Aunty Sex Story

प्यासी आंटी की चुदाई की सच्ची दास्तान

मैं आज आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूँ जो न सिर्फ सच्ची है, बल्कि इतनी सेक्सी और हॉट है कि आपके दिल की धड़कनें तेज हो जाएँगी। ये कहानी है एक प्यासी आंटी की, जिसकी आँखों में हवस की चमक और जिस्म में आग की तपिश थी। तो चलिए, शुरू करते हैं इस हसीन और नशीली दास्तान को, हिंदी में, जिसमें हिंग्लिश का तड़का और सेक्सी अंदाज़ बरकरार रहेगा।

मेरा नाम राहुल है। उम्र 24 साल, हाइट 5.8 इंच, और लुक्स ऐसे कि लड़कियाँ एक बार नज़र हटा नहीं पातीं। मैं सूरत में रहता हूँ, लेकिन दो साल पहले एक मार्केटिंग की जॉब के सिलसिले में मुझे मुंबई जाना पड़ा। वहाँ मुझे दो महीने रुकना था। मैं अपने एक दोस्त के रिश्तेदार के घर पेइंग गेस्ट बनकर रहने लगा। उस घर में मिस्टर रंजीत सिंह, उम्र 48 साल, उनकी वाइफ मिसेज़ पिंकी सिंह, उम्र 42 साल, और उनकी बेटी रूपा थी, जो कॉलेज में पढ़ती थी और हॉस्टल में रहती थी। जब मैं वहाँ पहुँचा, तो सिर्फ़ अंकल और आंटी ही घर पर थे।

मुझे एक कमरा मिला, जिसमें मेरा सारा सामान और एक अलमारी थी। शुरू में मैं बहुत शर्माता था। लेकिन धीरे-धीरे बातचीत बढ़ी, और मैं उनके साथ घुल-मिल गया। आंटी का खाना तो ऐसा था, मानो घर का स्वाद हो। अंकल का स्वभाव भी बड़ा प्यारा था। मेरा रूटीन था—सुबह 10 बजे ऑफिस, शाम 7 बजे घर, फिर सब साथ खाना खाते और मैं सोने चला जाता।

लेकिन एक बात मुझे हमेशा खटकती थी। आंटी की नज़रें… वो मुझे ऐसे देखती थीं, जैसे उनकी आँखों में कोई भूख हो। उनकी नज़रें मेरे जिस्म पर रेंगती थीं, और मेरे बदन में सिहरन सी दौड़ जाती थी। वो 42 की थीं, लेकिन उनका फिगर… हाय! थोड़ा सा भरा हुआ, लेकिन इतना टाइट कि कोई नहीं कह सकता था कि वो एक बेटी की माँ हैं। उनके कर्व्स, उनकी चाल, और वो मुस्कान… सब कुछ ऐसा कि मेरा दिल धड़कने लगता। शुरू में मुझे शर्म आती थी। जब वो मुझे देखतीं, मैं नज़रें झुका लेता। कभी-कभी तो अंकल के सामने भी वो मुझे ताड़ती रहतीं, और मैं डर जाता।

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वो बातें इतनी प्यारी करती थीं कि मैं उनके करीब खिंचता चला गया। घर में कोई पाबंदी नहीं थी—किचन में जाओ, कुछ भी खाओ, कोई टोकने वाला नहीं। एक दिन शाम को मैं ऑफिस से लौटा। आंटी ने दरवाज़ा खोला। मैं फ्रेश होकर सोफे पर बैठ गया। अंकल घर पर नहीं थे। मैंने पूछा, “अंकल कहाँ गए?” आंटी ने मुस्कुराते हुए कहा, “वो अपने दोस्त के बेटे को देखने हॉस्पिटल गए हैं। आज रात वहीं रुकेंगे।” फिर वो बोलीं, “मैं उन्हें खाना देकर आती हूँ।”

मैं जल्दी से हॉस्पिटल पहुँचा, अंकल को टिफिन दिया, थोड़ी देर रुका और खाली टिफिन लेकर घर लौट आया। भूख के मारे बुरा हाल था। घर पहुँचते ही मैंने और आंटी ने साथ में खाना खाया। फिर मैं टीवी देखने लगा, और आंटी अपने काम में लग गईं। लेकिन उनकी नज़रें… बार-बार मेरी तरफ़ उठ रही थीं। वो प्यासी, हवस भरी नज़रें… मेरे दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं। अचानक वो मेरे पास आकर सोफे पर बैठ गईं। उन्होंने सलवार पहनी थी, लेकिन दुपट्टा नहीं। उनके कर्व्स साफ़ दिख रहे थे।

थोड़ी देर बाद वो बोलीं, “बेटा, दूध पियोगे?” मैंने कहा, “हाँ, आंटी।” वो हँसते हुए किचन में चली गईं। मुझसे रहा नहीं गया। मैं भी पीछे-पीछे किचन में गया। वो दूध गर्म कर रही थीं। मुझे देखकर वो मुस्कुराईं और अपनी जीभ होठों पर फेरने लगीं। मेरे अंदर की आग भड़क उठी। मैंने हिम्मत की और उनके पास गया। धीरे से अपने दोनों हाथ उनकी गोल-मटोल, रसीली गांड पर रख दिए और उन्हें अपनी तरफ़ खींच लिया।

वो शरमाते हुए बोलीं, “बेटा, ये क्या कर रहे हो?”
मैंने कहा, “कुछ नहीं, आंटी।”
वो मुझे धक्का देकर अलग हुईं और बोलीं, “शर्म करो, मैं तुमसे उम्र में इतनी बड़ी हूँ।”
मैंने हिम्मत दिखाई और कहा, “तो रोज़ मेरी तरफ़ ऐसी नज़रों से देखते वक़्त आपको शर्म नहीं आती?”

