भाई-बहन की चुदाई

सेक्सी भाई-बहन की चटपटी कहानी: सादिया और साजिद की हॉट इंसेस्ट स्टोरी

पढ़िए सादिया और साजिद की हॉट और कामुक भाई-बहन की सेक्स स्टोरी, जहाँ गर्मी की रातों में जागी वासना ने उनके रिश्ते को नया मोड़ दिया। टाइट कपड़ों, चोर नजरों और चुदाई की इस कहानी में डूब जाएँ।

हाय दोस्तों, मैं सादिया खान, एक 22 साल की हॉट और हॉर्नी लड़की, जो हर पल सेक्स की आग में जलती रहती है। मेरा फिगर 36-28-36 है, जिसे देखकर लड़के पागल हो जाते हैं। मेरी चाल, मेरी अदाएँ, और मेरे कातिलाना कर्व्स हर किसी को दीवाना बना देते हैं। मैं लाहौर में रहती हूँ, और मेरे परिवार में सिर्फ मैं और मेरा बड़ा भाई साजिद है। साजिद 26 साल का है, बॉडी बिल्डिंग का शौकीन, और उसकी मस्कुलर बॉडी देखकर मेरे जिस्म में हर बार आग सी लग जाती थी। उसकी चौड़ी छाती, मजबूत बाहें, और सलमान खान जैसा लुक मुझे हमेशा बेकाबू कर देता था।

मैं एक सेक्स स्टोरी साइट की रेगुलर रीडर हूँ, जहाँ मैंने ढेर सारी इंसेस्ट स्टोरीज पढ़ीं। भाई-बहन की चटपटी कहानियों ने मेरे दिमाग में आग लगा दी थी। मैं सोचने लगी कि क्यों न मैं भी अपने भाई के साथ कुछ ऐसा करूँ। मुझे पता था कि साजिद की नजरें पहले से ही मेरे जिस्म पर टिकी रहती थीं। जब भी मैं घर में झाड़ू लगाती, वो मेरी कमीज के गले में झाँककर मेरे मम्मों को ताड़ता था। उसकी चोर नजरें मुझे और उकसाती थीं। मैंने सोचा, क्यों न उसे थोड़ा तड़पाया जाए और उसकी आग को और भड़काया जाए।

गर्मी की वो रात

एक गर्मी की दोपहर, जब घर में सिर्फ मैं और साजिद थे, मैंने प्लान बनाया। मैंने जानबूझकर अपने कपड़े बाहर छोड़ दिए और नहाने चली गई। नहाकर बाहर आई तो साजिद को आवाज दी, “भाई, जरा मेरे कपड़े तो दे दो।” जब वो कपड़े लेकर आया, मैंने टॉवल थोड़ा ढीला छोड़ा और कपड़े लेते वक्त जानबूझकर उसे अपने गीले, उभरे हुए मम्मों की झलक दिखाई। उसकी आँखें मेरे मम्मों पर टिक गईं, और वो बस देखता ही रह गया। मैंने अनजान बनते हुए कपड़े लिए और मुस्कुराकर चली गई। मुझे पता था, वो वॉशरूम में जाकर मेरे नाम की मुठ मारने वाला है।

अगले दिन मैंने और हिम्मत जुटाई। मैंने टाइट, गहरे गले वाली कमीज पहनी और बिना ब्रा के झाड़ू लगाने लगी। मेरे मम्मे कमीज के अंदर हिल रहे थे, और साजिद की नजरें टीवी से हटकर मेरे जिस्म पर जम गईं। मैंने जानबूझकर झुककर झाड़ू लगाई, ताकि उसे मेरे निप्पल्स की झलक मिले। उसकी साँसें तेज हो रही थीं, और मैंने उसकी तरफ देखकर पूछा, “क्या देख रहे हो, भाई?” वो घबरा गया और बोला, “कुछ नहीं, सादिया।” मैं मन ही मन हँस रही थी। मैंने कई दिन तक यही खेल खेला, उसे तंग किया, और उसकी आग को और भड़काया।

