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जयपुर में साली बिल्लो की चुदाई का रोमांस

मैं महेश, 25 साल का, जयपुर, राजस्थान का रहने वाला। दोस्तों, मेरी शादी को दो साल हो चुके हैं, और आज जो कहानी मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ, वो एक साल पुरानी है। ये कहानी मेरी साली “बिल्लो” की है। उसका असली नाम तो मैं नहीं बताऊँगा, पर सब उसे प्यार से “बिल्लो” ही बुलाते हैं। तो यारों, पहले ये बता दूँ कि मेरी शादी सियालकोट में हुई है, यानी मेरा ससुराल वहाँ है।

ये उन दिनों की बात है जब मेरी वाइफ प्रेग्नेंट थी। मेरी माँ बूढ़ी हैं, कमजोर हैं, और मैं घर में अकेला बेटा हूँ। मेरे ससुराल वालों ने कहा कि उनके यहाँ रिवाज है कि लड़की का पहला बच्चा मायके में ही होता है। मैंने कहा, “ठीक है, अच्छा है। वहाँ उसका ज्यादा खयाल रखा जाएगा।” आखिर वहाँ मेरी पाँच सलियाँ थीं, और मेरे घर में माँ के सिवा कोई नहीं।

लेकिन मेरी वाइफ नहीं मानी। बोली, “यहाँ आपके और माँ के खयाल का क्या होगा? आपको अकेले कैसे छोड़ दूँ?” मैंने कहा, “कोई बात नहीं, थोड़े दिन की बात है, मैं मैनेज कर लूँगा।” मगर वो टस से मस नहीं हुई। फिर मेरी सास ने कहा, “कोई बात नहीं, हम इसका इंतजाम कर देते हैं। बिल्लो को अपने साथ ले जाओ, वो सारे काम संभाल लेगी।” मेरी वाइफ को ये बात जँच गई। उसने कहा, “हाँ, ये ठीक रहेगा।”

तो दोस्तों, बिल्लो मेरे साथ जयपुर आ गई। अब मैं असल कहानी पर आता हूँ। आप लोगों को शायद बोर कर दिया, लेकिन अब सुनो, असली मसाला शुरू होता है!

बिल्लो को आए और मेरी वाइफ को गए बस एक दिन हुआ था। उस रात मेरी नींद हराम हो गई। जब भी मैं करवट बदलता, मुझे अपनी वाइफ की कमी खलती। शादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ था कि मैं बिना उसकी बाहों में सोया। उसकी गर्माहट, उसका मुलायम जिस्म, वो सब मुझे याद आ रहा था। रात कट ही नहीं रही थी। आदत जो थी, उससे चिपक कर सोने की।

अचानक मैं उठा और कमरे से बाहर निकला। सामने वाले कमरे में बिल्लो सो रही थी। खुदा की कसम, मैं गलत नीयत से नहीं गया था। बस सोचा, देखूँ तो सही, बिल्लो सो गई है या नहीं। जैसे ही मैंने खिड़की से झाँका, शैतान ने दिमाग में आग लगा दी। बिल्लो इतने मस्त अंदाज में सो रही थी कि क्या बताऊँ! उसका एक हाथ उसके बूब्स पर था, दूसरा उसकी चूत पर। वो बूब्स, उफ्फ! आधे बाहर निकले हुए, मानो मुझे बुला रहे हों। मैं तो पागल ही हो गया।

मैं दरवाजे की तरफ बढ़ा, लेकिन दरवाजा बंद था। वापस खिड़की पर आकर उस मस्त नजारे को देखने लगा। सोचा, यार, बिल्लो ने लाइट ऑफ क्यों नहीं की? फिर मैं अपने कमरे में लौट आया, मगर वो नजारा मेरी आँखों में घूमता रहा। दोस्तों, सोचो जरा, पंजाब की लड़की, 18 साल की, देसी माल, मक्खन-मलाई खाकर पली। वो भी शहर की पतली-दुबली लड़कियों जैसी नहीं, बल्कि मस्त, भरी-पूरी, कड़क माल। बस, मैं सोचता रहा और सुबह हो गई।

