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12वीं क्लास के स्टूडेंट और ट्यूशन टीचर रेनू दीदी की हॉट सेक्स स्टोरी

पढ़ें एक सच्ची सेक्स स्टोरी जिसमें 12वीं क्लास का स्टूडेंट विनय अपनी ट्यूशन टीचर रेनू दीदी के साथ हॉट और रोमांचक पलों को साझा करता है। ट्यूशन के बहाने शुरू हुई यह कहानी कैसे चुदाई तक पहुंची, जानें इस कामुक अनुभव को।

हाय! दोस्तों, मेरा नाम विनय है और मैं इलाहाबाद का रहने वाला हूँ। मैं इस वेबसाइट का नियमित पाठक हूँ।
आज मैं भी अपना सेक्स अनुभव आपके साथ साझा करने जा रहा हूँ।

बात उस समय की है जब मैं 12वीं कक्षा में था। मैं ट्यूशन पढ़ने एक दीदी के पास जाता था, उनका घर मेरे घर से थोड़ी दूरी पर था। तो हर दिन मैं साइकिल से उनके घर जाता था।
जो दीदी मुझे ट्यूशन पढ़ाती थीं, उनका नाम रेनू था और उनकी हाइट करीब 5.2 इंच होगी। उनका रंग सांवला था और उनके बूब्स काफी बड़े थे। वो हमेशा पटियाला सलवार सूट पहनती थीं, तो उनके बूब्स बाहर की ओर साफ दिखते रहते थे।
उन्होंने ग्रेजुएशन पूरा कर लिया था और उनके घरवाले उनके लिए लड़का ढूंढ रहे थे। मैं उनकी गांड के साइज का दीवाना था।

वो मुझे अकेले अपने बेडरूम में ट्यूशन पढ़ाती थीं। वो बेड पर बैठती थीं और मुझे कुर्सी पर बैठने को कहती थीं। मैं मन लगाकर पढ़ता था, लेकिन जब वो टॉयलेट करने जाती थीं, तो मेरा लंड खड़ा हो जाता था।
वो मुझे “बाबू, बाबू” कहकर बुलाती थीं। रोज मेरी क्लास मजेदार तरीके से चल रही थी। हम अक्सर फिल्मों की बात करते थे, फैशन की बात करते थे। उनके पास अक्सर फोन कॉल्स आते रहते थे। उनका एक बॉयफ्रेंड था, जो शादीशुदा था और उसके बच्चे भी थे, लेकिन वो फोन पर उसी से बातें करती थीं।

एक दिन की तरह जब मैं उनके साथ पढ़ रहा था, तभी उनका फोन कॉल आया और वो मुझे कुछ सवाल देकर चली गईं।
जब मैंने सारे सवाल पूरे कर लिए, तो मैंने उन्हें आवाज दी, लेकिन कोई जवाब नहीं आया।
मैं थोड़ी देर बैठा रहा और फिर अंदर जाकर देखा तो कोई नहीं था। वहां से आते वक्त मैंने देखा कि टॉयलेट का दरवाजा खुला था और “स्सी स्सी” की आवाजों के साथ रेनू दीदी की फोन पर बात सुनाई दे रही थी।
मैंने अंदर झांककर देखा तो दंग रह गया। रेनू दीदी अपनी सलवार में एक हाथ डालकर उंगली कर रही थीं और अजीब-अजीब से चेहरे बना रही थीं। मुझे देखकर वो डर गईं और अपना हाथ बाहर निकालकर गुस्से से बोलीं, “तुम्हें सवाल दिए थे न?”
मैंने कहा, “हां, हो गए।” तो वो बोलीं, “चलो, वहां बैठो, मैं आती हूँ।”

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कुछ देर बाद वो आ गईं।
फिर बार-बार पूछने लगीं, “तुमने क्या देखा?” मैं मना करता रहा, लेकिन उन्होंने मुझसे मुंह खुलवा ही लिया।
मैंने कहा, “आप सलवार में खुजली कर रही थीं।” वो हंसने लगीं।
वो जोश में थीं। तभी मेरे सवाल चेक करने लगीं। कुछ सवाल गलत थे। उन्होंने कहा, “डैड को बता दूंगी।” मैं माफी मांगने लगा, बोला, “अब से आप जो कहेंगी, वो करूंगा, बस इस बार छोड़ दो।” उन्होंने मुझसे वादा करवाया कि किसी को नहीं बताऊंगा।
मैंने वादा कर दिया। फिर उन्होंने कहा, “अगर डैड से बचना है तो जैसा कहती हूँ, वैसा करो।”
मेरे “ओके” बोलते ही वो अपने बेड पर घोड़ी बन गईं और सलवार खोलकर अपनी गांड मेरी तरफ कर दी।

