राज और निशा की हॉट कजिन सेक्स स्टोरी, जोधपुर में चुदाई का खेल
दिल्ली से जोधपुर आए 27 साल के राज की अपनी 22 साल की कजिन बहन निशा के साथ सच्ची सेक्स कहानी। सगाई के बहाने रिसोर्ट में हुई चुदाई की गर्मागर्म दास्ताँ। नशे में शुरू हुआ खेल कैसे 69 और चूत चुदाई तक पहुँचा, पढ़ें इस कामुक स्टोरी में!
हाय दोस्तों, मेरा नाम राज है। मैं दिल्ली से हूँ, लेकिन अभी जोधपुर, राजस्थान में जॉब कर रहा हूँ। ये स्टोरी मेरी और मेरी कजिन बहन निशा की है। निशा 22 साल की है और लुक्स में एकदम किलर। उसकी ब्यूटी किसी को भी पागल कर दे। अब मेरे बारे में थोड़ा सा—मेरी एज 27 है, हाइट 5 फुट 7 इंच, और मेरा लंड 7 इंच का है। ऐसा टूल जो किसी भी लड़की या औरत को फुल सैटिस्फाई कर सकता है। निशा मेरी बेस्ट फ्रेंड भी है। हम दिल्ली में जॉइंट फैमिली में साथ रहते थे। एक ही रूम में मैं, निशा, दो और कजिन बहनें, और राहुल सोते थे। सबके बेड अलग-अलग थे, लेकिन रूम एक ही था।
ये बात नवंबर की है। मेरा प्रमोशन हुआ था, और जुलाई में ट्रांसफर जोधपुर में हो गया था। उधर निशा की शादी एक बिजनेसमैन से फिक्स हो गई थी, जो अमेरिका में रहता है। फैमिली ने डिसाइड किया कि सगाई जोधपुर में और वेडिंग उदयपुर में होगी। मुझे जिम्मेदारी मिली कि जोधपुर में सारा अरेंजमेंट करूँ। सगाई 6 नवंबर को और शादी 11 नवंबर को फाइनल हुई। मैंने एक रिसोर्ट बुक किया, जिसमें 12 रूम्स थे। 1 नवंबर को सब जोधपुर पहुँच गए। टोटल 30 लोग थे, और सब अपने-अपने रूम में सेट हो गए। मेरे और निशा के लिए एक ही रूम मिला। उस वक्त तक मेरे मन में निशा के लिए कोई गलत ख्याल नहीं था।
खाना-पीना हुआ, कुछ मर्दों ने दारू पी, और फिर सब सोने चले गए। मैंने भी थोड़ा एक्स्ट्रा पी लिया था। जब रूम में पहुँचा, तो देखा निशा पिंक सिल्की नाइटी में सो रही थी। उसका हाथ सिर पर था, और चाँदनी में उसका गोरा बदन चमक रहा था। मैं बेड पर लेटा, कंबल में घुसा, और तभी मेरी नजर उसके बूब्स पर पड़ी। साँसों के साथ वो ऊपर-नीचे हो रहे थे। दारू का नशा चढ़ा हुआ था, और मेरा दिमाग घूम गया। मैंने धीरे से कंबल उठाया—उसका दूधिया रंग और सॉफ्ट स्किन देखकर मेरा लंड टाइट हो गया। जोधपुर आने के बाद से मैंने सेक्स नहीं किया था, तो जोश और बढ़ गया।
मैंने उसकी नाइटी धीरे से ऊपर की। उसने लाल ट्रांसपेरेंट पैंटी पहनी थी, साइड से थ्रेड वाली। मैं उसके पास लेट गया और पैंटी के ऊपर सूंघने लगा। उसकी खुशबू ने मुझे मदहोश कर दिया। कंट्रोल नहीं हुआ, तो मैंने पैंटी पर हल्का सा किस कर दिया। नशे में कुछ समझ नहीं आ रहा था। फिर मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाला और उसकी चूत को सहलाने लगा। जैसे ही उंगली टची, वो थोड़ा हिली और उसके मुँह से “आह्ह… इस्स्स… हम्म” की आवाज निकली। मैंने उसकी पैंटी नीचे करने की कोशिश की, तभी उसकी आँखें खुल गईं। मैं डर गया। उसने कहा, “भाई, ये क्या कर रहे हो?” मैं चुप रहा। वो हँसी और बोली, “भाई, मैं इसके लिए कब से वेट कर रही थी, पर तुमने कभी ट्राई ही नहीं किया।”