सुबह बिल्लो किचन में नाश्ता बना रही थी। मैंने उसे पीछे से जाकर पकड़ लिया और उसके बूब्स दबाने लगा। वो चौंक गई और बोली, “काशन भाई, आपको क्या हो गया?” मैंने कहा, “ओह, सॉरी! मैंने सोचा मेरी वाइफ है। मुझे आदत है ना, उसके साथ ऐसा ही करता हूँ। प्लीज, सॉरी, मैं बहुत शर्मिंदा हूँ।”

वो हँसते हुए बोली, “कोई बात नहीं। वैसे, आप रात को मेरे कमरे की तरफ आए थे?” मैंने कहा, “हैं? नहीं तो!” वो बोली, “मैं तो सो रही थी, लेकिन मुझे ख्वाब में दिखा कि आप बहुत शरारत कर रहे थे।” मैंने पूछा, “बताओ तो, मैं क्या कर रहा था?” वो शरमाते हुए बोली, “छी, मुझे शर्म आती है। आप नाश्ता करो और ऑफिस जाओ, लेट हो रहा है।”

मेरा दिल तो ऑफिस जाने को तैयार ही नहीं था, लेकिन जाना पड़ा। सारा दिन ऑफिस में बिल्लो के ही ख्याल आते रहे।

जब मैं ऑफिस से वापस आया, तो बिल्लो को देखकर फिर पागल हो गया। उसने मेरी वाइफ की रेड साड़ी पहनी थी, और लो-नेक ब्लाउज में उसके दूध जैसे सफेद बूब्स आधे से ज्यादा नजर आ रहे थे। मैंने नजरें झुका लीं। वो मेरे पास आई और बोली, “बताओ, मैं कैसी लग रही हूँ?”

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मैंने कहा, “प्लीज, जाओ। मेरा दिमाग खराब हो रहा है।” वो हँसते हुए बोली, “आप देखो तो सही।” मैं सोफे पर बैठ गया, नजरें नीची करके। मगर वो तो मेरे पीछे पड़ गई। बोली, “बताओ ना, मैं कैसी लग रही हूँ?” मैं चुप रहा। अचानक वो मेरी गोद में आकर बैठ गई और बोली, “अब बताओ!”

मैं तो गया! वो मुझसे पूरी तरह चिपक गई थी। मैंने कहा, “सब सही है, बहुत अच्छी लग रही हो। लेकिन ये ब्लाउज?” वो बोली, “बाजी का है ना। उनकी ब्रेस्ट साइज 32 है, और मेरी 36। तो थोड़ा टाइट तो होगा ही।”

मैंने कहा, “चलो, मैं तुम्हारे साइज की शॉपिंग करवा दूँगा।” वो बोली, “नहीं-नहीं, बस आप कल मेरे लिए 1-2 ब्रा ले आना, 36 साइज की। मैं घर से लाना भूल गई। ये ब्रा कितने दिन पहनूँगी?” मैं तो खुश हो गया। सोचा, इतना खुलकर बोल रही है, शायद बात बन जाए।

रात को जब मैं सोने के लिए अपने कमरे में गया, थोड़ी देर बाद बिल्लो दूध का ग्लास लेकर आई। बोली, “बाजी ने कहा था कि मैं आपका पूरा खयाल रखूँ। सॉरी, कल रात भूल गई थी।” मैंने दूध लिया और वो चली गई।

थोड़ी देर बाद वो फिर आई और बोली, “नींद नहीं आ रही।” मैंने कहा, “मुझे भी नींद नहीं आ रही। तुम्हारी बाजी के बिना सोने की आदत नहीं है ना।” वो बोली, “हाँ, ऐसा ही होता है। अगर आप कहें तो मैं यहीं सो जाऊँ?”

मैंने कहा, “नहीं-नहीं, मैं रात को बहुत उल्टा-सीधा सोता हूँ।” वो बोली, “मैं कौन सा आपके साथ बेड पर सोऊँगी? मैं सोफे पर सो जाती हूँ।” मैंने कहा, “हाँ, ये ठीक है।”

वो सोफे पर लेट गई। थोड़ी देर बाद मैंने लाइट ऑफ की, तो वो बोली, “लाइट ऑफ मत करो, मुझे ऑन लाइट में सोने की आदत है।” मैंने कहा, “ओके।” वो लेट गई और सो गई। मैं उसे देखता रहा।

अचानक मेरे दिल में ख्याल आया कि इसके बूब्स को छू लूँ। मैंने धीरे से उसके बूब्स पर हाथ रखा। जब मैंने जोर से दबाया, वो उठ गई और बोली, “क्या हुआ?” मैंने कहा, “मच्छर था।” वो गुस्से में बोली, “शिट! आप तो बिल्कुल ही…” मैंने पूछा, “बिल्कुल ही क्या?” वो बोली, “मच्छर मुझे खा जाता क्या?”