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मौका मिला, आग भड़की

एक दिन हमारे रिश्तेदार का इंतकाल हो गया, और मम्मी-पापा को एक हफ्ते के लिए दूसरी सिटी जाना पड़ा। अब घर में सिर्फ मैं और साजिद थे। मेरे लिए ये सुनहरा मौका था। मैंने और हिम्मत जुटाई और बिना ब्रा के झाड़ू लगाना शुरू किया। मेरे मम्मे कमीज के अंदर उछल रहे थे, और साजिद की आँखें उन पर टिकी थीं। मैं अनजान बनी रही, लेकिन मेरे जिस्म में भी आग लग रही थी।

उसी रात, जब मैं सो रही थी, मुझे लगा कोई मेरे मम्मों को आहिस्ता-आहिस्ता दबा रहा है। मैंने आँखें हल्की सी खोलीं तो देखा साजिद मेरे बेड पर बैठा था। उसका एक हाथ मेरी कमीज के अंदर था, और वो मेरे निप्पल्स को मसल रहा था। उसका दूसरा हाथ उसकी शलवार में था, और वो अपने लंड को जोर-जोर से हिला रहा था। मैं चुप रही, क्योंकि यही तो मैं चाहती थी। उसने मेरी कमीज ऊपर की और मेरे मम्मों को और जोर से दबाया। मेरे जिस्म में सनसनी दौड़ रही थी, और मैं “आआह्ह्ह” की हल्की सी सिसकारी ले रही थी। कुछ देर बाद वो चला गया, शायद मुठ मारकर ठंडा हो गया।

जब वो गया, मैंने भी अपनी शलवार नीचे की और अपनी चूत में उंगलियाँ डालकर फिंगरिंग शुरू कर दी। “आआह्ह्ह, साजिद,” मैं उसके नाम की सिसकारियाँ ले रही थी। कुछ ही देर में मेरा ऑर्गेज्म हो गया, और मैं ठंडी होकर सो गई। मुझे पता था, अब हर रात ये खेल चलेगा।

रात का जादू

अगली रात मैंने और तैयारी की। मैंने ना ब्रा पहनी, ना पैंटी। मैं बेड पर लेटी साजिद का इंतजार कर रही थी। जैसे ही कमरे का दरवाजा खुला, मैंने आँखें बंद कर लीं। साजिद मेरे पास आया और मेरे बेड पर बैठ गया। उसने पहले मेरे मम्मों को कमीज के ऊपर से दबाया। मेरे निप्पल्स पहले से ही इरेक्ट थे। फिर उसने मेरी कमीज के अंदर हाथ डाला और मेरे ब्रेस्ट को मसलने लगा। “आआह्ह्ह,” मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई। उसका हाथ धीरे-धीरे मेरी टाँगों की तरफ बढ़ा, और उसने मेरी शलवार के अंदर हाथ डाल दिया। उसकी उंगलियाँ मेरे प्यूबिक हेयर से होती हुई मेरी चूत तक पहुँची। मेरी चूत पहले से ही गीली थी, और मैं बेकाबू हो रही थी।

अचानक मुझसे रहा नहीं गया, और मैंने आँखें खोल दीं। “ये क्या कर रहे हो, साजिद?” मैंने पूछा। वो घबरा गया और बोला, “सॉरी, सादिया, प्लीज मम्मी को मत बताना।” मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “ठीक है, लेकिन एक शर्त है। जो कर रहे थे, वही करते रहो। मुझे बहुत मजा आ रहा था।” मेरे इतना कहते ही साजिद ने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया। उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और एक लंबी, गहरी फ्रेंच किस शुरू कर दी। उसका एक हाथ मेरे मम्मों को मसल रहा था, और दूसरा मेरी चूत की तरफ बढ़ रहा था। उसने मेरी कमीज एक झटके में उतार दी और मेरे निप्पल्स को जोर-जोर से चूसने लगा। “आआह्ह्ह, साजिद,” मैं सिसकारियाँ ले रही थी।

