देसी नौकरानी पूर्णिमा की चूत और गांड की मसालेदार चुदाई
पढ़िए अजय की हॉट और मसालेदार हिंदी सेक्स कहानी, जिसमें वो अपनी 18 साल की नौकरानी पूर्णिमा की चूत और गांड की चुदाई का मजा लेता है। साथ ही पूर्णिमा की माँ और भाभी के साथ ग्रुप सेक्स की रोमांचक दास्तान।
हेलो दोस्तों, मैं हूँ अजय, दिल्ली का रहने वाला। मेरी पहली कहानी को आपने इतना प्यार दिया कि मैं आज फिर आपके सामने एक नई और मसालेदार कहानी लेकर आया हूँ। मेरी जिंदगी का एक ही मंत्र है – औरत की चूत और उसकी गांड का मजा लेना। जब से मेरा लंड खड़ा होना शुरू हुआ, तब से मैंने हर तरह की चूत और गांड को चखा है। लेकिन आज जो कहानी मैं सुनाने जा रहा हूँ, वो मेरी नौकरानी पूर्णिमा की है। उसका जिस्म ऐसा भरा-भरा, मानो कोई सेक्सी मूर्ति हो। उम्र करीब 18 साल, रंग सांवला, लेकिन मम्मे इतने बड़े और रसीले कि बस देखते ही लंड सलामी देने लगे। उसकी गांड तो ऐसी थी, जैसे दो बड़े-बड़े तरबूज एक साथ टंगे हों। पहली बार जब वो मेरे घर आई, मैंने मन ही मन ठान लिया था कि इसकी चूत और गांड को मैं जरूर चखूँगा।
पूर्णिमा रोज सुबह मुझे जगाने आती थी। उसका सांवला चेहरा, गीले कपड़ों में चिपके हुए मम्मे, और वो हल्की-सी मुस्कान – उफ्फ! मेरा दिल करता था कि उसे बिस्तर पर पटक दूँ और उसकी चूत में अपना लंड डालकर उसकी सारी गर्मी निकाल दूँ। लेकिन घर में माँ-बाप और भाई-भाभी की मौजूदगी की वजह से मैं कुछ कर नहीं पाता था। फिर एक दिन मौका मिला। घर में कोई नहीं था, बस मैं और पूर्णिमा। मेरा लंड पहले से ही जोश में था। पूर्णिमा ने काम खत्म किया और नहाने बाथरूम चली गई। मैंने सोचा, यही मौका है। चुपके से बाथरूम के दरवाजे की झिरी से उसे देखने लगा।
उसने पहले अपनी साड़ी उतारी। ब्रा तो वो पहनती ही नहीं थी। जैसे ही उसने ब्लाउज खोला, उसके बड़े-बड़े काले मम्मे बाहर आ गए। वो इतने रसीले थे कि मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया। फिर उसने पेटीकोट उतारा। उसका सांवला जिस्म, भारी-भारी गांड, और चूत पर काले-काले बाल – मानो कोई जंगल में छुपा खजाना हो। वो नहाते-नहाते अपनी चूत में उंगली करने लगी। उसकी सिसकारियाँ, वो मस्ती में डूबी आँखें – मैं समझ गया कि ये साली भी उतनी ही ठरकी है जितना मैं हूँ। करीब 15 मिनट तक वो अपनी चूत को रगड़ती रही, लेकिन उसकी आँखों में अभी भी भूख दिख रही थी।
मैं चुपके से अपने कमरे में गया और अंडरवियर में लंड खड़ा करके लेट गया। नहाकर जब वो मेरे कमरे में आई, उसकी नजर सीधे मेरे लंड पर गई। वो पलटकर बोली, “भैया, दूध दूँ?” मैंने कहा, “हाँ, दे दे। आज मुझे दूध की बहुत प्यास है।” वो हल्के से मुस्कुराई और बोली, “दूध के साथ क्या लोगे?” मैंने कहा, “तुझको!” ये सुनकर वो शरमा गई, लेकिन उसकी आँखों में चमक थी। मैंने कहा, “आज मेरे साथ मस्ती करेगी?” वो बोली, “भैया, आप जो कहेंगे, मैं वही करूँगी।”
