लुधियाना के साबुन बाजार में भाभी की चुदाई
हाय दोस्तों, मैं हूँ संटी, तुम्हारा अपना यार! लुधियाना की सैर मेरे लिए हमेशा से कुछ खास रही है। हर बार यहाँ आते ही कुछ न कुछ धमाकेदार होता है। इस बार भी वैसा ही कुछ हुआ। काम निपटाने के बाद मैं साबुन बाजार की रौनक देखने निकला। भीड़-भाड़ वाली गलियों में, लोग अपने काम में मस्त, और मैं अपनी मस्ती में। तभी अचानक एक स्कूटर ने मुझे जोरदार टक्कर मारी। मैं तो बस यूँ ही टहल रहा था, लेकिन टक्कर इतनी जबर थी कि मेरे पैर में मोच आ गई। स्कूटर पर थीं एक भाभी, जिनकी खूबसूरती देखकर मैं एक पल को दर्द भी भूल गया। उनकी साड़ी हवा में लहरा रही थी, और उनके कर्व्स ऐसे उभर रहे थे मानो कोई बॉलीवुड हसीना हो।
भाभी ने तुरंत अपनी मखमली आवाज में कहा, “ओह, सॉरी! अरे, तुम ठीक तो हो? चलो, मैं तुम्हें हॉस्पिटल ले चलती हूँ।” भीड़ में सब देख रहे थे, लेकिन उनकी परवाह किसे थी। उन्होंने मुझे अपने स्कूटर पर बिठाया। मैं, एक अजनबी, फिर भी उनके साथ चला गया। उनकी कमर को पकड़ते हुए स्कूटर पर बैठा, तो उनकी बॉडी की गर्मी ने मुझे अंदर तक हिला दिया।
लकड़ बाजार के पास एक डॉक्टर ने मेरा पैर चेक किया और बोला, “मोच है, तुम्हें कुछ दिन आराम करना होगा।” अब मेरे पास न कोई जान-पहचान थी, न ही ज्यादा पैसे। मैं सोच रहा था कि पुलिस में शिकायत करूँ, लेकिन भाभी ने कहा, “अरे, टेंशन मत लो, मेरे घर चलो।” उनका घर घंटा घर के पास था, एक पॉश इलाके में। घर पहुँचे तो उनके पति ने थोड़ा गुस्सा दिखाया, “ये कौन है? इसे क्यों लाई?” भाभी ने बड़े प्यार से समझाया, “मेरी गलती से इसका एक्सीडेंट हुआ, इसका कोई नहीं है, तो मैं ले आई।” पति ने थोड़ा ना-नुकुर की, लेकिन फिर मान गए।
रात के 12 बज चुके थे। मोच की वजह से मेरा पैर दुख रहा था। मैं अपने कमरे में लेटा था, दरवाजा खुला, और दर्द में कराह रहा था। तभी भाभी चुपके से कमरे में दाखिल हुईं। उनकी साड़ी का पल्लू थोड़ा सा सरक गया था, और उनके ब्लाउज में कैद उनके बड़े-बड़े बूब्स मानो मुझे बुला रहे थे। वो मेरे पास आईं और बोलीं, “संटी, तुम ठीक तो हो ना? दर्द कैसा है?” उनकी आवाज में एक अजीब सी कशिश थी। मैंने कहा, “हाँ भाभी, बस थोड़ा दर्द है।” फिर वो मेरे पैर के पास बैठ गईं और मालिश शुरू कर दी। उनके मुलायम हाथ मेरे पैरों पर फिसल रहे थे, और मैं उनके बूब्स को देखकर गर्म होने लगा। वो ब्लाउज इतना टाइट था कि उनके बूब्स बाहर आने को बेताब थे।
मालिश करते-करते भाभी की नजर मेरे पैंट पर गई, जहाँ मेरा लंड पहले ही टाइट हो चुका था। उन्होंने धीरे से मेरे लंड को छुआ, और एक शरारती मुस्कान के साथ सहलाने लगीं। मैं तो जैसे सातवें आसमान पर था। भाभी ने धीमी आवाज में कहा, “संटी, टेंशन मत लो, मेरे पति गहरी नींद में हैं।” मैंने हकलाते हुए कहा, “भाभी, ये क्या कर रही हो?” लेकिन वो कहाँ रुकने वाली थीं। उन्होंने मेरी पैंट खोली और मेरा लंड अपने नरम होंठों के बीच ले लिया। दोस्तों, वो पल ऐसा था जैसे जन्नत का दरवाजा खुल गया हो। उनके मुँह की गर्मी और उनकी जीभ का जादू मुझे पागल कर रहा था। मैंने कहा, “भाभी, अब तुम्हारी बारी है।”
मैंने उन्हें बेड पर लिटाया और उनकी साड़ी को धीरे-धीरे उतारा। उनकी पैंटी उतारी तो उनकी चूत को देखकर मैं बेकाबू हो गया। गुलाबी, रसीली, और इतनी सेक्सी कि मानो कोई जादुई फल हो। मैंने उनकी चूत को चाटना शुरू किया। भाभी सिसकारियाँ लेने लगीं, “हाय… संटी… क्या कर रहा है… इतना मजा… मेरे पति ने कभी ऐसा नहीं किया।” उनकी आवाज में वो सेक्सी खनक थी, जो मुझे और जोश दिला रही थी। वो जोर-जोर से चिल्लाने लगीं, “संटी… और चाटो… हाय… मैं मर गई!”
फिर मैंने कहा, “भाभी, अब अपने बूब्स दिखाओ।” उन्होंने अपना ब्लाउज और ब्रा उतारी। उनके बड़े-बड़े बूब्स को देखकर मैं तो जैसे मर ही गया। गोल, टाइट, और उनके निप्पल्स मानो मुझे चिढ़ा रहे थे। मैंने उनके निप्पल्स को चूसा, उनके बूब्स को जोर-जोर से रगड़ा। भाभी चिल्लाईं, “संटी, आई लव यू! और जोर से!” फिर मैंने उनकी चूत में अपना लंड डाला। “भस्स…” की आवाज के साथ लंड अंदर गया, और भाभी मुझसे लिपट गईं। मैं उन्हें जोर-जोर से चोदने लगा। “पच-पच, भक-भक” की आवाजें पूरे कमरे में गूँज रही थीं। भाभी मेरे नाम की रट लगाए थीं, “संटी… और जोर से… फाड़ दो मुझे!” मैंने रात भर उन्हें चोदा, कभी मिशनरी, कभी डॉगी, हर स्टाइल में उनकी चूत को रगड़ा।
सुबह होते ही भाभी मेरे सीने पर लेट गईं और बोलीं, “संटी, दर्द का नाटक करते रहना, आज रात फिर जमकर मस्ती करेंगे।” अगले दिन बालजीत भाभी मुझे दिन में बार-बार दिखतीं। उनकी आँखों में वही शरारत, वही सेक्सी अंदाज। हर बार वो मुझे अपनी अदाओं से ललचातीं। दोस्तों, वो रात मेरी जिंदगी की सबसे हॉट रात थी। बालजीत भाभी की चूत का रस, उनके बूब्स का नजारा, और उनकी सिसकारियाँ मेरे दिमाग में हमेशा के लिए बस गईं। अब जब भी मैं लुधियाना जाता हूँ, साबुन बाजार की गलियों में उनकी यादें मेरे साथ-साथ चलती हैं।
तो दोस्तों, कैसी लगी मेरी ये हॉट कहानी? लुधियाना की सैर और बालजीत भाभी की मस्ती का मजा लेने के लिए तैयार हो जाओ!