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वो बोला, “चुप कर, रंडी। आज से तू मेरी बहन नहीं, मेरी रंडी है। जो मैं कहूँगा, वही करेगी।” उसके मुँह से ये बात सुनकर मैं हैरान थी, लेकिन मेरे जिस्म में और आग लग गई। उसने मेरी शलवार उतार दी और मेरी चूत को देखकर बोला, “क्या मस्त चूत है, सादिया।” उसने मेरी चूत के लिप्स को अलग किया और अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया। मैं पागल हो रही थी। “आआह्ह्ह, भाई, और जोर से चाटो। अपनी बहन की चूत को खा जाओ।” मैंने उसके कपड़े उतारे और उसके लंड को अपने हाथ में लिया। उसका लंड पत्थर की तरह सख्त था। मैंने उसे मसलना शुरू किया, और वो और वाइल्ड हो गया।

पहली चुदाई

10 मिनट तक वो मेरी चूत चाटता रहा। मैं छूटने वाली थी। “भाई, चोदो न अब। मेरी चूत की आग बुझाओ।” उसने अपना लंड मेरे मुँह की तरफ बढ़ाया और बोला, “इसे चूस, रंडी।” मैंने पहले मना किया, लेकिन उसने मेरे बाल पकड़कर जबरदस्ती अपना लंड मेरे मुँह में घुसा दिया। मैंने हल्के-हल्के चूसना शुरू किया, और मुझे भी मजा आने लगा। वो मेरे मुँह को चोद रहा था, और मैं उसका लंड गले तक ले रही थी। कुछ देर बाद उसका शरीर टेंस हुआ, और वो मेरे मुँह में छूट गया। उसने आखिरी बूँद तक मेरे मुँह में डाली।

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हम दोनों थककर बेड पर लेट गए। कुछ देर बाद वो फिर उठा और मेरे मम्मों को चूसने लगा। मैं फिर गर्म हो गई। “भाई, अब चोदो न।” हम 69 की पोजीशन में आ गए। वो मेरी चूत चाट रहा था, और मैं उसका लंड चूस रही थी। जब उसका लंड फिर से रॉड की तरह सख्त हो गया, मैंने कहा, “साजिद, फक मी। अपनी रंडी बहन को चोद डाल।” उसने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ना शुरू किया। मैं बेकाबू हो रही थी। “जल्दी से चोदो, भाई। मेरी चूत की आग ठंडी कर दो।”

उसने एक जोरदार झटका मारा, और उसका लंड मेरी चूत में घुस गया। “आआह्ह्ह,” मेरी चीख निकल गई। मैं वर्जिन थी, और दर्द से मेरा जिस्म काँप रहा था। मैंने कहा, “निकालो, साजिद, मैं मर जाऊँगी।” लेकिन वो रुका नहीं। उसने एक और झटका मारा, और उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। मैं चीख रही थी, लेकिन वो मेरे ऊपर लेट गया और धीरे-धीरे हिलने लगा। धीरे-धीरे दर्द मजा में बदल गया। “आआह्ह्ह, साजिद, और जोर से। फाड़ डाल मेरी चूत।” वो जोर-जोर से धक्के मारने लगा। मैं भी अपनी कमर हिला रही थी। “शाबाश, भाई, और जोर से। अपनी बहन की चूत को चोद डाल।”

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15 मिनट तक वो मुझे चोदता रहा। फिर वो बोला, “सादिया, मैं छूटने वाला हूँ।” मैंने कहा, “मैं भी।” मैंने अपनी चूत की मसल्स से उसके लंड को जकड़ लिया। कुछ ही देर में हम दोनों एक साथ छूट गए। हमारी साँसें तेज-तेज चल रही थीं। मेरी चूत रस और कम से तर हो गई थी। उस रात हमने तीन बार चुदाई की।

अगला दिन

सुबह साजिद ने मुझे देखकर कहा, “मजा आया, सादिया?” मैं शरमा गई। उसने पीछे से मेरे मम्मे पकड़ लिए। मैंने कहा, “छोड़ो, कोई देख लेगा।” लेकिन उसने कहा, “अब तू मेरी रंडी है।” उस दिन शाम को हमने फिर वही खेल खेला। मम्मी-पापा के आने तक हमने हर रात चुदाई की। अब साजिद मेरे लिए भाई कम, लवर ज्यादा है।