हॉट सविता आंटी की सेक्सी कहानी
हाय दोस्तों, मैं फिर से हाजिर हूँ। मैं सूरत से हूँ। ये कहानी उन दिनों की है जब मैं अपने दूर के अंकल की शादी में नहीं जा पाया था। गर्मी की छुट्टियों में मैं सिर्फ़ चार दिन के लिए उनके यहाँ गया था। पहली बार जब मैंने अपनी आंटी सविता को देखा, तभी मेरे दिल में उन्हें पाने की आग भड़क उठी। उनकी खूबसूरती, उनका फिगर, वो बड़े-बड़े बूब्स और गोल-मटोल हिप्स—सब कुछ इतना आकर्षक था कि बस मन में एक ही ख्याल था, “इन्हें तो मैं किसी भी कीमत पर पा लूँगा।” लेकिन कुछ जरूरी काम की वजह से मुझे वहाँ से जल्दी लौटना पड़ा। फिर चार साल बाद, मैं दोबारा वहाँ गया और अपने पुराने प्लान को याद करके मन ही मन मुस्कुराने लगा।
सविता आंटी की खूबसूरती में कोई कमी नहीं आई थी। उनका फिगर और भी निखर गया था। जब वो चलती थीं, तो उनकी गोल-मटोल गांड के उभार ऊपर-नीचे होते थे, जो इतने सेक्सी लगते थे कि बस मन करता था कि उन्हें छू लूँ, दबा दूँ। उनकी साड़ी हमेशा ऐसी होती थी कि पीछे से उनकी कमर साफ़ दिखती थी। उनके बड़े-बड़े बूब्स को मैं चोरी-छुपे देखा करता था। मैं उनके प्रति बुरी तरह आकर्षित था।
जब मैं उनके घर पहुँचा, तो अगले ही दिन अंकल को 18 दिन के लिए बिजनेस ट्रिप पर जाना पड़ गया। जाते वक्त उन्होंने कहा, “इसका ख्याल रखना, सविता। बेचारा इतने दिन बाद आया है।” सविता आंटी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “आपको क्या लगता है, मैं इसका ख्याल नहीं रखूँगी? ये मेरा भी तो कुछ है।” अंकल ने मुझसे कहा, “कोई संकोच मत करना, बेटा। इसे अपना ही घर समझना। मैं जल्दी लौट आऊँगा।” उनके घर में और कोई नहीं था। उनकी कोई संतान नहीं थी।
सविता आंटी ने कहा, “बेटा, तुम मेरे रूम में ही सो जाओ। अकेले कहाँ सोएगा?” मुझे ये सुनकर बहुत अच्छा लगा। उस रात मुझे पता चला कि आंटी को कॉकरोच और छिपकली से बहुत डर लगता है। उनके बेड पर एक कॉकरोच और छिपकली घूम रहे थे। आंटी डर के मारे इधर-उधर भागने लगीं। अचानक एक कॉकरोच उनके ऊपर चढ़ गया। वो जोर-जोर से उछलने-कूदने लगीं। मैंने मौका देखकर एक कपड़ा लिया, कॉकरोच को पकड़ा और उनके बूब्स को हल्के से दबाते हुए उसे बाहर फेंक दिया। आंटी ने राहत की साँस ली और बोलीं, “तुम ना होते तो आज पता नहीं क्या होता। मुझे बहुत डर लगता है।”
मैंने कहा, “आंटी, जब तक मैं यहाँ हूँ, आपको डरने की कोई जरूरत नहीं। मैं तो आपके पास ही सो रहा हूँ ना।” मन ही मन मैं उनकी तरफ और भी आकर्षित हो गया। ये मेरे लिए एक सुनहरा मौका था। रात को हमने देर तक टीवी पर मूवी देखी। मूवी में कुछ हॉट सीन थे। मैंने मजाक में आंटी से कहा, “आप भी तो कम सेक्सी नहीं हो। हमारी आंटी तो खूबसूरती में किसी हीरोइन से कम नहीं।” वो हँसते हुए बोलीं, “बदमाश, चुप कर।” हमने खूब मस्ती की और फिर सो गए। रात को मैं जानबूझकर उनके करीब सोया और सोते वक्त उनका हाथ उनकी छाती पर रख दिया।
