कर ले . खडा खडा मुँह क्या टाक रहा है”.

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मैं जो की अभी तक इस शानदार नज़ारे में खोया हुआ था थोडा सा चौंक गया पर फिर और हकलाते हुए बोला “हा हा अभी करता हू,,,,,, मैने सोचा पहले तुम कर लो इसलिए रुका था”. फिर मैने अपने पाजामा के नाड़े को खोला और सीधा खड़े खड़े ही मूतने की कोशिश करने लगा. मेरा लंड तो फिर से खड़ा हो चुका था और खड़े लंड से पेशाब ही ऩही निकाल रहा था. मैने अपनी गांड तक का ज़ोर लगा दिया पेशाब करने के चक्कर में.
मा वही बगल में खडी हो कर मुझे देखे जा रही थी. मेरे खरे लंड को देख कर वो हसते हुए बोली “चल जल्दी से कर ले पेशाब, देर हो रही है घर भी जाना है” मैं क्या बोलता पेशाब तो निकाल ऩही रहा था. तभी मा ने आगे बढ़ कर मेरे लंड को अपने हाथो में पकड़ लिया और बोली “फिर से खाद कर लिया, अब पेशाब कैसे उतरेगा’ ? कह कर लंड को हल्के हल्के सहलाने लगी, अब तो लंड और टाइट हो गया पर मेरे ज़ोर लगाने पर पेशाब की एक आध बूंदे नीचे गिर गई,

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मैने मा से कहा “अर्रे तुम छोडो ना इसको, तुमहरे पकड़ने से तो ये और खड़ा हो जाएगा, छोडो ”

और मा का हाथ अपने लंड पर से झटकने की कोशिश करने लगा, इस पर मा ने हसते हुए कहा “मैं तो छोड़ देती हू पर पहले ये तो बता की खडा क्यों किया था, अभी दो मिनिट पहले ही तो तेरा पानी निकाला था मैने, और तूने फिर से खडा कर लिया, कमाल का लड़का है तू तो”. मैं कुछ ऩही बोला, अब लंड थोडा ढीला पड़ गया था और मैने पेशाब कर लिया. मूतने के बाद जल्दी से पाजामा के नाड़े को बाँध कर मैं मा के साथ झारियों के पीछे से निकल आया, मा के चेहरे पर अब भी मंद मंद मुस्कान आ रही थी. मैं जल्दी जल्दी चलते हुए आगे बढ़ा और कपडे के गट्ठर को उठा कर अपने माथे पर रख लिया, मा ने भी एक गट्ठर को उठा लिया और अब हम दोनो मा बेटे जल्दी जल्दी गाँव के पगडंडी वाले रास्ते पर चलने लगे.

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कहानी जारी है……