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डॉक्टर की चेयर पर नर्स की गाँड चुदाई

नमस्ते दोस्तों, मैं अमित, एक बार फिर आपसे अपनी दिलकश और कामुक कहानी साझा करने आया हूँ। यह कहानी मेरे जीवन की उस रात की है, जब एक हसीन नर्स ने मेरे दिल और जिस्म को आग लगा दी। मैं एक प्राइवेट हॉस्पिटल में डॉक्टर हूँ, उम्र होगी कोई 26 साल। मेरे हॉस्पिटल में कई मलयाली नर्सेज़ काम करती हैं, जिनमें से सीनियर नर्सेज़ शादीशुदा हैं और उनके हसबैंड्स गल्फ कंट्रीज़ में जॉब करते हैं। मैं स्वभाव से शरीफ हूँ, लेकिन जवानी का गर्म खून और ICU में घंटों मलयाली सुंदरियों के बीच रहना—क्या करूँ, लंड बार-बार खड़ा हो ही जाता है। मेरी शक्ल से कोई नहीं कह सकता कि मेरा लंड खड़ा है, लेकिन दोस्तों, मेरे लंड का स्वभाव भी बड़ा अजीब है। आज तक मेरा लंड कभी नर्सेज़ की चूचियों को देखकर नहीं उछला। मेरे लंड को तीन चीज़ें दीवाना बनाती हैं: पहली, आँखों में मासूमियत और शरारत; दूसरी, सेक्सी परफ्यूम की खुशबू; और तीसरी, बटक्स के कर्व्स। अगर ये तीनों किसी हसीना में मिल जाएँ, तो मेरा दिमाग बंद और लंड खड़ा!

हमारे हॉस्पिटल में नर्सेज़ अभी भी व्हाइट स्कर्ट पहनती हैं। जब मरीज़ का ब्लड टेस्ट लेना हो या मेडिसिन देनी हो, तो 4-5 नर्सेज़ मरीज़ की तरफ झुककर काम करती हैं, और मैं पीछे खड़ा होकर उन्हें डायरेक्शन देता हूँ। उस वक्त उनकी पीठ मेरी तरफ होती है, और झुकने से उनकी स्कर्ट में कसी हुई गाँड के शेप साफ दिखते हैं। मेरा लंड अक्सर इस नज़ारे से बस 3-4 इंच की दूरी पर होता है। मन ही मन मैं उनकी मोटी गाँड को सहलाता हूँ, फंतासी में उनकी स्कर्ट ऊपर उठाकर पैंटी खोलता हूँ, दोनों तारों (बटक्स) को सहलाकर लंड उनकी चूत में डाल देता हूँ। पूरा जिस्म गर्म हो जाता है। जी चाहता है कि काश ज़माने का डर न हो, तो कमर पकड़कर पीछे से खड़े-खड़े जमकर चुदाई कर दूँ, सबकी बारी-बारी से। लेकिन दोस्तों, ये सब ख्वाबों तक ही सीमित था।

सब कुछ बदल गया जब पल्लू नाम की नर्स ICU में आई। उसकी आँखें नटखट और शराबी थीं, उसका परफ्यूम मदहोश कर देने वाला था। लंबे बाल, छोटी-छोटी चूचियाँ, लेकिन दोनों तारे (गाँड) फूले-फूले, टाइट स्कर्ट में एकदम सेक्सी शेप। उसकी आदत थी कि वो कभी सीधी नहीं खड़ी होती। हमेशा टेबल पर झुककर, गाँड को टेबल से दूर और पैरों को सीधा करके खड़ी होती, जो लगभग हाफ-डॉगी पोज़िशन थी। हालत ये हो गई कि उसका परफ्यूम और पसीने की खुशबू मेरे लंड को खड़ा कर देती थी। जब भी लंड खड़ा होता, मैं डॉक्टर्स चेयर पर बैठकर गहरी साँसें लेता।