अगले दिन सुबह मैंने उनके स्टोर में कुछ कॉकरोच देखे। तभी मुझे एक शरारती आइडिया आया। मैंने एक बोतल में तीन बड़े और एक छोटा कॉकरोच बंद कर लिया। एक दूसरी बोतल में एक असली छिपकली और दो नकली छिपकलियाँ (जो मैं बाजार से लाया था) रख दीं। बोतल के ढक्कन में छेद कर दिए ताकि वो मरें नहीं। मैं रात को आंटी के साथ सेक्सी सपने देखने लगा। दिन में हम मार्केट गए, शॉपिंग की और घूमे-फिरे। रात को डिनर के बाद टीवी पर एक मूवी चल रही थी, जिसमें जॉन अब्राहम और बिपाशा बसु के हॉट सीन थे। आंटी बोलीं, “आजकल फिल्मों में क्या-क्या दिखा देते हैं।” मैंने हँसते हुए कहा, “हाँ, आजकल तो ब्लू फिल्म से कम सेक्सी सीन नहीं होते। सब कुछ तो दिखा देते हैं।”
आंटी ने कहा, “हाँ, ये तो है। आजकल बच्चे भी शादी से पहले सब कुछ जान जाते हैं।” बातों-बातों में मैंने पूछा, “आंटी, आपने कभी ब्लू फिल्म देखी है?” वो शरमाते हुए बोलीं, “हाँ, पहले केबल वाला कभी-कभी दिखा देता था। अब नहीं दिखाता।” हम मूवी देखते रहे। मूवी खत्म होने के बाद आंटी ने मुझे मिल्क रोज़ पिलाया और बोलीं, “मैं सोने जा रही हूँ। तुम्हें भी नींद आए तो सोने आ जाना।” थोड़ी देर बाद मैंने कपड़े बदले, नाइट पैंट पहनी और दोनों बोतलें स्टोर से निकालकर बाहर रख दीं।
जब मुझे लगा कि आंटी सो गई हैं, मैं चुपके से उनके बेडरूम में गया। नाइट बल्ब की हल्की रोशनी में वो सो रही थीं। मैंने बोतल को उनके बेड के नीचे रख दिया और उनके बगल में लेट गया। थोड़ी देर बाद मैं उठा और बालकनी का दरवाजा खोलकर बाहर बैठ गया। आंटी की नींद खुली तो वो बोलीं, “प्लीज, इसे बंद रखना। बाहर से कॉकरोच आते हैं।” मैंने कहा, “ओके,” और दरवाजा बंद कर दिया। फिर मैं चुपके से बेड के नीचे से बोतल निकाला और उनकी साड़ी-पेटीकोट के अंदर बोतल का मुँह रखकर ढक्कन खोल दिया। फट से तीन कॉकरोच बाहर निकले और उनके पेटीकोट के अंदर घुस गए। मैंने असली छिपकली उनके पेट की डट्टी पर रख दी और नकली छिपकली उनके ब्लाउज में बूब्स के बीच चुपके से डाल दी। एक नकली कॉकरोच उनके हाथ पर रख दिया और बोतल को बेड के नीचे सरका दिया।
मैं बाहर चला गया। तभी छिपकली हिली और कॉकरोच उनकी टाँगों पर चढ़ने लगे। वो जोर से चिल्लाईं, “कौन है?” और झटके से खड़ी हो गईं। मैं भागता हुआ अंदर आया और नाटक करते हुए बोला, “क्या हुआ, आंटी? क्यों चिल्ला रही हो?” वो डर के मारे काँप रही थीं और बोलीं, “पता नहीं क्या घुस गया है! जल्दी लाइट जलाओ!” मैंने लाइट ऑन की। उनकी साड़ी बदन से उतर चुकी थी। वो अपने पेटीकोट को जोर-जोर से झटक रही थीं। कॉकरोच उनकी जाँघों के पास इधर-उधर भाग रहे थे। लाइट जलते ही छिपकली पेटीकोट में घुसने लगी। मैंने उसे पकड़कर बाहर फेंक दिया।
