Bhabhi Sexपड़ोसी की चुदाई

पड़ोसन भाभी की चुदाई की सिसकारियाँ

मेरा नाम अमन है, मैं 27 साल का हूँ, आगरा और दिल्ली से हूँ। मेरी हाइट 6 फीट है, फिजिक जबरदस्त और पर्सनैलिटी हैंडसम। अगर कोई अनसैटिस्फाइड हाउसवाइफ, औरत, आंटी या लड़की मुझसे मिलना चाहे तो बेझिझक मेरे ईमेल पर संपर्क करे।

नया पड़ोसी, नई शुरुआत

मेरे सामने वाले घर में नए किरायेदार आए। सिर्फ़ पति-पत्नी। पति बिजनेस के सिलसिले में ज़्यादातर बाहर रहते थे। मैं अकेला, वो अकेली। धीरे-धीरे हमारी बातचीत शुरू हुई। भाभी का नाम अनघा था, और वो थीं एकदम मस्त माल। गोरी, भरे हुए बदन वाली, कातिलाना अदा, और वो कर्व्स जो किसी का भी दिल धड़का दें।

एक दिन भाभी ने पूछा, “अमन, आजकल खाना कैसे बना रहे हो?”
मैंने हँसते हुए कहा, “होटल से लाता हूँ, भाभी। क्या करें, घर में कोई बनाने वाली नहीं।”
वो बोलीं, “बाहर का खाना बड़ा पसंद आ रहा है ना? चलो, आज रात मैं रोटी-सब्ज़ी भेज दूँगी।”
मैंने तुरंत मौका पकड़ा, “नहीं भाभी, अगर इतना ही प्यार है तो घर आकर रोटी बना दो। सब्ज़ी तो मैं बना लूँगा, कच्ची-पक्की।”
वो हँसीं और बोलीं, “ठीक है, मैं आके बना दूँगी।”
मेरा दिल तो बस नाच रहा था। सोचने लगा, बस यही मौका है उनके करीब आने का।

रात का खेल

रात 9 बजे भाभी अपने काम निपटाकर मेरे लिए रोटी बनाने आईं। मैंने उन्हें आटा दिया और अंदर वाले कमरे में टीवी देखने चला गया। लेकिन मेरा ध्यान तो बस भाभी पर था। मन कर रहा था कि वो बुलाएँ और मैं झट से उन्हें बाहों में भर लूँ। लेकिन डर भी लग रहा था कि कहीं गड़बड़ न हो जाए।

कुछ देर इधर-उधर चैनल बदलने के बाद मैंने Fashion TV लगा दिया। और क्या किस्मत, उस वक़्त लॉन्जरी शो चल रहा था! मैं अनजान बनकर उसे देखने लगा, और मन में सोच रहा था कि काश भाभी मुझे ये देखते हुए देख लें। चोरी-चोरी उनकी तरफ देख रहा था कि वो नोटिस करती हैं या नहीं। थोड़ी देर बाद भाभी रोटी लेकर किचन से झाँकीं, उनकी नज़र टीवी पर पड़ी। वो कभी टीवी देखतीं, कभी मुझे। मैं अनजान बना रहा। जब वो वापस किचन में गईं, मैं टीवी खुला छोड़कर किचन में चला गया।

“भाभी, मुझे भी रोटी बनाना सिखा दो ना,” मैंने कहा और उनके पास जाकर खड़ा हो गया। मेरी नज़रें उनके मस्त ब्रेस्ट पर टिकी थीं। उनके बड़े-बड़े बूब्स ऐसे हिल रहे थे जैसे मस्ती में नाच रहे हों। मैंने कहा, “अरे भाभी, आपको तो पसीना आ रहा है।” मेरी नज़र उनके बूब्स पर ही थी।

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उन्होंने एकदम से अपनी चुनरी ठीक की और बोलीं, “शैतान कहीं का!”
बस, ये सुनते ही मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैं और करीब गया और कहा, “भाभी, रोटी बनाना सिखाओ ना।” मैंने आटे को छेड़ना शुरू किया।

चिंगारी से आग

इसी छेड़खानी में मेरा हाथ उनके बूब्स को छू गया। मैंने झट से हाथ पीछे खींच लिया। वो कुछ नहीं बोलीं। मेरा लंड तो सनसनाने लगा। मैं आटे के साथ खेलता हुआ और करीब गया, इतना करीब कि मेरा लंड उनकी भारी-भरकम गांड को छूने लगा। वो फिर भी चुप रहीं। मेरी हिम्मत और बढ़ गई।