एक रात, करीब 11 बजे, मैं हॉल में अकेला डॉक्टर्स चेयर पर बैठा था। सारी नर्सेज़ अपने-अपने मरीज़ों के रूम में थीं। तभी पल्लू आई और सामने की टेबल पर झुककर खड़ी हो गई, मेरी आँखों में घूरने लगी। मैं भी बेशर्म होता जा रहा था। उसकी खुशबू से ऐसा लग रहा था जैसे हम दोनों जंगल के जंगली जानवर हैं, गर्मी से भरे हुए। मैं भी उसकी आँखों में घूरने लगा, उसकी खुशबू का मज़ा लेने लगा। फिर उसने आँखें नीचे कर लीं। मैंने हिम्मत की और अपनी उँगली से उसके होंठों को सहलाया। उसने झट से मुँह खोलकर मेरी उँगली अंदर ले ली और चूसने लगी। मैंने दोनों हाथों से उसके कंधों, गले और चेहरे को सहलाया। फिर पल्लू सामने से हटकर मेरे बगल में आकर उसी तरह झुककर खड़ी हो गई। अब हम दोनों टेबल के पीछे थे। वो खुली किताब पढ़ने का दिखावा करने लगी, और मैंने अपने दाएँ हाथ से उसकी पीठ सहलाने के बाद उसकी गाँड पर हाथ फेरा। फिर उसकी जाँघों को सहलाया और स्कर्ट के अंदर से हाथ ऊपर ले जाकर उसकी पैंटी के ऊपर फूली-फूली गाँड को दबाने लगा। हम दोनों गहरी-गहरी साँसें ले रहे थे।

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तभी अचानक एक मरीज़ को पेशाब की ट्यूब डालने की ज़रूरत पड़ गई। मैंने झट से हाथ पैंटी के अंदर से निकाला, और वो तुरंत दूर हट गई। उस रात मेरा लंड दर्द से फटने को था। मैंने मरीज़ की ट्यूब डालने के बाद नर्सेज़ के प्राइवेट रूम में जाकर आराम से हाथ धोए। तभी पल्लू के हसबैंड का फोन आ गया। वो बिना मुझे देखे अंदर आई, दरवाज़ा बंद किया और फोन पर बात करने लगी। आदतन वो हाफ-डॉगी स्टाइल में थी—टेबल पर झुकी हुई, कमर 90 डिग्री पर मुड़ी, पैर सीधे, टेबल से दूर। मैंने खाली चेयर उठाई, उसकी गाँड के पीछे रखी और उस पर आराम से बैठ गया।

मैंने उसकी कमर पकड़कर स्कर्ट के ऊपर से उसकी गाँड पर किस किया। उसने सरप्राइज़ में मेरी तरफ देखा और एक आह भरी। उसके हसबैंड को कुछ समझ नहीं आया होगा, क्योंकि वो फोन सेक्स कर रहे थे। मैंने अपनी नाक उसकी गाँड पर सटाकर खुशबू ली और उसकी मोटी जाँघों को सहलाने लगा। उसे हल्की गुदगुदी हुई, और वो खिलखिलाकर कसमसाने लगी। मैंने उसकी स्कर्ट को कमर तक उठाया, कमर को कसकर पकड़ा और पैंटी पर किस करने लगा। उसके दोनों तारों को दाँतों से हल्के-हल्के काटने लगा। वो कसमसाते हुए बोली, “You are very naughty!” मैंने पास रखी कैंची से उसकी पैंटी को कमर और चूत के पास काट दिया। पैंटी से पसीने और परफ्यूम की जबरदस्त खुशबू आ रही थी। अब उसकी फूली-फूली गाँड मेरे सामने माखन की तरह मुलायम दिख रही थी। दोनों तारों को हटाने पर उसकी गाँड की घाटी, गाँड का छेद और चूत का छेद साफ दिख रहा था।

मैंने अपनी नाक उसकी गाँड और चूत के बीच घुसा दी। मेरा चेहरा उसकी झांटों में था, नाक गाँड के छेद पर और मुँह चूत पर। मैंने दोनों हाथों से उसकी जाँघों को कसकर पकड़ा और उसकी चूत और गाँड को चाटने लगा। बीच-बीच में उसके तारों को काटता भी था। मैं अब डॉक्टर नहीं, एक कुत्ता बन चुका था, जो गर्मी में भरी कुतिया की चूत चाट रहा था। तभी पल्लू ने फोन पर कुछ कहा, और मैंने चेयर पीछे खिसकाई। मैं खड़ा हुआ, पैंट की चेन खोली, लंड बाहर निकाला, उसकी कमर को कसकर पकड़ा और लंड को उसकी गीली चूत पर रख दिया। मैंने उसके दोनों तारों को थपथपाया, और धीरे-धीरे उसकी चूत ढीली हुई। मेरा लंड फिसलता हुआ उसकी चूत की गहराइयों में चला गया। क्या गर्म, गीला और रेशमी अहसास था! मैंने पूरी ताकत से लंड को उसकी चूत में उतारा और कमर को ऊपर-नीचे, दाएँ-बाएँ, गोल-गोल हिलाकर नाचने लगा। हम दोनों कामदेव के गुलाम बन चुके थे।