वो गुस्से में और भी सेक्सी लग रही थी। उसका चेहरा लाल हो गया था। फिर वो अपने कमरे में चली गई। मैं सोच में पड़ गया कि क्या हो गया।

सुबह जब मैं ऑफिस जाने लगा, बिल्लो बोली, “आज बाजी का खयाल नहीं आया आपको?” मैं समझा नहीं। वो बोली, “आप समझोगे भी नहीं। रहने दो। वैसे, जो मैंने कहा था, वो लाना मत भूलना।”

मैंने कहा, “अरे, कैसे भूल सकता हूँ? तुम कहो तो चाँद ला दूँ।” वो हँसते हुए बोली, “आपको बस बातें ही बनानी आती हैं। अब जाओ, लेट हो रहा है।”

मैं ऑफिस गया और वापसी में बिल्लो के लिए दो इम्पोर्टेड ब्रा ले आया—एक रेड, एक ब्लैक। जब उसने देखा, तो बहुत खुश हुई। बोली, “कितनी स्मूथ हैं! हमारे वहाँ ऐसी नहीं मिलतीं। वैसे, आपने एक काम तो कर दिया, एक और काम बाकी है।”

मैंने कहा, “बोलो।” वो बोली, “अभी नहीं। फ्रेश हो जाओ, सारी रात पड़ी है।” मैंने सोचा, यार, ये क्या माजरा है?

खाना खाकर जब मैं फ्री हुआ, बिल्लो बोली, “काशन जी…” मैं चौंक गया। भाई से जी पर आ गई? कुछ तो गड़बड़ है। थोड़ी देर बाद वो बोली, “बाजी ने कहा था कि मैं आपको उनकी कमी महसूस न होने दूँ। तो मैं आपके साथ सोने को तैयार हूँ।”

मैं हैरान हो गया। मैंने कहा, “तुम उनकी जगह नहीं ले सकती।” वो बोली, “मैंने ऐसा कब कहा? बस जब तक वो यहाँ नहीं हैं, मैं हूँ ना।” मैंने कहा, “ओके, सो जाओ।”

वो मेरे बेड पर मेरे बगल में लेट गई। मैं सोच ही रहा था कि क्या करूँ, कि उसने मेरे सामने मेरे लाए हुए ब्रा रख दिए और बोली, “जो आपको अच्छी लगे, अपने हाथों से मुझे पहनाओ। मुझे नहीं पता ये कैसे पहनी जाती है।”

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मैं तो पागल हो गया। उसने स्ट्रिपलेस और सॉफ्ट कप ब्रा की बात की थी। इससे पहले कि मैं कुछ सोच पाता, उसने अपनी कमीज़ उतार दी। उफ्फ! मेरी तो साँसें थम गईं। उसने मेरा हाथ पकड़कर अपनी पीठ पर रखा और बोली, “ये हुक खोल दो।”

मैंने हुक खोला। और फिर… क्या बताऊँ! मेरी वाइफ के बूब्स भी कमाल हैं, लेकिन बिल्लो के… उफ्फ! मक्खन जैसे, गोरे, भरे हुए, और निप्पल्स ब्राउन। मैं तो बस देखता रह गया। उसने कहा, “ये लो, रेड ब्रा पहनाओ।” मैंने उसे ब्रा पहनाई, लेकिन मुझे होश ही नहीं था। उसने कमीज़ भी पहन ली।

अचानक मुझे होश आया। वो लेट चुकी थी, और उसका चेहरा लाल हो रहा था। मैंने कहा, “तेरे बूब्स तो बहुत अच्छे हैं।” वो गुस्से से बोली, “झूठ मत बोलो। अगर अच्छे होते, तो तुम कुछ न कुछ करते। जिस हालत में मैं थी, उस हालत में कोई मर्द किसी लड़की को देखे, तो भूखा शेर बनकर उस पर झपट पड़ता। लेकिन तुम… मुझे तो शक हो रहा है।”