मैंने उससे कहा, “चल, पहले अपनी फैंटेसी बता। तेरे मन में क्या चल रहा है?” वो बोली, “भैया, मैं औरत बनना चाहती हूँ। मुझे वो मजा चाहिए जो एक औरत को मिलता है।” मैंने पूछा, “पहले कभी चूत मरवाई?” वो बोली, “नहीं, चूत तो कभी नहीं मरवाई, लेकिन गांड बहुत बार मरवाई है।” मैं चौंक गया। पूछा, “किससे?” वो बोली, “मेरे भाई और उसके दोस्तों से। वो सब गांडू हैं। उन्होंने मेरी गांड मारी, लेकिन चूत को कभी नहीं छुआ।”
मैंने कहा, “चल पूर्णिमा, आज मैं तेरी चूत की सारी खुजली मिटाता हूँ।” मैंने उसे अपने सारे कपड़े उतारने को कहा। वो पूरी नंगी मेरे सामने खड़ी हो गई। उसका सांवला जिस्म, बड़े-बड़े मम्मे, और चूत पर काले-काले बाल – मैं तो बस पागल हो गया। मैंने पूछा, “बता, कहाँ से शुरू करूँ?” वो बोली, “प्लीज, मेरी चूत से। वहाँ आग लगी है।” मैंने उसकी चूत को अपने सामने किया। जैसे ही मैंने उसकी चूत को छुआ, उसके मुँह से सिसकारी निकल पड़ी। मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ना शुरू किया। वो वर्जिन थी, और मैं उसकी सील तोड़ने वाला था।
काफी देर रगड़ने के बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाला। पूर्णिमा पूरा साथ दे रही थी, क्योंकि उसे गांड में लंड लेने की आदत थी। जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत में पूरा गया, उसकी चीख निकल पड़ी। मैंने पूछा, “क्या हुआ?” वो बोली, “कुछ नहीं, ये खुशी की चीख थी। प्लीज, मेरी चूत को फाड़ दो।” मैंने उसकी चूत में जोर-जोर से लंड पेलना शुरू किया। वर्जिन होने की वजह से उसकी चूत बहुत टाइट थी, जिससे मुझे गजब का मजा आ रहा था। पूर्णिमा की चूत से खून भी निकला, लेकिन वो पूरे जोश में थी। वो बार-बार कह रही थी, “भैया, आपका लंड बहुत मस्त है। और जोर से चोदो।”
10 मिनट बाद वो दो बार झड़ चुकी थी, लेकिन अभी भी चुदवाना चाहती थी। मेरा झड़ने का टाइम था। जैसे ही मेरा पानी निकला, उसकी चूत मेरे स्पर्म से भर गई। वो बोली, “ये क्या किया?” मैंने कहा, “बस, अपना पानी तेरी चूत में छोड़ा।” वो बोली, “ये पानी चूत के लिए नहीं, मेरे मुँह में डालना था।” उसने बताया कि उसका भाई और उसके दोस्त उसकी गांड मारने के बाद सारा पानी उसके मुँह में डालते थे। मैंने कहा, “कोई बात नहीं, अगली बार तेरे मुँह में डालूँगा।”
फिर वो मेरे लंड को चूसने लगी। उसकी जीभ मेरे लंड के सुपारे पर ऐसे घूम रही थी, जैसे कोई पेशेवर रंडी हो। मैंने कहा, “पूर्णिमा, तू तो बहुत ठरकी है।” वो बोली, “मुझे लंड बहुत पसंद हैं।” मैंने पूछा, “गांड मरवाने में मजा आता है?” वो बोली, “पहले नहीं आता था, अब बहुत आता है।” मैंने कहा, “क्या मैं तेरी गांड मारूँ?” वो बोली, “भैया, आप कुछ भी कर सकते हैं।”
