पड़ोस की सुधा आंटी के साथ कामुक रात की सच्ची कहानी
पढ़ें दीपक और पड़ोस की सेक्सी सुधा आंटी की सच्ची और रोमांचक कामुक कहानी। कैसे मस्ती भरी दोस्ती ने लिया हॉट और इंटिमेट मोड़, और कैसे एक रात ने बदली उनकी ज़िंदगी।
हाय दोस्तों, HSS के सभी प्यारे रीडर्स को मेरा दिल से नमस्ते। मेरा नाम दीपक है (नाम बदला हुआ), और मैं आज अपनी ज़िंदगी की एक ऐसी कहानी आपके सामने ला रहा हूँ, जो न सिर्फ़ सच्ची है, बल्कि इतनी कामुक और रोमांचक है कि आपके दिल की धड़कनें तेज़ हो जाएँगी। मैं 30 साल का हूँ, अहमदाबाद का रहने वाला, और पिछले कुछ महीनों से यहाँ की सेक्सी स्टोरीज़ पढ़ रहा हूँ। हर कहानी में वो जज़्बात, वो आग, वो ख्वाहिशें थीं, जिन्होंने मुझे अपनी कहानी शेयर करने के लिए मजबूर कर दिया। मैंने सोचा, क्यों न अपनी स्टोरी को हिंदी में लिखूँ, ताकि मेरे दोस्त और आप सब इसे दिल से फील कर सकें। तो चलिए, शुरू करते हैं…
ये बात 6 साल पुरानी है, जब मैं 24 साल का था। मेरे पड़ोस में एक आंटी रहती थीं, जिनका नाम सुधा था। सुधा आंटी 40 साल की थीं, लेकिन उनकी खूबसूरती और वो सेक्सी अदा ऐसी थी कि कोई भी जवान लड़का उनके सामने बेकाबू हो जाए। उनका फिगर, वो टाइट साड़ी में ढला हुआ जिस्म, और वो गहरी आँखें… हाय, बस देखते ही दिल में आग सी लग जाती थी। उनके तीन बेटे थे—दो बाहर रहते थे, और एक उनके साथ, जो जॉब करता था। उनके हसबैंड की उम्र 60 के आसपास थी, और वो भी जॉब में व्यस्त रहते थे।
शुरुआत में मेरा आंटी के साथ ज़्यादा बातचीत नहीं थी। मैं उनके घर जाता था, उनके बेटे से मिलने, लेकिन धीरे-धीरे मेरी और आंटी की दोस्ती गहरी हो गई। हम दोनों में मस्ती भरी बातें होने लगीं। मैंने कभी आंटी को गलत नज़र से नहीं देखा था, लेकिन उनकी वो हँसी, वो खिलखिलाहट, और वो चुलबुला अंदाज़ मेरे दिल को छूने लगा। मेरा एक दोस्त अशोक भी उनके घर आता था, और उसे हमारी मस्ती बिल्कुल पसंद नहीं थी। वो हमें टोकता, जलता, और हम दोनों उसकी जलन का मज़ा लेते। जब भी अशोक आता, मैं और आंटी जानबूझकर एक-दूसरे के करीब आ जाते, कभी हल्की-फुल्की सेक्सी बातें करते, और उसे चिढ़ाते। ये सब मज़ाक में शुरू हुआ, लेकिन धीरे-धीरे मेरे दिल में आंटी के लिए कुछ और ही जज़्बात जागने लगे।
एक दिन की बात है, मैं और आंटी उनके घर पर बैठे गप्पें मार रहे थे। तभी अशोक आ गया। उस दिन आंटी कुछ ज़्यादा ही मूड में थीं। अशोक को देखते ही वो मेरे पास चिपक गईं, और मेरे कंधे पर हाथ रखकर हँसने लगीं। मैं तो चौंक गया, लेकिन समझ आया कि वो बस अशोक को जलाने के लिए ऐसा कर रही थीं। फिर आंटी ने अशोक के सामने कुछ ऐसा कहा, जिसने मेरे होश उड़ा दिए। उन्होंने मज़ाक में बोल दिया, “अरे, हम दोनों तो बाथरूम में बिना कपड़ों के नहा रहे थे!” ये सुनकर मेरा दिमाग़ सन्न हो गया। आंटी इतनी ओपनली कैसे बोल सकती थीं? उनकी बातों ने मेरे जिस्म में एक अजीब सी गर्मी भर दी। मेरा लंड पैंट में तन गया, और पहली बार मुझे आंटी के लिए वो कामुक आकर्षण महसूस हुआ।
उस दिन के बाद मैं आंटी के साथ और ज़्यादा ओपन होने लगा। उनकी हर अदा, हर बात में मुझे उनकी सेक्सी साइड दिखने लगी। मैंने मन ही मन सोच लिया कि किसी भी तरह आंटी को अपने करीब लाना है। लेकिन डर भी था—क्या पता वो मेरी बात को गलत समझ लें? फिर भी, हिम्मत जुटाकर मैंने एक दिन मौका देखा। शाम का वक़्त था, मैं और आंटी अकेले थे। मैंने धीरे-धीरे बात शुरू की और अचानक बोल पड़ा, “आंटी, मैंने आज तक किसी लड़की को छुआ तक नहीं। मैंने कभी नहीं देखा कि लड़की की बॉडी, उसके बोब्स, उसकी चूत… वो सब कैसा होता है।” आंटी ने हँसते हुए कहा, “क्या झूठ बोल रहा है? तूने सचमुच कुछ नहीं देखा?” मैंने मासूमियत से कहा, “आंटी, आपकी कसम, मैं आज तक इसके लिए तरस रहा हूँ।”