मैंने पूछा, “क्या शक?” वो बोली, “कहीं तुममें मर्दाना कमजोरी तो नहीं? कभी मच्छर दिखता है, और आज मैं तुम्हारे सामने पूरी खुल गई, और तुमने कुछ नहीं किया।”

मैंने कहा, “तुम्हारा दिमाग खराब है। मुझमें कमजोरी? तुम्हारी बाजी का बच्चा कैसे होने वाला है?” वो बोली, “जरूरी नहीं कि तुम्हारा ही हो।”

बस, ये सुनते ही मेरा दिमाग शॉट हो गया। मैंने उसे दबोच लिया और उस पर चढ़ गया। उसकी कमीज़ उतारी और उसके मक्खन जैसे बूब्स को चाटना शुरू कर दिया। उफ्फ! क्या बूब्स थे—सफेद, मुलायम, और ब्राउन निप्पल्स। वो पागल होने लगी। मैंने 10 मिनट तक उसके बूब्स चूसे और चाटे। फिर उसकी शलवार उतारी। उसने अंडरवियर भी पहना था। मैंने वो भी उतार दिया।

उसकी चूत… वाह! मानो मेकअप किया हुआ हो। होंठों पर लिपस्टिक लगी हो, और छोटे-छोटे गोल्डन बाल। इतनी खूबसूरत थी कि मैं देखता रह गया। मैंने उसमें फिंगरिंग शुरू की। काफी देर बाद वो बोली, “इसे भी चाटो।” मैंने कहा, “नहीं, मैं ऐसा नहीं कर सकता।”

फिर उसने मेरे कपड़े उतारे और मेरा 7 इंच का लंड देखा। उसने उसे हाथों से मसला और मुँह में लेने की कोशिश की, लेकिन मैंने मना कर दिया। मैं फिर से उसके बूब्स चाटने लगा। वो पागल हो रही थी। बोली, “बस यही करते रहोगे?”

मुझे भी गुस्सा आ गया। मैंने उसकी चूत पर अपना टोपा रखा। वो बोली, “लॉलीपॉप चूसने नहीं दिया, तो इस पर कुछ लगा लो।” मैंने ऑयल लिया, उसकी चूत पर लगाया, और फिर धीरे से धक्का मारा। उसकी आह निकली, “आआह!” मैंने एक और झटका मारा, मेरा आधा लंड अंदर चला गया। वो फिर चीखी, “ऊँह!”

मैंने कहा, “बिल्लो जी, मोच आ गई क्या? अब मैं तुम्हें अपनी मर्दानगी दिखाता हूँ।” और मैं अंदर-बाहर करने लगा। उसकी आँखों से आँसू निकल आए, लेकिन मैं रुका नहीं। मैं सोच रहा था कि उसकी चूत से खून निकलेगा, लेकिन कुछ नहीं निकला। मैं समझ गया, ये पहले ही चुद चुकी है।

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मैं मस्त होकर झटके मारता रहा—अंदर-बाहर, अंदर-बाहर। कुछ देर बाद उसका दर्द कम हुआ। वो बोली, “जोर से! और जोर से!” मैं मशीन बन गया। धकाधक, धकाधक। उसकी आवाजें— “काशन, मैं मर गई! फाड़ डालो इसे! और जोर से!”

20 मिनट बाद वो बोली, “मैं मर गई… उफ्फ! मैं छूटने वाली हूँ… आआह!” और वो छूट गई। मेरे लंड पर उसका गर्म-गर्म पानी टकराने लगा। मगर मैं रुका नहीं। उसके पानी से मेरा लंड और चिकना हो गया। मैंने स्पीड और बढ़ा दी। कमरे में चप-चप, चिप-चिप, चपाक की आवाजें गूँजने लगीं।