ये सुनते ही मैं उसके ऊपर चढ़ गया। उसके लिप्स पर किस स्टार्ट की, उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा। हमारी जीभ आपस में टकराने लगी, और हम एक-दूसरे को पागलों की तरह चूम रहे थे। थोड़ी देर बाद हम अलग हुए। निशा की साँसें गर्म थीं। मैं उसके गाल, फिर गर्दन चूमने लगा। वो “आह्ह… ओह्ह… इस्स्स” की सिसकियाँ ले रही थी। मैंने उसकी नाइटी उतारी। अब वो सिर्फ लाल ब्रा और पैंटी में थी। उसकी जवानी देखकर मैं कंट्रोल खो बैठा। उसके गले को चूमा, ब्रा के ऊपर से निप्पल्स को चाटा। वो बोली, “आह्ह भाई, बहुत अच्छा लग रहा है।”
मैंने उसकी ब्रा उतारी। गुलाबी निप्पल्स देखकर मैंने एक को जीभ से रगड़ा, दूसरा दबाया। वो सिसकियाँ लेने लगी, “आह्ह भाई, चाटो मत, चूसो… मुँह में भर लो… आह्ह… चूसो ना… बहुत मजा आ रहा है।” मैं निप्पल्स चूसने और हल्के-हल्के काटने लगा। वो बोली, “और काटो… आह्ह… बस जोर से मत।” फिर मैंने उसकी बगल को चाटा, वो पागल हो गई। उसकी नाभि पर जीभ फेरी, फिर उसे उल्टा लिटाया। अपने कपड़े उतारे, उसकी गांड पर बैठ गया, और उसकी कमर को चाटने लगा। उसकी पीठ से गला तक चाटा। वो चिल्लाई, “आह्ह… ओह्ह… भाई, चाट साले… इतने दिन कहाँ था? चाट… आह्ह।”
उसकी आवाज से मैं और जोश में आ गया। उसकी पैंटी के ऊपर से गांड को हल्के से काटा। वो बोली, “ऊउच… साले बहनचोद, काट क्या रहा है? चूस साले… बहन की गांड चाट… आह्ह… बहुत तड़पाया तूने। तेरे नाम से चूत की आग बुझाई, आज बुझा दे।” मैंने उसकी पैंटी उतारी, गांड फैलाई, और छेद को चाटा। वो कंट्रोल नहीं कर पाई, मुझे धकेला, और मेरे ऊपर चढ़ गई। हम 69 पोजीशन में आ गए। वो मेरा लंड चूस रही थी, और मैं उसकी चूत चाट रहा था।
थोड़ी देर बाद वो बोली, “आह्ह राज… चाट साले… और चाट… मैं झड़ने वाली हूँ… आह्ह… मैं गईईई!” उसकी चूत से फव्वारा निकला, जो मेरे मुँह में भर गया। मैं भी झड़ गया, और उसने मेरा सारा रस पी लिया। वो बोली, “आह्ह साले, आज तूने मेरी चूत की खुजली मिटा दी। अब पेल दे अपनी निशा को।” उसने मेरा लंड पकड़ा, चूसा, और बोली, “हम्म… साले, क्या लंड है तेरा… झड़ने के बाद भी खड़ा है।”
मैंने उसे लिटाया, गांड के नीचे तकिया लगाया, जिससे उसकी चूत फैल गई। लंड उसकी चूत पर रगड़ा। वो मस्ती में बोली, “डाल ना साले… मत तड़पा… पेल दे।” उसने मेरा लंड पकड़कर अंदर डाला। मैंने हल्के से धक्का मारा, उसने गांड उठाई, और मेरा पूरा लंड अंदर चला गया। मैं धीरे-धीरे चोदने लगा। उसने मुझे कसकर पकड़ा, मेरा सिर अपने बूब्स पर दबाया, और बोली, “आह्ह… वाउ… चोद साले… आह्ह… इस्स्स।” 20 मिनट चुदाई के बाद वो बोली, “आह्ह… चोद… मैं झड़ने वाली हूँ… और जोर से… आह्ह… मैं झड़ी!”
मैंने कहा, “साली, मैं भी झड़ने वाला हूँ।” वो बोली, “अंदर डाल दो, कोई टेंशन नहीं।” मैंने जोर से पकड़ा और सारा पानी उसकी चूत में डाल दिया। फिर उसके ऊपर लेट गया। निशा बोली, “राज भाई, क्या बात है? आज तूने मेरी बरसों की आग शांत कर दी।” हम दोनों एक-दूसरे की बाहों में सो गए।