उसकी टाँगें ढीली पड़ने लगीं, तो मैंने कमर के नीचे से हाथ लगाकर उसे सहारा दिया और जमकर चुदाई करने लगा। उसकी चूत की गर्मी मेरे लंड से पूरे जिस्म में फैल रही थी। हमारी आँखें बंद थीं, और पल्लू सिर्फ “ऊह्ह… आह्ह…” कर रही थी। मैंने उसकी क्लिट की मसाज की, और तभी उसका जिस्म अकड़ने लगा। उसकी चूत मेरे लंड पर टाइट होकर चिपक गई, और उसने पानी छोड़ दिया। मेरा लंड गंगा स्नान कर पवित्र हो चुका था। अब बारी थी उसकी चूत के गंगास्नान की। मैंने उसकी कमर को पकड़कर फिक्स किया और चटाचट लंड से स्ट्रोक मारने लगा। उसकी चूत ढीली और चिकनी थी। 5 मिनट बाद मेरा लंड भी झड़ गया। हम दोनों तृप्त हो चुके थे।

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मैंने उसकी चूत से गिरता पानी एक बोतल में रख लिया। 40 मिनट बीत चुके थे। पल्लू की मलयाली चूत मेरे लंड की दीवानी बन चुकी थी। मैं चेयर पर बैठ गया। पल्लू मेरी तरफ मुँह करके मेरी जाँघों पर बैठ गई। मैंने अपने सिकुड़े लंड को सावधानी से उसकी चूत में डाला और पीछे झुककर बैठ गया। उसकी स्कर्ट कमर के ऊपर थी, उसकी छाती मेरी छाती से सटी थी, और उसका चेहरा मेरे सामने था। वो फिर से फोन पर धीरे-धीरे बात कर रही थी। मैंने उसे गले लगाया, अपनी बाहों में कस लिया, और उसके दोनों तारों पर हाथ फेरने लगा। फिर स्कर्ट के अंदर से उसकी नंगी पीठ को सहलाया, उसकी ब्रा की हुक खोली, और उसके सारे कपड़े उतार दिए। अपने कपड़े भी निकाल दिए। फिर से उसे गले लगाया, उसके गले, कंधों, पीठ, तारों और जाँघों को खूब सहलाया। उसके दोनों कानों को जीभ से चाटा और चूसा। उसके गाल चूमे। वो एक छोटे बच्चे की तरह मेरे सीने से चिपकी थी।

फिर मैंने उसे सीने से अलग किया और उसके छोटे-छोटे निपल्स को चूमा, खूब चूसा, और उसकी बाहों को सहलाता रहा। तब तक उसकी फोन की बात खत्म हो चुकी थी। वो मेरे चेहरे को हाथों में लेकर मेरे होंठों को चूमने लगी। उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी, और मैं उसकी जीभ चूसने लगा। मैंने बोतल से उसकी चूत का पानी निकालकर उसकी गाँड पर मला। ऊपर फ्रेंच किस चल रहा था, छाती पर उसकी चूचियों की गर्मी और नरमी कमाल ढा रही थी, और नीचे उसकी चूत के पानी से उसकी गाँड की मालिश हो रही थी।

मैंने अपनी उँगली उसकी गाँड के छेद पर रखकर हल्के से दबाई। वो टाइट थी। मैंने उसी उँगली से हल्के दबाव के साथ मसाज की, और कुछ देर बाद गाँड का छेद ढीला होने लगा। मैंने पास रखी जेली की ट्यूब से जेली उसकी गाँड में डाली और थपथपाने लगा। टिश्यू पेपर को उँगली पर लपेटकर उसकी गाँड के अंदर डाला और अच्छे से सफाई की। जब गाँड ढीली हो गई, तो मैंने पूरी जेली की ट्यूब उसकी गाँड में डाल दी। इस दौरान मेरा लंड उसकी चूत में फड़फड़ा रहा था। पल्लू मेरे सीने से चिपकी मेरे कान काट रही थी। उसने कहा, “डॉक्टर, आप नीचे क्या कर रहे हैं?” मैंने कहा, “सिस्टर, इसे नीचे नहीं कहते, इसे कहते हैं गाँड!” वो बोली, “डॉक्टर, आप मेरी गाँड क्यों साफ कर रहे हैं?” मैंने कहा, “सेक्स का मतलब होता है चोदना, वजाइना का मतलब चूत, और ब्रेस्ट्स का मतलब चूची।” उसने नटखट चेहरा बनाकर कहा, “मुझे सब मालूम है, आप मेरी गाँड चोदना चाहते हैं!” मैंने पूछा, “वो कैसे?” वो बोली, “सिम्पल, चूत तो आप चोद चुके हैं!” मैंने कहा, “सिस्टर, आप बहुत सेक्सी हो, इसलिए आपकी गाँड भी चोदना चाहता हूँ।” वो हँसकर बोली, “मेरे फ्रेंड का हसबैंड भी उसकी गाँड चोदता है, लेकिन मेरे हसबैंड को ये गंदा लगता है।” मैंने कहा, “बताओ, मेरी पल्लू को गाँड चुदवाने में कैसा लगेगा?” वो बोली, “वो तो डॉक्टर के चोदने के बाद पता चलेगा!”