बिल्लो बोली, “बस करो! क्या जान लोगे?” मैंने कहा, “रानी, अभी तो काशन शुरू भी नहीं हुआ, और तुम बस कह रही हो।” वो बोली, “प्लीज, थोड़ा रुक जाओ।” मगर मैं नहीं रुका। कुछ देर बाद वो फिर गर्म हो गई और फिर छूट गई। बोली, “आप क्या खाते हो? अब छूट भी जाओ। और प्लीज, मेरी चूत में मत छूटना। मैं भी बाजी की तरह हो जाऊँगी।”

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मैंने कहा, “अभी मैं छूटने वाला नहीं, लेकिन छूटूँगा तो अंदर ही।” वो बोली, “नहीं, प्लीज!” मैंने कहा, “तुम्हें अपनी मर्दानगी का सबूत और कैसे दूँ?” वो हँसते हुए बोली, “मैं तो मजाक कर रही थी। अगर मैं ऐसा न कहती, तो आप मुझे छूते भी नहीं।”

थोड़ी देर बाद मैं भी छूटने वाला था। मैंने अपना लंड निकाला और उसके बूब्स पर रखा। कहा, “अपने बूब्स को आपस में मिलाकर रखो।” मैंने उसके बूब्स को चोदना शुरू किया। थोड़ी देर में मैं छूट गया। मेरी पिचकारी उसके मुँह पर गिरी। वो बोली, “उफ्फ! ऐसा लगा जैसे किसी ने गर्म-गर्म उबलता दूध मुझ पर फेंक दिया। और वो प्रेशर… मोटर लगाई है क्या?”

मैंने कहा, “रानी, तुम्हारी बाजी पेट से है। ये इतने दिनों का जमा हुआ मसाला है।” फिर वो मेरे जिस्म से चिपक गई। मेरे होठ चूसने लगी, मेरी छाती चाटने लगी। मेरा जिस्म फिर गर्म हो गया। मैंने उसे फिर चोदा। वो बोली, “बस करो, मुझे बहुत दर्द हो रहा है। पहली बार है ना।”

मैंने कहा, “झूठ बोलती है। तेरी चूत तो पहले ही खुली हुई है।” वो बोली, “नहीं, पहली बार किसी मर्द ने मुझे चोदा है। ये मैंने फिंगरिंग की थी, और कुछ गर्लफ्रेंड्स के साथ सेक्स किया था, उससे सिल टूट गई।”

मुझे यकीन नहीं हुआ। मैंने उसे फिर चोदा। वो रोने लगी, लेकिन मैं नहीं रुका। वो बोली, “सब आज ही चोद डालोगे? अभी तो मैं यहाँ हूँ। कुछ दिन बाद चोद लेना।” तब मैं रुका।

उस रात वो 5 बार छूटी, और मैं 3 बार। बहुत मजा आया। फिर अजान होने लगी। मैंने कहा, “मैं नहाने जा रहा हूँ।” वो बोली, “मुझे भी नहला दो। मुझमें हिम्मत नहीं कि मैं खुद नहा सकूँ। तुमने तो मेरा खाना खराब कर दिया।”

मैंने कहा, “रानी, ये बताओ, मजा आया या नहीं?” वो बोली, “हाँ, दर्द से ज्यादा मजा आया।” मैंने कहा, “ऐसे मजे मैं तुम्हें रोज दूँगा, जब तक तुम यहाँ हो।” वो हँसने लगी।

यारों, बिल्लो में अगर कुछ था, तो वो थे उसके बूब्स। उफ्फ! क्या बूब्स थे! जब मैं उन्हें चूसता, वो कहती, “आप तो बच्चों की तरह हो।” एक रात मैंने उसके बूब्स 2 घंटे तक चूसे। आखिर में उसने मुझे हटाया और कहा, “बस, अब दर्द हो रहा है। माफ कर दो।”

यारों, वो बूब्स नहीं, मोती थे। बस, कुछ नहीं बता सकता।

कुछ दिन बाद फोन आया, “काशन, आप अब्बा बन गए! जल्दी आ जाओ। लड़का पैदा हुआ है।”

यारों, एक तरफ इतनी बड़ी खुशी, और दूसरी तरफ बिल्लो के बूब्स छोड़ने का गम। अब जब भी मौका मिलता है, मैं बिल्लो को चोद ही देता हूँ।

तो दोस्तों, ये थी मेरी और बिल्लो की कहानी। बताओ, कैसी लगी?