मैंने कहा, “भाभी, तुम तो बड़ी सेक्सी हो। अजय भैया तो तुम्हें बहुत खुश रखते होंगे।”
वो बोलीं, “अच्छा? तुझे सेक्सी लगती हूँ? कहाँ से?”
मैंने हँसते हुए कहा, “कहाँ-कहाँ से कहूँ, तुम तो हर जगह से हॉट हो।”
वो बोलीं, “तेरी ये चाल मुझे ठीक नहीं लगती। मैं तो घर जा रही हूँ।”
मैंने तुरंत माहौल हल्का किया, “अरे भाभी, नाराज़ हो गईं? मैं तो मज़ाक कर रहा था।”
मेरा लंड अभी भी उनकी गांड को टच कर रहा था, और रॉड की तरह खड़ा था।

वो चुपचाप रोटी बनाने लगीं। मैं उनकी गांड, कमर, बूब्स और उनके गोरे-गोरे गालों को देखता रहा। मेरा लंड तनता जा रहा था। धीरे से मैंने उनके गालों को छुआ और कहा, “भाभी, तुम्हारे गाल कितने सॉफ्ट हैं।”
वो बोलीं, “अच्छा?”
उन्होंने कुछ और नहीं कहा, तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई। मैंने उनकी कमर पर हाथ रखा और कहा, “भाभी, तुम्हारी कमर कितनी स्लिम और स्मूथ है।”

उनके मुँह से सिसकारी निकली। मैं समझ गया कि अब बात बन सकती है। मैं उनके पीछे गया, उनकी कमर पकड़ी और अपना लंड उनकी गांड के बीच में सेट कर दिया। जैसे ही लंड वहाँ टच हुआ, हमारे मुँह से एक साथ “ओह्ह्ह” की आवाज़ निकली।

आग बुझाने का समय

उन्होंने मेरी गांड पकड़ ली। मैंने भी उनकी कमर को टाइट पकड़ा और उनके गले पर किस करने लगा। वो मस्ती में डूबने लगीं, और मैं भी। मेरा लंड तो बेकाबू हो रहा था। किचन में हमारी सिसकारियाँ गूँज रही थीं, “ओह्ह… अम्म… ह्ह्ह…”

वो बोलीं, “अगर कोई आ गया तो… क्या होगा?”
मैंने कहा, “कोई नहीं आएगा, तुम चुप रहो और पास आओ।”
मैंने उनकी सलवार के ऊपर से ही उनके बूब्स दबाने शुरू किए और उन्हें कमरे में ले गया। बेड पर पटकते ही मैंने उनके होंठों पर किस शुरू कर दी। कम से कम 5 मिनट तक मैं उनके होंठ चूसता रहा। फिर उनके बूब्स को चूसने लगा।

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वो सिसकारियाँ ले रही थीं, “ओह्ह… कितना मज़ा आ रहा है… और करो ना… नीचे भी किस करो।”
उनकी चूत गीली हो चुकी थी। पैंटी नहीं थी, तो मेरी उँगली सलवार के ऊपर से ही उनकी चूत में जा रही थी। वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रही थीं, “ह्ह्ह… और चूसो… और ज़ोर से!”

मैंने नीचे की तरफ़ बढ़ते हुए उनकी चूत पर मुँह रख दिया। जैसे ही मुँह रखा, वो चिल्ला उठीं, “आह्ह… चाटो ना… ज़ोर से!” वो अपनी गांड इधर-उधर घुमाने लगीं। उनके इस मस्ती भरे अंदाज़ से मेरा लंड और सनसना रहा था।

लंड का जादू

मैंने अपनी पैंट खोली और अपना लंड उनके हाथ में दे दिया। मेरा लंड 90 डिग्री पर तन चुका था। उन्होंने लंड पकड़ा और सीधे मुँह में डाल लिया। वो उसे अंदर-बाहर करने लगीं। मैं धक्के मारने लगा। अचानक मेरे लंड से पानी निकला और उनके मुँह में चला गया। उन्होंने सारा पानी पी लिया और लंड चूसती रहीं, जब तक वो फिर से खड़ा नहीं हो गया।

इस बीच मैं अपनी पैर की उँगली से उनकी चूत रगड़ रहा था। उनका भी पानी निकल चुका था। वो लंड को मुँह में लेकर “म्म्म… स्स्स…” की आवाज़ें निकाल रही थीं। मैं भी मस्ती में था, “ओह भाभी… तुम कितनी सेक्सी हो!”