आंटी चिल्ला रही थीं, “कुछ तो कर, मेरी जान निकल रही है!” मैंने कहा, “जोर से झटकिए, नहीं तो इसे भी उतार दीजिए।” वो लगातार उछल-कूद कर रही थीं। मैंने हिम्मत करके उनके पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया। पेटीकोट नीचे गिर गया। अब वो सिर्फ़ पैंटी और ब्लाउज में थीं। उनके बड़े-बड़े बूब्स ब्लाउज से बाहर आने को बेताब थे। एक कॉकरोच उनकी पैंटी में घुस गया। मैंने उसे उड़ाने के बहाने उनकी पैंटी पर जोर से हाथ रगड़ा, जो उनकी फूली हुई चूत पर पड़ा। वो डर भी रही थीं और शरमा भी रही थीं।
अचानक कॉकरोच उनकी छाती पर चढ़ गया। मैंने उसे पकड़ने के बहाने उनके बूब्स को जोर से दबा दिया। उनके मुँह से सिसकारी निकली और वो बोलीं, “संभाल के, क्या करता है?” ब्लाउज का ऊपरी बटन खुला था, तो कॉकरोच थोड़ा अंदर घुस गया। वो चिल्लाईं, “जल्दी पकड़, नहीं तो मैं मर जाऊँगी!” मैंने उनके ब्लाउज में हाथ डाला। उनके नरम-नरम बूब्स को छूकर मुझे मस्ती चढ़ रही थी। मैंने उनके ब्लाउज के बटन खोल दिए। उन्होंने झटके से ब्लाउज उतार फेंका। अब वो सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थीं। क्या सेक्सी लग रही थीं, पूछो मत!
वो मुझसे लिपट गईं और बोलीं, “प्लीज, जल्दी से कॉकरोच को बाहर फेंक दे!” मैंने मौके का फायदा उठाया और उन्हें जोर से गले लगाया। मैंने कहा, “मेरे होते तुम्हें डरने की क्या जरूरत? अभी फेंक देता हूँ।” मैंने कॉकरोच को उनकी साड़ी और पेटीकोट में लपेटकर बालकनी में फेंक दिया। वो नंगी खड़ी थीं और शरम से लाल हो रही थीं। मैं हँसते हुए बोला, “आंटी, आप तो टोटल सेक्सी माल हो!” वो बोलीं, “बदमाश, मेरी गाउन बाथरूम से ले आ।” मैंने कहा, “आज ऐसे ही सो जाओ।” वो बोलीं, “चल, जल्दी ले आ।”
मैंने कमरे का दरवाजा बंद किया और कहा, “सब फेंक दिया, अब कोई नहीं आएगा।” मैंने उनका हाथ पकड़ा और उन्हें बेड पर लिटा दिया। मैंने कहा, “आप टोटल सेक्सी हो, आंटी।” फिर मजाक में बोला, “आपकी ब्रा में कुछ पूँछ जैसा है।” वो डर गईं और बोलीं, “प्लीज, उसे भी निकाल दो!” मैंने फिर से उनके बूब्स को छुआ और ब्रा में हाथ डालकर नकली छिपकली को बाहर फेंक दिया। मैंने कहा, “सविता, तुम तो मस्त सेक्सी चीज हो।” वो हँसते हुए बोलीं, “बदमाश!” और पास पड़े तौलिये से अपने बदन को ढक लिया।
मैंने कहा, “क्यों शरमा रही हो? कॉकरोच ने कहीं काटा तो नहीं? जरा देखूँ तो, कहीं निशान तो नहीं पड़े।” मैंने उनके पैरों पर हाथ फेरना शुरू किया, फिर जाँघों पर। हँसते हुए बोला, “पैंटी में तो नहीं घुसा था ना?” वो बोलीं, “चल, बेशरम।” मैंने कहा, “कहीं इन्फेक्शन ना हो जाए। कोई एंटीसेप्टिक क्रीम लगा लो।” वो बोलीं, “ड्रॉअर में बोरॉलिन रखी है, निकाल ले।”