मैंने अपनी एक उँगली उसकी गाँड में डाल दी और उँगली से उसकी गाँड चोदने लगा। उँगली से मैंने उसकी चूत में खड़े लंड को भी दबाया। वो सिसकारियाँ भरने लगी और मेरे सीने से चिपक गई। मैंने कहा, “अब बताओ, डबल चुदाई कैसी लग रही है?” वो बोली, “अच्छा!” और मेरे गाल पर एक पप्पी दे दी।

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मैंने कहा, “पल्लू, जब तुम मेरा लंड अपनी गाँड में लोगी, तो और मज़ा आएगा। मेरे लिए डॉगी पोज़िशन में आओगी?” वो बोली, “ठीक है,” और टेबल पर डॉगी पोज़िशन में आ गई। मैं भी उसके पीछे घुटनों पर टेबल पर उसकी गाँड के पीछे आ गया। मैंने उसकी पीठ और कमर सहलाई, और कमर के नीचे से दो उँगलियाँ उसकी चूत में डालकर उँगली से चुदाई शुरू कर दी। पल्लू बोली, “डॉक्टर, आपका लंड कहाँ है?” मैंने झट से लंड उसकी गाँड के छेद पर रखा और कहा, “पल्लू, अब तुम्हें मेरा लंड अपनी गाँड में लेना है। मुँह खोलकर लंबी साँस लो और धीरे-धीरे गाँड को पीछे धक्का देकर लंड अंदर ले लो।” उसने कहा, “ओके, डॉक्टर,” और धीरे-धीरे पूरा लंड अपनी गाँड में ले लिया। मैंने कहा, “अब बिल्कुल बेशर्मी से अपनी गाँड को जैसे चाहो नचाओ।” वो मस्त होकर आँखें बंद करके गाँड हिलाने लगी, और मैं भी लंड को गाँड में डाले हुए धीरे-धीरे स्ट्रोक लगाने लगा।

15 मिनट तक गाँड की चुदाई चली। साथ में मैंने उँगली से उसकी चूत की चुदाई जारी रखी। फिर मैं उसकी गाँड में झड़ गया, और उसने मेरे हाथों में पानी छोड़ दिया। मैंने उसकी चूत का पानी अपने हाथ में लेकर उसके चेहरे पर लगाया और उसकी पैंटी को यादगार के तौर पर रख लिया। फिर मैं जाकर सो गया।

सुबह उठा तो लंड फिर खड़ा था। मैं नीचे गया, तो पल्लू जाने की तैयारी में थी। वो डॉक्टर्स रूम के सामने से गुज़र रही थी। मैंने उसे झट से अंदर खींचा, बेड पर पीठ के बल लिटाया, स्कर्ट उठाई और फट से अपने खड़े लंड को उसकी चूत में डालकर पेलना शुरू कर दिया। 5 मिनट में हम दोनों खल्लास हो गए।

उसके बाद कई महीनों तक हम दोनों मस्ती करते रहे। अक्सर वो ड्यूटी वाले दिन पैंटी नहीं पहनती थी। मौका मिलते ही मैं उसकी स्कर्ट उठाकर उसकी नंगी गाँड को सहला देता, कभी चूत में उँगली डाल देता, कभी गाँड में उँगली। कभी टॉयलेट में उसकी चूत चोदते, तो कभी गाँड। जब वो अकेले मरीज़ को दवा देती, तो मैं चेन खोलकर लंड बाहर निकाल लेता, और वो स्कर्ट उठाकर चूत में लंड डाल लेती। कई बार वो वीकेंड पर मेरे घर आती, और हम जमकर चुदाई करते। पल्लू के साथ मैंने बहुत मज़े किए।