मेरा लंड एकदम टाइट हो गया था। उन्होंने कहा, “पैंटी नीचे करो।” मैंने पैंटी नीचे की और देखा कि उनकी फटी हुई काली चूत से रस टपक रहा था।
और चूत के साइड में बाल थे।
मैंने बिना देर किए उनकी चूत में अपना मुंह डालकर चूसना शुरू कर दिया।
वो घोड़ी बनी हुई थीं और अपना सिर तकिए में छिपा लिया था। उनकी बड़ी गांड, ओह गॉड, मैं चूत को चाट रहा था। वो बोल रही थीं, “चाट ले बाबू, तेरी दीदी की जवानी।”
मैं उनकी चूत चाटते जा रहा था और वो अजीब-अजीब से चेहरे बना रही थीं।
तभी वो अपना रस छोड़ने लगीं और मैं धीरे-धीरे करके पीता गया।
वो थक चुकी थीं। बोलीं, “बस हो गया, अब नहीं।”
लेकिन मुझे तो जोश चढ़ा था। मैं उनके साइड में लेट गया और अपनी बीच वाली उंगली उनकी गांड में डाल दी। वो “आह, औच” की आवाजें करने लगीं।
मेरी एक उंगली उनकी गांड की गहराइयों में थी और मैं उन्हें स्मूच कर रहा था।
कभी उनकी जीभ चूसता, तो कभी उनके मुंह में थूक देता।
मेरा लंड 7 इंच का और 2.5 इंच मोटा था। जैसे ही मैंने निकाला, वो पागलों की तरह हिला-हिलाकर चूसने लगीं।
उनके बाल खुल चुके थे और वो एकदम नंगी थीं।

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फिर मुझे शावर में चोदने का आइडिया आया। हम उनके बाथरूम में गए। मैंने उन्हें अपनी एक टांग वॉल टैप पर रखने को कहा। उन्होंने एक टांग वॉल टैप पर रखी और मैं उनके नीचे से आकर एक बार फिर उनकी चूत चाटने लगा जोरों से। वो थक चुकी थीं। फिर अचानक चूत चाटते वक्त उनकी टॉयलेट निकल गई।
मैंने गुस्से में उन्हें नीचे पटककर टांगें फैला दीं और एकदम जोर से उनकी चूत पी गया। उनकी “आह” निकल गई।
फिर अपना 7.2 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा। वो जोश से सिसकियां भर रही थीं और अपने होंठ चबा रही थीं।
तभी झटके से मैंने अपना लंड एक बार में अंदर डाल दिया।
वो चिल्लाईं, “आह… बाबू… उम्… ऊई माँ… कितना मोटा है, बस… उम्…”
लंड का सुपाड़ा अंदर था और उनकी आंखों से आंसू आ रहे थे।
तभी दूसरा झटका मारा और लंड उनकी बच्चेदानी से जाकर टकरा गया। वो पागल हो गईं और चिल्लाने लगीं। तभी मैंने झटके मारना शुरू कर दिया। मेरा लंड उनकी चूत को चीरते हुए उनके पेट तक जा रहा था और मैंने उनके दोनों हाथों को कसकर पकड़ रखा था। धीरे-धीरे उन्हें मजा आने लगा। वो फुल मूड में ठुकवाने लगीं।

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मैंने उनके दोनों हाथ छोड़ दिए। अब मेरा लंड उन्हें जोर से चोद रहा था और वो अपनी चूत ऊपर से रगड़ रही थीं। अंदर-अंदर चूत की गहराइयों तक जा रहा था। “सट सट सट सट सट सट सट” की आवाजें आ रही थीं। फिर उनकी आवाज आती, “ऊई माँ… मर गई।”
मुझे उनके बदन की खुशबू मदहोश कर रही थी। फिर चोदते-चोदते मैं उनके बूब्स पीने लगा। वो पागल हो गईं। बोलीं, “और ठोको, मैं झड़ने वाली हूँ… आह… बाबू… उम्…” फिर जब वो झड़ने वाली थीं, तो मैंने जोर का झटका लगाया और वो झड़ गईं। थोड़ी सी ब्लीडिंग भी हुई।
लेकिन मैं ठहरा पैदाइशी कमीना, इतनी जल्दी झड़ने वाला नहीं था। मैंने लंड उनकी गांड में डाला और 8-10 झटकों के साथ सारा पानी उनकी गांड में ही छोड़ दिया।

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फिर हम लोग कुछ देर तक सोए रहे। फिर मैं घर चला गया। अगले दिन मुझे शर्मिंदगी हो रही थी उनके सामने जाने में, लेकिन मैं गया। वो भी शर्म से पानी-पानी हो रही थीं।
अगले दिन से पढ़ाई की बात कम और चुदाई की बात ज्यादा होने लगी। बात करते-करते जब जोश चढ़ता, तो रोज अलग-अलग स्टाइल से चुदाई कर देता और कुछ ट्रिक्स और स्टाइल का इन्वेंशन करता था।

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