मैं बोरॉलिन लाया और उनके पैरों पर लगाने लगा। उनकी जाँघों पर हाथ फेरने में बड़ा मजा आ रहा था। उनकी सॉफ्ट स्किन इतनी सेक्सी थी कि मैं पूरी तरह एक्साइट हो गया। मैंने धीरे-धीरे हाथ ऊपर बढ़ाया और उनकी पैंटी में क्रीम लगा दी। वो बोलीं, “ये क्या कर रहा है?” मैंने कहा, “उतार तो नहीं रहा, बस क्रीम लगा रहा हूँ। अगर तुम्हें बुरा लग रहा है, तो खुद लगा लो।” वो बोलीं, “अच्छा, लगा दे।”
मैंने उनकी कमर और चूतड़ों पर भी क्रीम लगाई। उनके चूतड़ इतने सॉफ्ट थे कि मैं उन्हें दबाने से खुद को रोक नहीं पाया। वो सिसकारी भरते हुए बोलीं, “ये सब क्या हो रहा है?” मैंने कहा, “तुमने कहा था, कॉकरोच फेंक दोगे तो जो माँगोगे, वो मिलेगा।” मैंने उनका चेहरा पकड़ा और कहा, “सविता, तुम बहुत सुंदर हो। एक किस दे दो, प्लीज।” वो बोलीं, “और कुछ नहीं करेगा।” मैंने कहा, “बस एक किस, प्लीज।”
पहले तो उन्होंने मना किया, लेकिन फिर बोलीं, “देख, किसी को बताना मत। सिर्फ़ एक बार।” मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रखे। उनकी गर्म साँसें मुझे पागल कर रही थीं। मैंने उनकी जीभ को चूसना शुरू किया। उनके रसीले होंठों का स्वाद मुझे और उत्तेजित कर रहा था। मैंने कहा, “सविता डार्लिंग, आज मैं रुक नहीं सकता।” मैंने उन्हें बेड पर धकेल दिया और उनके गालों पर किस करना शुरू कर दिया। पहले तो उन्होंने मना किया, लेकिन फिर शांत हो गईं।
मैं उन्हें लगातार किस कर रहा था। हम दोनों एक-दूसरे की बाहों में थे, अपने गर्म जिस्मों को रगड़ रहे थे। उनके बड़े-बड़े बूब्स मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा में थे। मैंने उनके पीछे हाथ ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया। उनकी चूचियाँ बाहर आ गईं। मैं उन्हें देखकर पागल हो गया। मैंने उनकी एक-एक निप्पल को चूसना शुरू किया और उनके बूब्स को जोर-जोर से दबाने लगा। वो भी उत्तेजित हो रही थीं। मैंने उनके पेट, नाभि और नीचे तक ढेर सारी किस की। उनकी चूचियों को मुँह में लेकर चूसने और दबाने में मुझे गजब का मजा आ रहा था।
वो सिसकारी भरते हुए बोलीं, “बस, और कुछ मत करना, प्लीज।” मैंने कहा, “जैसा तुम कहोगी, वैसा ही करूँगा।” मैंने एक जोरदार किस की और उनकी पैंटी को एक झटके में उतार दिया। उनकी चूत पर काले-काले बाल थे। उनकी रसीली गुलाबी चूत को देखकर मैं और उत्तेजित हो गया। मैंने लाइट ऑफ कर दी और नाइट लैंप जला दिया। उसकी हल्की रोशनी में उनका नंगा जिस्म चमक रहा था। मेरा लंड खुशी से झूम रहा था।