वो चुप हो गईं। मैं फिर उनके करीब गया और उन्हें ज़ोर से पकड़कर चूमने लगा। उनके होठों का स्वाद… हाय, जैसे शहद में डूबी मिठास। वो धीरे-धीरे मेरी बाहों में पिघलने लगीं। मैंने उनके कपड़े उतारने शुरू किए। पहले वो “ना-ना” करती रहीं, लेकिन फिर वो खुद ही अपने कपड़े उतारने लगीं।

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मैंने कहा, “चुदवाना है तो नखरे क्यों करती हो?”
वो बोलीं, “आज से पहले मैंने अंकल के सिवा किसी और से नहीं चुदवाया।”
मैंने हँसते हुए कहा, “एक बार मेरा लंड ले लोगी, तो किसी और से नहीं माँगोगी।”

ये सुनकर वो पागल हो गईं। उन्होंने मेरी पैंट उतार दी। जैसे ही मेरा लंबा, मोटा लंड देखा, उनकी आँखें चमक उठीं। दोनों हाथों से उसे पकड़कर चूमने लगीं। बोलीं, “बरसों से इसी लंड का इंतज़ार था मुझे।” फिर तो वो पागलों की तरह मेरा लंड चूसने लगीं। एक 42 साल की औरत, मेरे लंड को मुँह में लेकर ऐसे चूस रही थी, जैसे कोई जवान लड़की। मुझे तो मज़ा ही आ गया।

फिर मैंने उन्हें सोफे पर लिटाया। मेरी उंगलियाँ उनकी गीली, गरम चूत में डालकर हिलाने लगा। वो तो पागल हो गईं। अपनी गांड ऊपर उछाल-उछालकर मज़े लेने लगीं। चिल्लाने लगीं, “अब डाल दे… तेरा लंड मेरी चूत में डाल दे… फाड़ दे इसे आज!”

मैं भी जोश में आ गया। मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रखा और रगड़ने लगा। फिर धीरे-धीरे अंदर डाला। वो तो स्वर्ग के मज़े ले रही थीं। अपनी गांड उछाल-उछालकर मेरा लंड ले रही थीं और चिल्ला रही थीं, “चोद… ज़ोर-ज़ोर से चोद… फाड़ दे मेरी चूत… बहुत मज़ा आ रहा है… सारी रात चोद मुझे!”

मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारता रहा। थोड़ी देर बाद वो शांत हो गईं। मैंने पूछा, “क्या हुआ?”
वो बोलीं, “बस थक गई।”
मैंने हँसकर कहा, “इतने में थक गई? अभी तो तू सारी रात चुदवाने की बात कर रही थी।”
वो बोली, “वो तो मैं जोश में थी।”
मैंने कहा, “मैं तो अभी भी जोश में हूँ। चल, आज तेरी गांड भी मार लूँ। बडी मस्त है तेरी गांड।”

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वो बोली, “नहीं बेटा, बहुत दर्द होगा।”
मैंने कहा, “एक बार गांड मरवा ले, फिर देख कितना मज़ा आएगा।” मैंने उन्हें ज़ोर से पकड़कर उल्टा लिटाया और उनकी गांड में लंड डालने लगा। पहले वो चीखीं, लेकिन फिर मज़े लेने लगीं। अपनी गांड ऊपर उठा-उठाकर मरवाने लगीं।

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मैंने कहा, “देख, कितना मज़ा आ रहा है।”
वो बोली, “हाँ बेटा, तेरे अंकल ने आज तक मेरी गांड नहीं मारी। तू पहला है जिसे मेरी ये गांड नसीब हुई।”

ये सुनकर मेरा लंड और सख्त हो गया। मैं उनकी गांड में ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। थोड़ी देर बाद मेरा पानी उनकी गांड में निकल गया। उनकी गांड मेरे पानी से भर गई। मैं थोड़ी देर उनकी गांड पर ही लेट गया। उस रात हम दोनों नंगे, एक-दूसरे से चिपककर सो गए।

सुबह उठे तो साथ में बाथरूम में नहाए। वहाँ भी मैंने उन्हें एक बार चोदा। वो पूरी तरह तृप्त हो चुकी थीं। उन दो महीनों में मैंने उन्हें कई बार चोदा। जब भी अंकल मार्केट या कहीं बाहर जाते, वो नंगी होकर मेरे पास आ जाती। मैं कहता, “इतनी बड़ी होकर घर में नंगी घूमती हो?”
वो हँसकर कहती, “बड़े बच्चे नंगे ही घूमते हैं।”

ये कहानी बिल्कुल सच्ची है। इसके बाद मैं आपको मेरी दूसरी कहानी सुनाऊँगा। तब तक के लिए… बाय!