मेरा लंड फिर से तैयार था। मैंने उन्हें उठाया और उनकी चूत में एक उँगली डाल दी। वो ज़ोर से चिल्लाईं, “आह्ह… अब लंड डाल दो… और इंतज़ार नहीं होता… प्लीज़ जल्दी करो!”
उनकी चूत पूरी फूली हुई थी, जैसे पावरोटी। मैंने उन्हें मेरा लंड चूसने को कहा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया।

चुदाई का तूफ़ान

वो चिल्ला रही थीं, “तूने ये क्या कर दिया… मुझसे रहा नहीं जा रहा… जल्दी चोद दे… मेरी चूत में आग लगी है!”
वो हाँफ रही थीं, जैसे मीलों दौड़कर आई हों। मैंने उन्हें लिटाया, उनकी गांड के नीचे तकिया रखा और उनके पैर फैलाए। फिर मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रखा। जैसे ही लंड का सुपारा अंदर गया, वो चिल्ला उठीं, “नहीं… मुझे छोड़ दो… मैं मर जाऊँगी… लंड निकालो!”

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लेकिन मैंने उनकी बात अनसुनी की और एक ज़ोर का धक्का मारा। वो और ज़ोर से चिल्लाईं। मैंने उनके होंठों पर किस करके उनका मुँह बंद किया और धक्के मारता रहा। वो छटपटा रही थीं, लेकिन मैंने रुकने का नाम नहीं लिया। धीरे-धीरे मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समा गया। मैं कुछ देर उनके ऊपर ही पड़ा रहा।

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कुछ देर बाद वो शांत हुईं और मुझे गालियाँ देने लगीं, “साले, तूने ये क्या किया… लंड निकालो… मुझे नहीं चुदवाना!”
मैंने उनके बूब्स चूसने शुरू किए, उनके बालों और कानों को सहलाया। धीरे-धीरे वो फिर गर्म हो गईं।

मस्ती का चरम

मैंने धीरे-धीरे धक्के शुरू किए। पहले तो वो चिल्लाईं, लेकिन फिर बोलीं, “हाँ… बहुत मज़ा आ रहा है… और करो!”
वो मस्ती में चिल्ला रही थीं, “हाँ… मम्म… आह्ह… और ज़ोर से चोदो… मेरी चूत फाड़ दो!”
मैं अपनी स्पीड बढ़ाता गया। वो पूरी मस्ती में थीं, “हाँ राजा… ऐसे ही चोदो… और ज़ोर से… मेरी चूत को भोसड़ा बना दो!”

कुछ देर बाद उनकी चूत से पानी निकलने लगा। वो नीचे से कमर उठा-उठाकर चिल्ला रही थीं, “हाँ… और चोदो… मेरी चूत को आज मत छोड़ना!”
वो बोलीं, “मैं झड़ने वाली हूँ!”
मैं भी झड़ने के करीब था। हम 15-20 मिनट से लगातार चुदाई कर रहे थे। मैंने कहा, “हाँ भाभी, मैं भी झड़ने वाला हूँ!”

मैंने उनकी गांड पकड़ी और स्पीड बढ़ा दी। वो झड़ गईं। मैं भी कुछ देर बाद झड़ गया। वो मुझे कसकर बाहों में जकड़ लिया। मैं उनके बूब्स के ऊपर पड़ा रहा।

आखिरी बात

कुछ देर बाद हमने एक-दूसरे को साफ किया। भाभी बोलीं, “तेरे अजय भैया का तो बस 5 इंच का होगा… 2 मिनट में खेल ख़त्म। हमारी शादी को 2 साल हुए, लेकिन उनके बिजनेस की वजह से मुझे कभी इतनी खुशी नहीं मिली।”

उस रात के बाद हमने दो बार और सेक्स किया। हर बार पहले से ज़्यादा मज़ा आया। भाभी की वो सिसकारियाँ, वो मस्ती, वो चुदाई… आज भी याद आती है।