मैंने कहा, “ये सब सीक्रेट रहेगा। आज रात हम खूब एंजॉय करेंगे।” मैं उनके ऊपर लेट गया और उनकी चूचियों को दबाते हुए उनके रसीले होंठ चूसने लगा। उन्होंने भी मुझे कसकर गले लगाया और मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी। उनकी जीभ का स्वाद गजब का था। मैं उनकी चूचियों को जोर-जोर से दबाने और चूसने लगा। वो बोलीं, “तू शैतान है। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा।”
उन्होंने अपनी टाँगें फैला दीं और मेरा लंड पकड़कर अपनी चूत के मुँह पर रख लिया। उनकी झाँटों का स्पर्श मुझे पागल कर रहा था। मैंने अपना लंड उनकी चूत में घुसाने की कोशिश की, लेकिन क्योंकि मैं नौसिखिया था, मुझे शुरू में थोड़ी दिक्कत हुई। जब मैंने जोर लगाया, तो उन्हें दर्द हुआ। सविता मेरे लंड को सही जगह पर लगाकर रास्ता दिखा रही थीं। एक जोरदार धक्के में मेरा 7 इंच का लंड थोड़ा अंदर चला गया।
मैंने दूसरा धक्का मारा और पूरा लंड उनकी मखन जैसी चूत में समा गया। सविता चिल्लाईं, “उई माँ! अह्ह्ह! थोड़ा रुक, हिलना मत।” उनका चूत मेरे लंड को अंदर ही अंदर मसल रही थी। उनकी उभरी हुई चूचियाँ तेजी से ऊपर-नीचे हो रही थीं। मैंने उनके दोनों बूब्स पकड़ लिए और मुँह में लेकर चूसने लगा। उन्हें जोश चढ़ गया। उन्होंने अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी। उनके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं, “आह्ह्ह… ऊह्ह्ह… और जोर से करो… चोदो मुझे… जवानी का मजा लो।”
वो अपनी गांड हिलाने लगीं। मैं भी जोर-जोर से धक्के मारने लगा। मेरा लंड पूरी स्पीड में उनकी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था। मैंने उन्हें सात मिनट तक चोदा। हम दोनों के मुँह से “आह्ह… ऊई… मजा आ गया… और जोर से करो…” की आवाजें निकल रही थीं। मैंने कहा, “आज तेरी चूत को मस्त कर दूँगा। तू हमेशा मेरे लंड के लिए तड़पेगी।” मैं अपना लंड आधा बाहर निकालता और जोरदार धक्के के साथ उनकी चूत की गहराई में डाल देता। उन्होंने अपनी आँखें बंद कर लीं और मेरे हर धक्के के साथ अपनी गांड उठा-उठाकर साथ देने लगीं।
मेरी स्पीड इतनी तेज हो गई कि पता ही नहीं चला कब हम दोनों झड़ गए। हम एक-दूसरे की बाहों में लिपटकर लेट गए और कब सुबह हो गई, पता ही नहीं चला। सुबह नींद खुली तो मैंने उनकी निप्पल को फिर से दबा दिया। उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया और बोलीं, “इसने बहुत मेहनत की है।” मैंने कहा, “बोल, फिर से शुरू करूँ?” वो हँसते हुए बोलीं, “बदमाश, अब भूल जा। चल, उठ, तैयार हो।”
हम बिस्तर से उठे, कपड़े पहने और कमरे से बाहर आए। तभी अंकल आ गए। उन्होंने कहा, “मेरे बिजनेस में कुछ जरूरी काम की वजह से मुझे दो दिन में ही लौटना पड़ा। अब मैं और तुम्हारी आंटी हमेशा के लिए विदेश जा रहे हैं। मेरा ऑर्डर पास हो गया है।”
दोस्तों, कैसी लगी मेरी कहानी? प्लीज, हिंदी में ही मेल करना।