मैंने उसकी गांड में लंड डाला। उसकी गांड इतनी तैयार थी कि मेरा लंड आसानी से चला गया। गांड मारने में चूत से भी ज्यादा मजा आया। 10 मिनट बाद मेरा झड़ने वाला था। पूर्णिमा चिल्ला रही थी, “पानी मेरे मुँह में डालो।” मैंने लंड निकाला, और उसने मुँह खोल लिया। मेरा सारा पानी उसके मुँह में गया। उसने मेरे लंड को चूस-चूसकर सारा पानी पी लिया।
फिर वो बोली, “भैया, मेरी चूत की खुजली अभी भी बाकी है।” मैंने कहा, “अगर तू रोज चुदवाना चाहती है, तो मेरे लिए और औरतें लानी पड़ेगी।” वो बोली, “मैं अपनी माँ और भाभी को लाऊँ?” मैंने कहा, “तेरी माँ तो बूढ़ी होगी।” वो बोली, “नहीं, वो अभी भी मस्त है। और भाभी तो बस 25 की है।” मैंने कहा, “जा, दोनों को ले आ।”
15 मिनट बाद पूर्णिमा अपनी माँ और भाभी को लेकर आई। दोनों एकदम सेक्सी थीं। माँ करीब 40 की थी, लेकिन जिस्म ऐसा कि 30 की लगे। भाभी तो बस कयामत थी – गोरी, रसीली, और मम्मे ऐसे कि बस दबाने को जी करे। मैंने पूछा, “क्या आप मेरे साथ मस्ती करेंगी?” दोनों शरमाने लगीं। पूर्णिमा बोली, “मैंने इन्हें सब बता दिया है, ये तैयार हैं।”
मैंने माँ के कपड़े उतरवाए। उसका जिस्म देखकर मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। मैंने भाभी से कहा, “अपने मम्मे मेरे मुँह के पास लाओ।” वो अपने रसीले मम्मे ले आई। मैं उन्हें दबाने और चूसने लगा। इधर पूर्णिमा अपनी भाभी की चूत में उंगली कर रही थी। माँ मेरे लंड को चाटने लगी। उसकी जीभ मेरे लंड पर ऐसे चल रही थी, जैसे कोई पुरानी खिलाड़ी हो।
मैंने माँ से कहा, “अब मुझे भाभी को चोदना है।” माँ बोली, “पहले मेरी चूत की आग बुझाओ। मैं बहुत भूखी हूँ।” मैंने उनकी बात मान ली। मैंने माँ की चूत में लंड डाला। उसकी चूत इतनी गर्म थी कि मेरा लंड पिघलने लगा। फिर मैंने उनकी गांड मारी। इधर पूर्णिमा और भाभी एक-दूसरे की चूत में उंगली कर रही थीं। 15 मिनट बाद मैंने भाभी की चूत मारी। उसकी चूत बिल्कुल साफ और गुलाबी थी। मैंने उसकी चूत चाटी, और पूर्णिमा की माँ मेरी गांड चाट रही थी। पूर्णिमा मेरा लंड चूस रही थी।
जब मैं भाभी को चोद रहा था, वो चिल्ला रही थी, “ये लंड अब मेरी चूत में ही रहे।” माँ ने मेरी गांड में उंगली डाली, जिससे मुझे और मजा आया। जब मैं झड़ा, तो माँ और भाभी ने मेरा सारा पानी पी लिया। पूर्णिमा भी पीने लगी।
अब मैं तीनों को रोज चोदता हूँ। पूर्णिमा, उसकी माँ, और भाभी मेरे लंड की दीवानी हैं। कभी-कभी वो अपनी सहेलियों को भी लाती हैं, और हम सब मिलकर ग्रुप सेक्स का मजा लेते हैं। अगर कोई और औरत मुझसे चुदवाना चाहती है, तो मुझसे कॉन्टैक्ट कर सकती है।