बचपन के दोस्त की बीवी की चुदाई
पढ़ें एक सच्ची और हॉट सेक्स कहानी, जिसमें बचपन के दोस्त की बीवी के साथ चुदाई का रोमांचक अनुभव बताया गया है। भाभी की हवस, ग्रुप सेक्स, और रात भर की चुदाई की कहानी आपको तड़पा देगी।
मैं आप सभी को एक सच्ची और हॉट कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जो मेरे दिल को आज भी तड़पाती है। ये कहानी है मेरे बचपन के दोस्त की बीवी, यानी मेरी भाभी, की चुदाई की। मेरे और मेरे दोस्त के बीच कोई सीक्रेट नहीं था। हम साथ बड़े हुए, साथ खेले, और जब उसकी शादी हुई, तो मैं उसकी जिंदगी का हिस्सा बना रहा। शादी के बाद वो मुझे अपनी बीवी, यानी भाभी, की चुदाई की बातें बताने लगा। कैसे वो भाभी को रात भर चोदता, कैसे भाभी की सिसकारियाँ कमरे में गूँजतीं, और कैसे वो दोनों एक-दूसरे के बदन की आग में जलते। उसकी बातें सुनकर मेरा लंड तन जाता, और मैं सोचने लगता कि भाभी का वो जवानी से भरा बदन कैसा होगा, उनकी चूत की गर्मी कैसी होगी, और वो चुदवाते वक्त कैसे सिसकती होंगी।
एक दिन, हवस से भरा हुआ, मैंने अपने दोस्त से कहा, “यार, तू तो भाभी को रोज चोदता है, मेरा भी मन करता है, लेकिन मेरे पास कोई जुगाड़ नहीं।” उसने कुछ नहीं कहा, बस मुस्कराया। अगले दिन उसने मुझे चौंका दिया। बोला, “अगर तू मेरी बीवी को चोदना चाहता है, तो चोद सकता है। मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं।” मैं हैरान रह गया। मैंने पूछा, “भाभी मानेंगी क्या?” उसने कहा, “उसे ग्रुप सेक्स की स्टोरी सुनना पसंद है। मैं उसे कुछ नहीं बताऊँगा। आज रात मैं उसकी आँखों पर पट्टी बाँधकर चोदूँगा, और तू भी चुपके से चोद लेना। बाद में उसे बता देंगे कि तूने भी उसकी चूत मारी है।” उसकी बात सुनकर मेरा लंड तो पहले ही खड़ा हो गया।
रात को मैं उसके रूम में चुपके से छुप गया। भाभी आई, और उनकी सेक्सी आवाज ने मेरे बदन में आग लगा दी। वो बोली, “तुम्हारा दोस्त गया क्या?” मेरे दोस्त ने कहा, “हाँ, चला गया।” भाभी ने दरवाजा लॉक किया और बोली, “कोई हॉट ब्लू फिल्म दिखाओ ना।” मेरे दोस्त ने XXX मूवी चला दी। स्क्रीन पर नंगी बदन की चुदाई देखकर भाभी की साँसें तेज हो गईं। वो मेरे दोस्त के कपड़े उतारने लगी, और फिर अपने कपड़े भी उतार फेंके। भाभी का गोरा, नंगा बदन देखकर मेरा लंड पैंट में तूफान मचाने लगा। उनकी चूचियाँ, गोल-मटोल, और वो चिकनी चूत—हाय, मैं तो पागल हो गया।
मेरे दोस्त ने भाभी की आँखों पर काली पट्टी बाँधी और मुझे इशारा किया। मैं चुपके से पास गया। भाभी का नंगा बदन मेरे सामने था, और मेरे लंड में आग लगी थी। मेरे दोस्त ने भाभी को घोड़ी बनाया और उनकी चूत में लंड पेलना शुरू किया। भाभी सिसकारियाँ भर रही थीं, “हाय… और जोर से… चोदो मुझे…” थोड़ी देर बाद मेरे दोस्त ने अपना लंड निकाला और मुझे इशारा किया। मैंने फट से अपना मोटा लंड भाभी की गीली चूत में पेल दिया। लंड अंदर जाते ही भाभी चिहुँकी, “हाय, ये क्या? तुम्हारा लंड अचानक इतना मोटा कैसे हो गया?” मेरे दोस्त ने उनकी पट्टी खोल दी।
भाभी ने मुझे देखा, और उनकी आँखों में हवस की चमक थी। वो मुस्कराईं और बोली, “हाय, ये तो मस्त सरप्राइज है। मुझे तो दो-दो लंड चाहिए थे। आज मेरी चूत की प्यास बुझा दो, दोनों मिलकर मुझे रगड़ दो।” बस, फिर क्या था? मैं तो भाभी पर टूट पड़ा। उनकी चिकनी कमर पकड़कर मैंने लंड अंदर-बाहर करना शुरू किया। भाभी की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “हाय… और जोर से… फाड़ दो मेरी चूत…” मैं कभी उनकी चूचियाँ दबाता, कभी उनकी गांड पर थप्पड़ मारता। फिर मैंने भाभी को लेटाया और उनकी चूत को मुँह में लिया। उनकी गीली चूत की खुशबू ने मुझे और पागल कर दिया। मैंने जीभ से उनकी चूत को चाटा, चूसा, और भाभी तड़पने लगीं। वो चिल्लाईं, “हाय… अब बर्दाश्त नहीं होता… अपना मोटा लंड डाल दो… मेरी चूत को ठंडा कर दो।”
मैं भाभी के ऊपर चढ़ गया। उनका गोरा बदन मेरे नीचे था, और मैंने उनका एक चूचा मुँह में लिया। लंड उनकी चूत में पेलते हुए मैं स्वर्ग का मजा ले रहा था। मेरे दोस्त ने कहा, “मैं तो जानता था, तू ग्रुप सेक्स की स्टोरी सुनकर हॉट हो जाती है। आज तुझे चुदते देखकर मेरा लंड भी तन रहा है।” भाभी हँसी और बोली, “हर औरत चुदवाना चाहती है, बस किसी को पता न चले। अब तो मैं हर रात तुम दोनों से चुदवाऊँगी।” उस रात हमने भाभी को जमकर चोदा। मैंने उनकी चूत को रगड़ा, मेरे दोस्त ने उनकी गांड मारी। भाभी की चूचियाँ, उनकी कमर, उनकी जाँघें—हर हिस्से को हमने प्यार किया।
हमारा ये सिलसिला चल पड़ा। हर दो-तीन दिन में हम तीनों मिलकर चुदाई का खेल खेलते। भाभी की हवस बढ़ती गई। वो कभी मेरे लंड को चूसती, कभी मेरे दोस्त के लंड को। उनकी चूत हमेशा गीली रहती, और उनकी सिसकारियाँ हमें और जोश दिलातीं। लेकिन फिर एक दिन मेरे दोस्त का ट्रांसफर पुणे हो गया। भाभी और वो चले गए। अब मेरा मन तड़पता है। भाभी की वो चिकनी चूत, उनकी सेक्सी आवाज, उनकी हवस भरी आँखें—सब याद आता है। काश, वो वापस आएँ, और हम फिर वही रातें जीएँ।