आंटी चुप हो गईं, लेकिन उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। मैंने मौका देखकर कहा, “आंटी, आप मेरी ये ख्वाहिश पूरी कर सकती हैं।” वो बोलीं, “वो कैसे?” मैंने हिम्मत करके कहा, “आंटी, आप इतनी खूबसूरत हैं। प्लीज़, मुझे अपने बोब्स दिखा दें, बस एक बार।” आंटी ने तुरंत मना कर दिया, “ये क्या बकवास है, दीपक? ऐसा नहीं हो सकता।” मैंने ज़िद पकड़ ली, “आंटी, प्लीज़, मैं सिर्फ़ देखना चाहता हूँ, और कुछ नहीं करूँगा। अगर आप नहीं मानेंगी, तो मैं आपसे कभी बात नहीं करूँगा, ना आपके घर आऊँगा।” आंटी सोच में पड़ गईं। थोड़ी देर बाद बोलीं, “ठीक है, मैं सोचकर कल बताऊँगी।”
उस रात मेरी आँखों में नींद नहीं थी। मैं बस सुबह का इंतज़ार करता रहा। सुबह होते ही मैं नहा-धोकर, फ्रेश होकर आंटी के घर पहुँच गया। आंटी उस वक़्त फर्श पर पोछा लगा रही थीं। उनकी साड़ी गीली थी, और वो टाइट ब्लाउज़ में उनके बोब्स साफ़ नज़र आ रहे थे। मैंने कहा, “आंटी, ये क्या, आप अभी तक रेडी नहीं हुईं?” वो चुप रहीं। मैं उनके पास गया और बोला, “प्लीज़ आंटी, मुझे दिखा दें।” आंटी ने फिर मना किया, लेकिन मैंने उनकी बात अनसुनी कर दी। मैंने धीरे से उनकी साड़ी पकड़ी और पेटीकोट समेत ऊपर उठा दी। आंटी रोकने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन मेरी ख्वाहिश के आगे उनकी एक न चली।
जब मेरी नज़र उनकी चूत पर पड़ी, तो मेरे जिस्म में करंट सा दौड़ गया। वो गुलाबी, हल्की गीली चूत… हाय, मैं तो बस पागल हो गया। आंटी बोलीं, “दीपक, दरवाज़ा खुला है, कोई आ जाएगा।” मैंने फटाफट जाकर दरवाज़ा बंद किया और वापस आकर आंटी के पास बैठ गया। मैंने उनका पेटीकोट फिर से ऊपर उठाया और उनकी चूत को चाटने लगा। उसकी खुशबू, उसका स्वाद… मैं तो जैसे जन्नत में था। आंटी की सिसकारियाँ शुरू हो गईं। मैंने अपना लंड पैंट से निकाला और आंटी से कहा, “प्लीज़, इसे अपनी चूत में डाल दें।” आंटी ने पहले तो हिचकिचाया, लेकिन फिर मेरे तने हुए लंड को पकड़कर अपनी गीली चूत में डाल दिया।
जैसे ही मेरा लंड उनकी चूत में गया, मुझे ऐसा लगा जैसे मैं किसी और दुनिया में पहुँच गया। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए, और आंटी की मादक सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूँजने लगीं। “आह… दीपक… और ज़ोर से…” वो बार-बार कह रही थीं। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, और कुछ ही मिनटों में मेरा पानी निकल गया। मैंने आंटी को थैंक्स कहा, और उन्होंने मेरे गाल पर एक गहरा सा किस किया। बोलीं, “ये बात किसी को मत बताना, वरना हम दोनों की बदनामी हो जाएगी।” मैंने हँसकर कहा, “आंटी, मेरा मुँह बंद है।”
उस दिन के बाद हमारा रिश्ता और गहरा हो गया। करीब दो साल तक हमने खूब मज़े किए। कभी उनके घर, कभी मेरे घर, कभी रात में, कभी दिन में… हर पल कामुकता से भरा हुआ था। लेकिन फिर किसी वजह से हमारा अफेयर सबको पता चल गया, और हमें अपने रास्ते अलग करने पड़े।
तो दोस्तों, खासकर मेरी प्यारी आंटीज़, अगर आपको मेरी ये कामुक कहानी पसंद आई हो, तो मुझे ज़रूर बताएँ। अगर कोई मेरे साथ अपनी ख्वाहिशें शेयर करना चाहे, तो मेरा मेल हमेशा खुला है। बस इतना याद रखें—प्यार और सेक्स में कोई उम्र की सीमा नहीं होती, बस दिल और जिस्म का मेल होना चाहिए।